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सावधान! इस जिले में हर दिन 5 लोगों के एकाउंट खाली कर रहे साइबर ठग, ऐसे बचें

सतर्क हो जाइए नहीं तो आपके मोबाइल पर आने वाली अनचाही कॉल या अंजान सन्देश आपके खाते तक पहुंचकर आपको ठगी का शिकार बना सकता है. साइबर ठग अपने मायाजाल में फंसाने को लालच देंगे, ये ठग लुभावने ऑफर से आपको चूना लगा सकते हैं. मेरठ में तो हर दिन कम से कम पांच मामले ऐसे सामने आ रहे हैं, जिनमें लोगों के खाते से साइबर ठग रकम साफ कर रहे हैं.

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Published : Sep 15, 2021, 1:11 PM IST

मेरठ में बढ़ती साइबर ठगी.
मेरठ में बढ़ती साइबर ठगी.

मेरठ: जैसे-जैसे हम डिजिटल हो रहे हैं, वैसे ही अपराधियों का अपराध करने का तरीका भी अब डिजिटल होता जा रहा है. यही वजह है कि खाते से रकम साफ होने की घटना सुर्खियों में रहती है. मेरठ जिले की अगर बात करें, तो यहां तो साइबर ठगों ने ऐसा आतंक मचाया हुआ है कि हर दिन कम से कम पांच लोगों के साथ फ्रॉड हो रहा है. ये हम नहीं कहते, बल्कि ये वो आंकड़े हैं, जो साइबर सेल ने इस साल दर्ज किए हैं.

मेरठ में बढ़ती साइबर ठगी.

एसपी क्राइम अनित कुमार का कहना है कि इस साल में अभी तक लगभग एक हजार चार सौ मामले साइबर क्राइम के दर्ज किए गए हैं. वह कहते हैं कि इस पूरे साल में साइबर ठगों ने करीब एक करोड़ रुपये की अलग-अलग खातों तक पहुंचकर ऑनलाइन ठगी की है. जिले में साइबर अपराधियों की कुंडलियां लगातार खंगाली जा रही हैं. साइबरसेल सक्रिय होकर कार्य कर रही है. ठगी की करीब एक करोड़ रुपये की रकम में से लगभग 60 लाख रुपये तो उनकी टीम ने ठगों को खोजकर वापिस भी शिकायतकर्ताओं को दिलवाने का काम किया है.

एसपी क्राइम का कहना है कि आमतौर पर ये ठग प्रलोभन देते हैं. कुछ लिंक्स मोबाइल फोन पर भेजते हैं, ऐसे में कई लोग अंजाने में उन्हें ओपन कर आगे बढ़ते चले जाते हैं, जबकि कुछ लोग किसी तरह के ऑफर या प्रलोभन की वजह से ठगी का शिकार हो जाते हैं.

इस बारे में साइबरमामलों के जानकार व वरिष्ठ एडवोकेट रामकुमार शर्मा का कहना है कि अभी सरकारों को इस तरफ गंभीरता से विचार करना होगा. कुछ ठोस कदम उठाने होंगे. राजकुमार कहते हैं कि साइबर ठग बेहद एडवांस्ड हैं, जबकि सरकारी सिस्टम में अभी उतनी गतिशीलता नहीं है. उनका कहना है कि बेहद एडवांस सरकारी मशीनरी को भी होना होगा, नहीं तो ठगी करने वाले साइबर टप्पेबाजों के हौंसले बुलन्द ही बने रहेंगे.

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन ठगी के शिकार होने से तभी बचा जा सकता है, जब हम जागरूक हों व अनचाहे संदेशों व फोन कॉल को नजरअंदाज करें. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अधिकतर मामलों में देखा गया है कि ठगी तभी होती है, जब हम किसी प्रलोभन में आते हैं. लिहाजा घर बैठे मुफ्त में मिलने वाले प्रलोभनों, ऑफर मिलने पर हमें सतर्क हो जाना चाहिए. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि तत्काल ऐसा प्रतीत होने पर हो सके तो ऐसे मामलों में पुलिस से शिकायत की जाए.

