मेरठ: आज भारत आजादी की 75वीं वर्षंगाठ मना रहा है. ऐसे में आजादी से जुड़ी कई यादें ताजा हो रही हैं. मेरठ के एक परिवार के पास आज भी वह तिरंगा मौजूद है जो 1946 में कांग्रेस के आखिरी अधिवेशन में मेरठ में फहराया गया था. इस तिरंगे को यह परिवार धरोहर की तरह संजोकर आज भी रखे है. आजादी से पहले 23 नवंबर 1946 को हुए इस अधिवेशन में तिरंगे को विक्टोरिया पार्क में फहराया गया था.
23 नवंबर 1946 का वो ऐतिहासिक दिन मेरठ और देश के लिए किसी गौरव से कम नहीं था. इस दिन मेरठ के विक्टोरिया पार्क में कांग्रेस का अंतिम अधिवेशन था और इस अधिवेशन में देश की आन बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा फहराया गया था. इस पल के गवाह बने थे मेरठ निवासी मेजर जनरल कर्नल गणपत राम नागर. अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू, सुचेता कृपलानी और जेबी कृपलानी के अलावा कर्नल शाहनवाज शामिल हुए थे. कांग्रेस के इस अधिवेशन में फहराया गया झंडा आज भी मेरठ के हस्तिनापुर में मेजर जनरल गणपत राम नागर के पौत्र देव नागर ने बड़े हिफाजत से संभालकर रखा है.
सुभाष चंद्र बोस के साथ मेजर जनरल गणपत राम नागर. नागर परिवार ने बताया कि उनके दादा जी को ये तिरंगा कांग्रेस के अधिवेशन समाप्त होने के बाद नेहरू जी ने यादगार के तौर पर दिया था. उन्होंने तिरंगा यह कहते हुए दिया था कि इस तिरंगे की हिफाजत का जिम्मा अब तुम्हारा है. उसके बाद से आज तक यानि आजादी के 75 साल बाद भी देश का ये पहला तिरंगा नागर परिवार ने बड़े हिफाजत के साथ सुरक्षित रखा है. 75 साल पुराने इस तिरंगे का आकार 14 फीट चौड़ा और 9 फीट लंबा है. नागर परिवार का कहना है कि वह इस तिरंगे की देखभाल अपनी जान से भी ज्यादा करते हैं. परिवार के लोग कहते हैं कि धरोहर के रूप में देश का पहला तिरंगा झंडा संजोकर रखना उनकी खुशकिस्मती है, इसलिए इसके मान और सम्मान के साथ ही इसकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखते हैं. वे इसको हमेशा ऐसे स्थान पर रखते हैं, जहां पर इसको संविधान के अनुसार सम्मान मिले और इसकी सुरक्षा होती रहे. 75 साल से ये तिरंगा अपने उसी स्वरूप में है, लेकिन अब और तब के इस तिरंगे में फर्क इतना है कि उस समय इसमें गांधी जी का चरखा बीच में था और अब इसके बीच में चक्र बना हुआ है. यह परिवार तिरंगे की साफ-सफाई का भी पूरा ख्याल रखता है. इस तिरंगे को वह सप्ताह में एक बार निकालकर धूप दिखाते हैं और ब्रश से इसकी सफाई भी करते हैं.
पंडित जवाहर लाल नेहरू, सुचेता कृपलानी और जेबी कृपलानी बता दें कि मेजर जनरल गणपत राम नागर का जन्म 16 अगस्त 1905 को पंडित विष्णु नागर के घर हुआ था. मेरठ कालेज से पढाई करने के दौरान उनको विदेश भेज दिया गया, जहां पर वह ब्रिटिश आर्मी में 1929 में किंग अफसर के पद पर नियुक्त हुए. इसके बाद 1939 में आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए और सुभाष चंद्र बोस के काफी नजदीक होने पर उन्हें मेजर जनरल की पोस्ट से नवाजा गया था. वाकई में ऐसे ऐतिहासिक तिरंगे की हिफाजत कर रहा ये परिवार बधाई का पात्र है.