मेरठ : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आम बजट पेश किया. इस बजट पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई थी. मजदूर तबके से लेकर व्यापारी, नौकरी पेशा, आम जनता तक हर कोई बेहतर बजट की उम्मीद लगाए बैठा था. खास बात ये है कि किसान आंदोलन के बीच पेश किए गए बजट में सबसे ज्यादा उम्मीद किसान रखे हुए थे. सरकार ने बजट में जहां साढ़े सोलह लाख करोड़ रुपये किसानों के ऋण माफी के लिए जारी किए हैं, वहीं गेंहू, दलहन और तिलहन की फसलों के लिए भी विशेष पैकेज की घोषणा की है. बावजूद इसके पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बजट से संतुष्ट नहीं हैं. किसानों का कहना है कि यह बजट उनके हित में नहीं हैं.
ईटीवी भारत ने मेरठ के किसानों के बीच पहुंच कर केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को लेकर खास बातचीत की. बातचीत में भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने बताया कि बजट के बारे में ज्यादा तो पढ़ने के बाद ही बताया जा सकता है, लेकिन किसानों को सरकार से बहुत सारी उम्मीद थी. बावजूद इसके यह सरकार किसानों के विरोध में चल रही है. केंद्र में सरकार बहुमत का दुरुपयोग कर रही है.
बढ़ाए जा रहे बिजली के बिल
किसानों ने कहा कि छोटे किसानों को पहले 5 हॉर्स पॉवर का ट्यूबवेल कनेक्शन दिया जाता था. इसे पहले साढ़े सात हॉर्स पावर और अब बढ़ाकर 10 हॉर्स पावर कर दिया गया है. यह किसान के साथ अन्याय है. डीजल, खाद और बिजली का बिल जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उस गति से किसानों के गन्ने और अन्य फसलों के दाम नहीं बढ़े.
MSP पर कानून बनाए सरकार
किसानों का कहना है कि अगर सरकार को किसानों की फिक्र है तो MSP पर कानून क्यों नहीं बनाती. सरकार अपने बजट में किसानों की फसल MSP पर खरीदने की गारंटी दे. बजट में किसानों की लागत का डेढ़ गुना MSP करने के सवाल पर किसानों ने कहा कि सरकार ने केवल स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की है. वो भी आंशिक रूप से. सरकार केवल बोल रही है, लिखित में कुछ दे नहीं रही है. बजट में किसान हित में लिए गए फैसले किसान आंदोलन को देखकर लिए गए हैं, लेकिन किसान सरकार के इस बजट से संतुष्ट नहीं हैं.