मेरठः उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर चारों ओर चर्चाओं का बाजार गर्म है. गांव से लेकर चौक चौराहों तक लोग राजनीति की बातों में मशगूल हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने लोगों के मन की टोह ली कि सरकार के कामकाज से लोग कितने संतुष्ट हैं. सीएम योगी की लोग तारीफ तो जरूर करते दिख रहे हैं. लेकिन जनप्रतिनिधियों का विरोध भी लोग मुखर होकर करते दिखाई दे रहे हैं.
यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में अब सभी राजनैतिक दल भी लगातार सक्रिय हो गए हैं. मंच सजने लगे हैं. फिर एक बार दूरदराज के गांवों से लेकर शहर तक असल मुद्दों पर चर्चाएं होने लगी हैं. ईटीवी भारत को लोगों ने बताया कि सरकार का नेतृत्व कर रहे योगी से उन्हें कोई शिकायत नहीं है. लेकिन सांसद और विधायक जनता के बीच नहीं पहुंच रहे हैं. कोई ऐसा विकास कार्य नहीं हुआ जिससे बदलाव हुआ हो.
ईटीवी भारत ने आम लोगों से बात कर जाना की सरकार से क्या चाहते थे. क्या उम्मीद थी जनप्रतिनिधी कितने उनकी कसौटियों पर खते उतरे. हालांकि सीएम योगी के नेतृत्व से सभी सन्तुष्ट नजर आए. वहीं स्थाई जनप्रतिनिधियों के रवैये से लोग नाखुश हैं. ईटीवी भारत से किसानों ने बताया कि सरकार ने किसानों के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत थी. किसान ने बताया कि पश्चिम में गन्ना सबसे मजबूत फसल है. लेकिन डीजल, पेट्रोल से लेकर बिजली के बिलों में तो खूब बढ़ोतरी हुई है. मगर इस सरकार ने गन्ना किसानों की ओर अबतक नहीं देखा.
किसानों का मानना है कि सरकार किसानों की वास्तविक स्थिति का आंकलन करे. इस दौरान कई किसानों ने कहा कि प्रदेश में सीएम योगी लोकप्रिय हैं. उनका नेतृत्व भी उन लोगों को पसंद है. लेकिन जनता के हितों को समझते हुए सरकार महंगाई पर नकेल लगाने में असफल साबित हुई है. कुछ युवाओं ने तो यहां तक भी कहा कि वर्तमान सरकार और पूर्ववर्ती सरकारों में कोई खास अंतर नहीं रहा. लेकिन उन्हें योगी आदित्यनाथ जैसे प्रभावशाली और मजबूत नेता से उम्मीद थी कि सरकार कुछ ऐसे कदम उठाएगी जिससे आमजन व किसान मजदूर की स्थिति में सुधार होगा. लेकिन अब न तो कुछ ऐसा बदलाव नहीं हुआ. उल्टा अब हाल फिलहाल तो स्थिति ये हैं कि जाएं तो जाएं कहां.
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हालांकि लोगों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि पूर्व के नेतृत्व से सीएम योगी का नेतृत्व उन्हें पसन्द है. वहीं कुछ ने कहा क्योंकि योगी से बेहतर विकल्प भी अभी लोगों को दिखाई नहीं देता. जिस वजह से वो योगी को बाकी से ठीक मानते हैं. किसानों का मानना है कि वो करें भी तो क्या करें किसान को फसल का वाजिब रेट नहीं मिल रहा. गन्ने के मूल्य में सरकार ने अब तक के कार्यकाल में एक रुपया भी नहीं बढ़ाया. किसानों ने कहा कि सरकार तो बनी. लेकिन उनके द्वारा चुने गए सांसद व विधायकों ने उसके बाद सुध लेना उचित नहीं समझा. स्थानीय सांसद व विधायक के प्रति लोगों में नाराजगी है.