बहरहाल, हाल की अगर बात करें तो जिस तेजी से साइबर अपराधी लोगों के बैंक अकाउंट तक पहुंचते हैं, उसके पीछे मोबाइल उपभोक्ता भी कहीं न कहीं लालच में आ जाता है, जिसके बाद फिर जब उसके खाते से ठगी होने की घंटी बजती है, तभी उसे कुछ समझ आता है. जरूरत है जागरूक रहने व सतर्क रहने की. इसलिए हम सबको जागरूक होकर इस फ्रॉड से बचना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- फौजी बनकर चश्मा कारोबारी से की ठगी, गूगल पे से उड़ा दिए 90 हजार रुपये

मेरठ: जैसे-जैसे हम डिजिटल हो रहे हैं, वैसे ही अपराधियों का अपराध करने का तरीका भी अब डिजिटल होता जा रहा है. यही वजह है कि खाते से रकम साफ होने की घटना सुर्खियों में रहती है. मेरठ जिले की अगर बात करें, तो यहां तो साइबर ठगों ने ऐसा आतंक मचाया हुआ है कि हर दिन कम से कम पांच लोगों के साथ फ्रॉड हो रहा है. ये हम नहीं कहते, बल्कि ये वो आंकड़े हैं, जो साइबर सेल ने इस साल दर्ज किए हैं.

मेरठ में बढ़ती साइबर ठगी.

एसपी क्राइम अनित कुमार का कहना है कि इस साल में अभी तक लगभग एक हजार चार सौ मामले साइबर क्राइम के दर्ज किए गए हैं. वह कहते हैं कि इस पूरे साल में साइबर ठगों ने करीब एक करोड़ रुपये की अलग-अलग खातों तक पहुंचकर ऑनलाइन ठगी की है. जिले में साइबर अपराधियों की कुंडलियां लगातार खंगाली जा रही हैं. साइबरसेल सक्रिय होकर कार्य कर रही है. ठगी की करीब एक करोड़ रुपये की रकम में से लगभग 60 लाख रुपये तो उनकी टीम ने ठगों को खोजकर वापिस भी शिकायतकर्ताओं को दिलवाने का काम किया है.

एसपी क्राइम का कहना है कि आमतौर पर ये ठग प्रलोभन देते हैं. कुछ लिंक्स मोबाइल फोन पर भेजते हैं, ऐसे में कई लोग अंजाने में उन्हें ओपन कर आगे बढ़ते चले जाते हैं, जबकि कुछ लोग किसी तरह के ऑफर या प्रलोभन की वजह से ठगी का शिकार हो जाते हैं.

इस बारे में साइबरमामलों के जानकार व वरिष्ठ एडवोकेट रामकुमार शर्मा का कहना है कि अभी सरकारों को इस तरफ गंभीरता से विचार करना होगा. कुछ ठोस कदम उठाने होंगे. राजकुमार कहते हैं कि साइबर ठग बेहद एडवांस्ड हैं, जबकि सरकारी सिस्टम में अभी उतनी गतिशीलता नहीं है. उनका कहना है कि बेहद एडवांस सरकारी मशीनरी को भी होना होगा, नहीं तो ठगी करने वाले साइबर टप्पेबाजों के हौंसले बुलन्द ही बने रहेंगे.

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन ठगी के शिकार होने से तभी बचा जा सकता है, जब हम जागरूक हों व अनचाहे संदेशों व फोन कॉल को नजरअंदाज करें. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अधिकतर मामलों में देखा गया है कि ठगी तभी होती है, जब हम किसी प्रलोभन में आते हैं. लिहाजा घर बैठे मुफ्त में मिलने वाले प्रलोभनों, ऑफर मिलने पर हमें सतर्क हो जाना चाहिए. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि तत्काल ऐसा प्रतीत होने पर हो सके तो ऐसे मामलों में पुलिस से शिकायत की जाए.

बहरहाल, हाल की अगर बात करें तो जिस तेजी से साइबर अपराधी लोगों के बैंक अकाउंट तक पहुंचते हैं, उसके पीछे मोबाइल उपभोक्ता भी कहीं न कहीं लालच में आ जाता है, जिसके बाद फिर जब उसके खाते से ठगी होने की घंटी बजती है, तभी उसे कुछ समझ आता है. जरूरत है जागरूक रहने व सतर्क रहने की. इसलिए हम सबको जागरूक होकर इस फ्रॉड से बचना चाहिए.

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