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मेरठ: फूल की खेती करने वाले किसानों को हुआ 50 करोड़ का नुकसान, कर्ज और चिंता में डूबे किसान - farmers suffered more than 50 crore rupees

उत्तर प्रदेश के मेरठ में कोरोना वायरस के कारण फूल की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान हुआ है. वेस्ट यूपी में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती होती है. वहीं लॉकडाउन के कारण किसानों को करीब 50 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.

farmers suffered from loss
किसानों को हुआ भारी नुकसान
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Published : Apr 27, 2020, 3:04 PM IST

मेरठ: कोरोना वायरस के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन ने फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे से रौनक छीन ली है. इस बार अच्छी फसल होने के बावजूद भी उन्हें फसल की एक कौड़ी नहीं मिल सकी है. फसल के लिए उन्होंने जो पैसे खाद और बीज में खर्च किए थे वह भी वसूल नहीं हो सके है. बेबस और लाचार किसानों ने अपनी खुश्बू से लहलहाती फसल को खेत में ही जोत कर नष्ट कर दिया है. विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक वेस्ट यूपी में फूलों की खेती करने वालें किसानों को 50 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.

वेस्ट यूपी में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाने लगी हैं. दिल्ली नजदीक होने के कारण मेरठ, हापुड़ गाजियाबाद समेत कई जिलों में किसान फूलों की खेती कर रहे हैं. फूलों की खेती में ग्लोडियोलस, रजनीगंधा, गुलदावरी, गेंदा, कारनेशन और गुलाब जैसे फूलों की वैराइटी मुख्य रूप से शामिल हैं. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि ​यूनिवर्सिटी में हॉटिकल्चर विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुनील मलिक ने बताया कि इस बार फूलों की खेती के लिए सर्दी का मौसम बेहद अनुकुल रहा. यूनिवर्सिटी की ओर से फूलों की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण देकर गुणवत्ता युक्त पैदावार की जानकारी भी दी गई थी. वैज्ञानिक तरीके से की गई खेती के कारण इस बार फूलों की पैदावार आशा से अधिक देखने को मिली, लेकिन कोरोनावायरस के कारण देशभर में लागू हुए लॉकडाउन ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. अच्छी फसल होने के बावजूद उन्हें फसल का खरीदार नहीं मिला सका, जिस कारण फसल को खेत में ही जोतने के लिए किसान मजबूर हो गए.

एक बीघा फसल में कम से कम 44 हजार का मुनाफा
डॉ. सुनील मलिक का कहना है कि औसत पैदावार की बात की जाए तो एक बीघा खेत में कम से कम किसानों को 44 हजार रुपये का मुनाफा होता है. यूनिवर्सिटी से जुड़े मेरठ, हापुड, मुजफ्फरनगर जिले के करीब 100 किसानों से बात की गई तो उनकी करीब 625 बीघा जमीन में तीन करोड़ से अधिक का नुकसान होने की बात सामने आई है. वेस्ट यूपी की अगर बात करें तो यह नुकसान 50 करोड़ से अधिक है. लॉकडाउन के कारण मंडी में फूलों की डिमांड नहीं है. यह समय शादी विवाह का सीजन होता है, जिस कारण फूलों की सबसे अधिक डिमांड होती है, लेकिन इस बार शादी समारोह भी नहीं हो रहे हैं. इस कारण फूलों की डिमांड शून्य हो गई है.

किसान बोले ऐसा नुकसान कभी नहीं देखा
फूलों की खेती करने वाले किसान इस नुकसान से कैसे उबरेंगे उन्हें समझ नहीं आ रहा. मंडोरा निवासी किसान प्रधान राकेश का कहना है कि वह पिछले 25 साल से फूलों की खेती कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नुकसान कभी नहीं देखा. मौसम की मार से फसल को नुकसान होता था, लेकिन लागत तो निकल आती थी. इस बार तो लागत भी नहीं निकली है. खेत में 22 बीघा रजनीगंधा और ग्लोडियोलस इस समय लहराकर खुश्बू बिखेर रहा था. इससे उम्मीद थी कि इस बार मुनाफा अधिक होगा, लेकिन मुनाफा तो दूर खाद और बीज के पैसे भी नहीं निकल सके है. अभी लॉकडाउन खुलने की उम्मीद भी नहीं दिख रही,​ जिस कारण मजबूरी में खेत में खड़ी फसल को खेत में ही जोत कर नष्ट करना पड़ रहा है.गंगधाडी निवास किसान सर्वेश पाल ने बताया कि उन्हें अपनी ग्लोडियोलस की फसल को जोत कर गन्ने की बुवाई करनी पड़ी. उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है. इसकी भरपाई कैसे होगी उन्हें समझ में नहीं आ रहा.

कर्ज कैसे चुकाएंगे समझ नहीं आ रहा
किसानों ने फूलों की खेती करने के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए कर्ज लिया, लेकिन फसल किसी भाव नहीं बिक रही है. अब वह कर्ज कैसे उतारेंगे यह भी चिंता किसानों को सता रही है. किसान राकेश ने बताया कि कुछ किसानों ने जमीन भी 15 हजार रूपये ​बीघा किराये पर लेकर फूलों की खेती की, लेकिन लॉकडाउन के कारण वो भी अब कर्ज में डूब गए हैं. एक बीघा जमीन में करीब 50 हजार रूपये बीघा का खर्च बीज, खाद और लेबर का आता है. वहीं जिन किसानों ने पॉलीहाउस में फूलों की खेती की है वह और भी परेशान है, उन्हें लेबर और दवा का खर्च फसल को मेंटेन करने पर खर्च करना पड़ रहा है जो फूल तैयार हो रहे हैं उन्हें काटकर बाहर फेंकना पड़ रहा है. अभी आगे भी फूलों की खेती करने वाले किसानों को उम्मीद की कोई राह नजर नहीं आ रही है.

