मेरठ: केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) के तहत खाली हाथों को काम देने के लिए प्रयत्नशील है. ऐसा समय-समय पर प्रचारित भी किया जाता है. वर्षों पहले मेरठ मंडल में मनरेगा लोकपाल के पद को सृजित किया गया. ताकि हर गड़बड़ी की शिकायत की जांच पड़ताल की जा सके. साथ ही ऐसे जनप्रतिनिधि या जिम्मेदार सरकारी मशीनरी से जुड़े घपलेबाजों पर कार्रवाई की जा सके.
मेरठ मंडल के हर जिले में ऐसे तमाम मामले मनरेगा लोकपाल की जांच में सामने आए हैं. इनमें सरकारी पैसे की बंदरबांट हुई हुई है. मामला सामने आने पर भी ऐसे लोगों के खिलाफ रिपोर्ट तक भी दर्ज नहीं की गई है. जबकि मनरेगा लोकपाल की तरफ से की गई जांच में घोटाले पकड़ में आए हैं.
मनरेगा लोकपाल के तौर पर नियुक्त अंशु त्यागी बताती हैं कि मंडल के जिलों में अब तक ऐसे करीब 20 BDO (Block Development Officer) हैं जो कि मनरेगा के तहत किए गए कार्यों में गड़बड़ी करने में संलिप्त पाए गए हैं. उन्होंने बताया कि यदि कहीं कोई कार्य कराया जाता है तो उसमें BDO समेत ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सेक्रेटरी समेत करीब 6 से 7 अलग-अलग पदों पर सेवा दे रहे लोग जिम्मेदार होते हैं.
अंशु त्यागी ने बताया कि तमाम साक्ष्यों को संकलित करने के बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार की है. आगे की कार्रवाई के लिए सरकार और संबंधित जिले के डीएम को मुकदमा दर्ज कराने व गड़बड़ी करने वाले घपलेबाजों से रिकवरी करने के लिए कहा है. लेकिन बीते कई वर्षों से अब तक सिर्फ बुलन्दशहर में ही केवल एक मामले में मुकदमा लिखा गया है. BDO समेत उन सभी लोगों से उस पैसे की वसूली की गई, जिसे अफसरों ने फर्जी काम दिखाकर फर्जी ढंग से गबन किया था.
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अंशु त्यागी ने बताया कि उनकी रिपोर्ट में तमाम आधार व तथ्य हैं, जिनमें धांधली और घोटाले की पुष्टि हुई है. लेकिन न जाने वो क्या वजह है कि ऐसे भ्रष्टाचार करने पर पर मंडल के जिलों में एक्शन नहीं लिया जा रहा है. बुधवार को भी 8 BDO समेत ग्राम प्रधानों, पंचायत सेक्रेट्री आदि के खिलाफ मनरेगा में सरकारी पैसे के बंदरबांट करने के मामले में एफआईआर व रिकवरी के लिए शासन को रिपोर्ट दी है. साथ ही सम्बंधित जिलाधिकारियों से भी इस मामलों में एक्शन लेने के लिए कहा गया है.
मनरेगा लोकपाल को मिलती हैं धमकियां
मनरेगा लोकपाल अंशु त्यागी बताती हैं कि उन्हें तमाम तरह की धमकियां मिल रही है. शासन से कहा गया है कि एक सप्ताह में डीएम ऐसे लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके रिकवरी के आदेश दें. लेकिन 2019 से ऐसे मामले लगातार पेंडिंग हैं, जहां सरकारी पैसे की लूट हुई है. इन मामलो में अब तक कार्रवाई नहीं की गई है. भारतीय किसान मंच की प्रदेश अध्यक्ष नेहा गौतम शर्मा का कहना है कि यह एक गंभीर विषय हैं. ऐसे मामलों में कार्रवाई न करके शासन भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है.
यहां हुआ मनरेगा में गोलमाल
गांव जई-ब्लॉक माछरा, भटीपुरा-ब्लॉक माछरा, मावी-ब्लॉक माछरा में BDO गोपाल गोयल समेत एक्स प्रधान,पंचायत सेक्रेटरी ने सरकारी धन की बंदरबांट की है. इसी तरह पिपलिखेड़ा ब्लॉक- खरखोदा, दुदली खादर ब्लॉक -हस्तिनापुर, नरावली- ब्लॉक मवाना, बुलंदशहर जिले के गांव बुढ़ाना ब्लॉक लखावटी में भी मनरेगा घोटाला हुआ. बागपत जिले में अमीपुर बलेनी -पिलाना ब्लॉक में गोलमाल हुआ, इनका संरक्षण अधिकारी के पास चार्ज था. वहीं, हापुड़ में कनिया कल्याणपुर, ब्लॉक सिम्भावली, गांव खिलवई ब्लॉक - गढ़मुक्तेश्वर, माधोपुर मौजमपुर -ब्लॉक गढ़मुक्तेश्वर, अलीपुर ब्लॉक - सिम्भावली ब्लॉक, हापुड़ का सोलाना गांव, गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद जिले में भी खण्डविकास अधिकारियों, पंचायत सेक्रेटरी, ग्राम प्रधान समेत अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसे की बंदरबाट की गई. मनरेगा की जांच में पाया गया है कि कहीं कोई कार्य हुआ ही नहीं.
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