मेरठः बीको इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के मालिक पीके जैन बैंक की मनमानी को लेकर आहत हैं. उनका आरोप है कि बैंक लोन चुकाने के लिए वह बार-बार चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बैंक उनकी संपत्ति बेचकर लोन का ब्याज वसूल रहा है. इससे परेशान होकर पूरे परिवार के साथ उन्होंने सोमवार को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी है.
प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि 1982 में गेहूं पीसने की चक्की से काम शुरू कर करोड़ों की संपत्ति बनाई. उनका आरोप है कि बैंक की गलती से उनका खाता एनपीए हो गया. बैंक का लोन चुकाने के लिए वह लगातार अधिकारियों से संपर्क करते रहे. उन्होंने सांसद राजेंद्र अग्रवाल से मिलकर अपनी पीड़ा बताई तब कुछ राहत मिली. उनका कहना है कि अब उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ी, तो उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है. बैंक उनकी करोड़ों की संपत्ति को औने पौने दाम में बेच रहा है.
पीके जैन ने बताया कि उन पर 15 करोड़ 50 लाख का मूल बकाया है. 2016 में उनके खाते को बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया. कोरोना काल के समय में उनकी 4.5 करोड़ मूल्य की दो संपत्ति बैंक ने डेढ़ करोड़ में बेच दी. बैंक जो संपत्ति बेच रही है वह उसे मूल में जमा करने के बजाय ब्याज में काट रही है.
रुड़की स्थित भगवानपुर 7,340 वर्गमीटर क्षेत्रफल में उनकी कूलर सहित अन्य इलेक्ट्राॅनिक्स उत्पादों की फैक्ट्री थी. 14 करोड़ की फैक्ट्री भी बैंक ने आठ करोड़ में बेच डाली. उन्होंने बताया कि आठ सितंबर को संपत्ति का बैनामा, सेल लेटर और उस व्यक्ति को संपत्ति पर कब्जा भी दे दिया गया है. अब उनके मेरठ के घर और शोरूम पर बैंक की नजर है. लखनऊ तक चक्कर काटे लेकिन बैंक ने ओटीएस देने से मना कर दिया है.
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प्रवीन कुमार जैन का कहना है कि बैंक की ओर से ओटीएस (एकमुश्त समाधान) का लाभ भी नहीं दिया गया है. उन पर अब भी 14 करोड़ के कर्ज का बोझ है. वहीं, फैक्ट्री में 250 कर्मचारियों का रोजगार प्रभावित हुआ है. उद्यमी ने समस्या का समाधान न होने पर सांसद को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है. सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने उद्यमी पीके जैन को सोमवार या मंगलवार तक बैंक अधिकारियों सहित वित्त मंत्री को उद्यमी की समस्या बताने का आश्वासन दिया है.
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