मेरठ: आयुक्त सभागार में गन्ना मूल्य भुगतान की मंडलीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए आयुक्त अनीता सी. मेश्राम ने कहा कि किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान सर्वोच्च प्राथमिकता पर कराया जाए. उन्होंने कहा कि गन्ना भुगतान की धनराशि किसानों की है, इसलिए कोई भी चीनी मिल, चीनी बिक्री व अन्य मदों से प्राप्त धनराशि का डायवर्जन न करें, यह स्वीकार्य नहीं होगा.
लंबित भुगतानों की जानकारी ली
आयुक्त अनीता सी. मेश्राम ने एक-एक कर सभी चीनी मिलों के प्रबंधकों से गत पेराई सत्र व वर्तमान पेराई सत्र में गन्ना मूल्य के लंबित भुगतानों की जानकारी ली. साथ ही सभी चीनी मिल प्रबंधकों को निर्देशित किया कि वे गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को करना सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखें. उन्होने कहा कि गन्ना मूल्य के भुगतान के रूप में चीनी की बिक्री एक वैकल्पिक रूप में चीनी मिल परिसर के अंदर बिक्री केन्द्र (सेल प्वॉइंट) बनाया जाए और उसका प्रचार-प्रसार भी कराया जाए.
उप गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र ने बताया कि किसान गन्ने के अवशेष न जलाएं, इसके लिए फार्म मशीनरी बैंक स्थापित है. यहां से किसान मल्चर आदि मशीनें किराए पर उपयोग के लिए ले जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि इन मशीनों से किसानों को फायदा है.
इतने का हुआ भुगतान
उन्होंने बताया कि पेराई सत्र 2019-20 में मंडल की 16 चीनी मिलों ने 2 फरवरी 2021 तक 91.01 प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान किया है, जिसमें 14409.42 लाख रुपये हैं. मेरठ की किनौनी शुगर मिल ने 2 फरवरी 2021 तक 94.76 प्रतिशत भुगतान किया है. शेष पांचों मिलों ने भी गत पेराई सत्र का शत-प्रतिशत भुगतान कर दिया है, जिसमें 37065.20 लाख रुपये हैं. किनौनी शुगर मिल को एक सप्ताह में गत पेराई सत्र के अवशेष का भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं.