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ETV भारत पर बोली महिला आयोग उपाध्यक्ष, कहा- लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले

राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह दो दिवसीय मेरठ दौरे पर पहुंची. जहां उन्होंने रविवार को प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के साथ अपराधिक घटनाओं की समीक्षा बैठक की है.

सुषमा सिंह.
सुषमा सिंह.
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Published : Dec 28, 2020, 5:59 AM IST

मेरठ: राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह दो दिवसीय मेरठ दौरे पर पहुंची. जहां उन्होंने रविवार को प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के साथ अपराधिक घटनाओं की समीक्षा बैठक की है. सुषमा सिंह ने जहां प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार होने की बात कही है. वहीं लॉकडाउन काल मे घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा होने का खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में पति-पत्नी 24 घंटे साथ रहे है. जिससे घरेलू हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायते आई है. ETV भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होने से न सिर्फ पीड़िता को न्याय जल्दी मिलेगा बल्कि अपराधियो के हौंसले भी पस्त होंगे.

जानकारी देते सुषमा सिंह, उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग

अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
राज्य महिला आयोग उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने प्रशानिक अधिकारियों, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण बोर्ड समेत कई विभागों के साथ मीटिंग की है. महिला आयोग का प्रयास है कि पूरे प्रदेश में ऐसा माहौल बनाया जाए, जिससे अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है. इसके बावजूद बड़े प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद अपराधिक घटनाओं में कमी आई है।

बड़े प्रदेश में अपराध कम हो सकते हैं खत्म नहीं
ETV भारत के सवाल पर उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है. हरियाणा, उत्तराखंड छोटे प्रदेशों जैसे चार से ज्यादा प्रदेश बन सकते हैं. जिसके चलते यह कहना गलत नहीं होगा कि इतने बड़े प्रदेश में अपराध का ग्राफ बड़ा है, लेकिन यह कोई बहाना नहीं है. अगर पुलिस और प्रशासन सख्ती बरतते अलर्ट हो जाये तो अपराधिक मामलों में कमी आ सकती है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रदेश से अपराध को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कम जरूर किया जा सकता है.

महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं के लिए समाज जिम्मेदार
उन्होंने बताया कि महिलाओं का उत्पीड़न, अत्याचार, बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए हमारा समाज खुद जिम्मेदार है. इसके लिए हम दो तरह से जिम्मेदार होते हैं. एक तरह से हम समाजिक तौर से जिम्मेदार है. माता-पिता और अध्यापक को चाहिए कि वे अपने बच्चो को संस्कारों के साथ यह भी सिखाये कि वे बेटियों एवं अन्य लड़कियों के साथ कैसे व्यवहार करें, कैसे बातचीत करें? जिससे बेटियों के साथ हो रही घिनोनी घटनाएं नही हो पाएंगी.

फास्ट ट्रैक से पीड़िता को मिलेगा न्याय
वही दूसरे पहलू से कानून जिम्मेदार है. वैसे तो देश प्रदेश में बहुत सारे कानून बने है, लेकिन कानून फास्ट ट्रैक पर चले तो ऐसी पीड़ित बेटियों को जल्द ही न्याय मिल जाए. हापुड़ मामले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे हाल ही में एक मामले का समाधान हुआ है. यह मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट की नजीर है. अगर बलात्कार जैसी घटनाओं के मामलों का सामाधन जल्दी होगा तो गुनहगारों को उनका होंसला पस्त होगा. आयोग ने पीड़ित महिलाओं की शिकायत के लिए 6 विकल्प दिए हैं. ईमेल, व्हाट्सअप, डाक, वॉकिंन, फैक्स के अलावा अभी हाल ही में ऑनलाइन सुविधा चालू की है. पीड़ित महिला युपी के किसी भी शहर में बैठकर अपनी शिकायत महिला आयोग में कर सकती है.

लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की बात करें तो लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा बढ़े हैं. पति-पत्नी में मारपीट और गाली-गलौच के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं. इसका मुख्य कारण लॉकडाउन में पति-पत्नी का 24 घंटे एक साथ रहना माना जा रहा है. बता दें, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 250-300 शिकायतें प्रतिदिन महिला आयोग के पास आ रही है.

मेरठ: राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष सुषमा सिंह दो दिवसीय मेरठ दौरे पर पहुंची. जहां उन्होंने रविवार को प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के साथ अपराधिक घटनाओं की समीक्षा बैठक की है. सुषमा सिंह ने जहां प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार होने की बात कही है. वहीं लॉकडाउन काल मे घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा होने का खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में पति-पत्नी 24 घंटे साथ रहे है. जिससे घरेलू हिंसा की सबसे ज्यादा शिकायते आई है. ETV भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई होने से न सिर्फ पीड़िता को न्याय जल्दी मिलेगा बल्कि अपराधियो के हौंसले भी पस्त होंगे.

जानकारी देते सुषमा सिंह, उपाध्यक्ष राज्य महिला आयोग

अधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक
राज्य महिला आयोग उपाध्यक्ष सुषमा सिंह ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने प्रशानिक अधिकारियों, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण बोर्ड समेत कई विभागों के साथ मीटिंग की है. महिला आयोग का प्रयास है कि पूरे प्रदेश में ऐसा माहौल बनाया जाए, जिससे अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है. इसके बावजूद बड़े प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद अपराधिक घटनाओं में कमी आई है।

बड़े प्रदेश में अपराध कम हो सकते हैं खत्म नहीं
ETV भारत के सवाल पर उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है. हरियाणा, उत्तराखंड छोटे प्रदेशों जैसे चार से ज्यादा प्रदेश बन सकते हैं. जिसके चलते यह कहना गलत नहीं होगा कि इतने बड़े प्रदेश में अपराध का ग्राफ बड़ा है, लेकिन यह कोई बहाना नहीं है. अगर पुलिस और प्रशासन सख्ती बरतते अलर्ट हो जाये तो अपराधिक मामलों में कमी आ सकती है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रदेश से अपराध को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कम जरूर किया जा सकता है.

महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं के लिए समाज जिम्मेदार
उन्होंने बताया कि महिलाओं का उत्पीड़न, अत्याचार, बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए हमारा समाज खुद जिम्मेदार है. इसके लिए हम दो तरह से जिम्मेदार होते हैं. एक तरह से हम समाजिक तौर से जिम्मेदार है. माता-पिता और अध्यापक को चाहिए कि वे अपने बच्चो को संस्कारों के साथ यह भी सिखाये कि वे बेटियों एवं अन्य लड़कियों के साथ कैसे व्यवहार करें, कैसे बातचीत करें? जिससे बेटियों के साथ हो रही घिनोनी घटनाएं नही हो पाएंगी.

फास्ट ट्रैक से पीड़िता को मिलेगा न्याय
वही दूसरे पहलू से कानून जिम्मेदार है. वैसे तो देश प्रदेश में बहुत सारे कानून बने है, लेकिन कानून फास्ट ट्रैक पर चले तो ऐसी पीड़ित बेटियों को जल्द ही न्याय मिल जाए. हापुड़ मामले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे हाल ही में एक मामले का समाधान हुआ है. यह मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट की नजीर है. अगर बलात्कार जैसी घटनाओं के मामलों का सामाधन जल्दी होगा तो गुनहगारों को उनका होंसला पस्त होगा. आयोग ने पीड़ित महिलाओं की शिकायत के लिए 6 विकल्प दिए हैं. ईमेल, व्हाट्सअप, डाक, वॉकिंन, फैक्स के अलावा अभी हाल ही में ऑनलाइन सुविधा चालू की है. पीड़ित महिला युपी के किसी भी शहर में बैठकर अपनी शिकायत महिला आयोग में कर सकती है.

लॉकडाउन में बढ़े घरेलू हिंसा के मामले
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की बात करें तो लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा बढ़े हैं. पति-पत्नी में मारपीट और गाली-गलौच के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं. इसका मुख्य कारण लॉकडाउन में पति-पत्नी का 24 घंटे एक साथ रहना माना जा रहा है. बता दें, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 250-300 शिकायतें प्रतिदिन महिला आयोग के पास आ रही है.

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