मेरठ: कोरोना वायरस के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन ने फूलों की खेती करने वाले किसानों के चेहरे से रौनक छीन ली है. इस बार अच्छी फसल होने के बावजूद भी उन्हें फसल की एक कौड़ी नहीं मिल सकी है. फसल के लिए उन्होंने जो पैसे खाद और बीज में खर्च किए थे वह भी वसूल नहीं हो सके है. बेबस और लाचार किसानों ने अपनी खुश्बू से लहलहाती फसल को खेत में ही जोत कर नष्ट कर दिया है. विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक वेस्ट यूपी में फूलों की खेती करने वालें किसानों को 50 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.

वेस्ट यूपी में बड़े पैमाने पर फूलों की खेती की जाने लगी हैं. दिल्ली नजदीक होने के कारण मेरठ, हापुड़ गाजियाबाद समेत कई जिलों में किसान फूलों की खेती कर रहे हैं. फूलों की खेती में ग्लोडियोलस, रजनीगंधा, गुलदावरी, गेंदा, कारनेशन और गुलाब जैसे फूलों की वैराइटी मुख्य रूप से शामिल हैं. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि ​यूनिवर्सिटी में हॉटिकल्चर विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुनील मलिक ने बताया कि इस बार फूलों की खेती के लिए सर्दी का मौसम बेहद अनुकुल रहा. यूनिवर्सिटी की ओर से फूलों की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण देकर गुणवत्ता युक्त पैदावार की जानकारी भी दी गई थी. वैज्ञानिक तरीके से की गई खेती के कारण इस बार फूलों की पैदावार आशा से अधिक देखने को मिली, लेकिन कोरोनावायरस के कारण देशभर में लागू हुए लॉकडाउन ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया. अच्छी फसल होने के बावजूद उन्हें फसल का खरीदार नहीं मिला सका, जिस कारण फसल को खेत में ही जोतने के लिए किसान मजबूर हो गए.

एक बीघा फसल में कम से कम 44 हजार का मुनाफा
डॉ. सुनील मलिक का कहना है कि औसत पैदावार की बात की जाए तो एक बीघा खेत में कम से कम किसानों को 44 हजार रुपये का मुनाफा होता है. यूनिवर्सिटी से जुड़े मेरठ, हापुड, मुजफ्फरनगर जिले के करीब 100 किसानों से बात की गई तो उनकी करीब 625 बीघा जमीन में तीन करोड़ से अधिक का नुकसान होने की बात सामने आई है. वेस्ट यूपी की अगर बात करें तो यह नुकसान 50 करोड़ से अधिक है. लॉकडाउन के कारण मंडी में फूलों की डिमांड नहीं है. यह समय शादी विवाह का सीजन होता है, जिस कारण फूलों की सबसे अधिक डिमांड होती है, लेकिन इस बार शादी समारोह भी नहीं हो रहे हैं. इस कारण फूलों की डिमांड शून्य हो गई है.

किसान बोले ऐसा नुकसान कभी नहीं देखा
फूलों की खेती करने वाले किसान इस नुकसान से कैसे उबरेंगे उन्हें समझ नहीं आ रहा. मंडोरा निवासी किसान प्रधान राकेश का कहना है कि वह पिछले 25 साल से फूलों की खेती कर रहे हैं, लेकिन ऐसा नुकसान कभी नहीं देखा. मौसम की मार से फसल को नुकसान होता था, लेकिन लागत तो निकल आती थी. इस बार तो लागत भी नहीं निकली है. खेत में 22 बीघा रजनीगंधा और ग्लोडियोलस इस समय लहराकर खुश्बू बिखेर रहा था. इससे उम्मीद थी कि इस बार मुनाफा अधिक होगा, लेकिन मुनाफा तो दूर खाद और बीज के पैसे भी नहीं निकल सके है. अभी लॉकडाउन खुलने की उम्मीद भी नहीं दिख रही,​ जिस कारण मजबूरी में खेत में खड़ी फसल को खेत में ही जोत कर नष्ट करना पड़ रहा है.गंगधाडी निवास किसान सर्वेश पाल ने बताया कि उन्हें अपनी ग्लोडियोलस की फसल को जोत कर गन्ने की बुवाई करनी पड़ी. उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है. इसकी भरपाई कैसे होगी उन्हें समझ में नहीं आ रहा.

कर्ज कैसे चुकाएंगे समझ नहीं आ रहा
किसानों ने फूलों की खेती करने के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए कर्ज लिया, लेकिन फसल किसी भाव नहीं बिक रही है. अब वह कर्ज कैसे उतारेंगे यह भी चिंता किसानों को सता रही है. किसान राकेश ने बताया कि कुछ किसानों ने जमीन भी 15 हजार रूपये ​बीघा किराये पर लेकर फूलों की खेती की, लेकिन लॉकडाउन के कारण वो भी अब कर्ज में डूब गए हैं. एक बीघा जमीन में करीब 50 हजार रूपये बीघा का खर्च बीज, खाद और लेबर का आता है. वहीं जिन किसानों ने पॉलीहाउस में फूलों की खेती की है वह और भी परेशान है, उन्हें लेबर और दवा का खर्च फसल को मेंटेन करने पर खर्च करना पड़ रहा है जो फूल तैयार हो रहे हैं उन्हें काटकर बाहर फेंकना पड़ रहा है. अभी आगे भी फूलों की खेती करने वाले किसानों को उम्मीद की कोई राह नजर नहीं आ रही है.

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