मेरठ: सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोवंश संरक्षण योजना के तहत बेसहारा गोवंश पालने वाले किसानों को 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देने की योजना को मंजूरी दी थी. इसके बाद भी मेरठ की सड़कों पर खुलेआम कान में अपनी पहचान का टैग लटकाए गोवंश गलियों में घूम रहे हैं. सरकारी अधिकारियों द्वारा ऐसे लोगों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है. ईटीवी भारत की पड़ताल पर तमाम चीजें निकलकर सामने आई.
संरक्षित गोवंश पर प्रतिदन 30 रुपये का प्रावधान
उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा है कि सड़कों पर टहलने वाले बेसहारा गोवंशों को गौ आश्रय स्थल में पहुंचा कर उनका ध्यान रखा जाए. इसके पालन के लिए सरकार द्वारा एक पशु पर प्रतिदिन के हिसाब से 30 रुपये दिए जाने का प्रवाधान है. मेरठ के अधिकारियों के अनुसार गौ आश्रय स्थलों में क्षमता से अधिक गोवंश संरक्षित किया जा रहा है. जबकि शहर से लेकर गांव तक और धूप से लेकर छांव तक बेसहारा निराश्रित गोवंश गलियों में भटक रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम द्वारा इसकी पड़ताल करने पर पता चला कि सरकारी मशीनरी पर सूबे के मुख्यमंत्री का आदेश का असर ही नहीं है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्हें जो लक्ष्य मिला हुआ है वह पूरा है. अधिकारियों के मुताबिक मेरठ मंडल के हर जिले में प्राप्त लक्ष्य से अधिक गोवंश संरक्षित हैं.
मेंरठ में 7350 गोवंशों को दिया गया संरक्षण
मेरठ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अखिलेश गर्ग ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि जनपद में लक्ष्य से अधिक गोवंश संरक्षित हैं. मेरठ में 7019 गोवंश संरक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था. जबकि मौजूदा समय में मेरठ में 7350 गोवंश का संरक्षण किया गया है. उन्होंने बताया कि अब भी सड़कों पर जो गोवंश दिखाई देते हैं. वहां के जिम्मेदार अधिकारी को सूचना देकर उन्हें संरक्षित कराते हैं. लेकिन पशु पालकों द्वारा लगातार उन्हें छोड़ने की वजह से यह समस्या उत्पन्न हो रही है.
मेरठ में 26 गौशालाएं संचालित
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मेरठ में कुल 26 गौशालाएं संचालित की जा रही हैं. जिनमें 13 अस्थाई गौ आश्रय स्थल, 3 स्थाई गौ आश्रय स्थल, 4 कान्हा गौशाला और 6 काजी हाउस हैं. जिसमें 7350 गोवंश संरक्षित हैं. उनमें से 1564 गोवंश सहभागिता योजना को दिए गए हैं. जबकि लक्ष्य 1857 का लक्ष्य है. इसके अलावा सभी नगर पंचायतों, नगर पालिकाओं समेत प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर भी जिम्मेदार अधिकारिओं को निर्देश दिया गया है कि सड़कों पर टहलने वाले गोवंश को पकडकर गौ आश्रय स्थलों पर पहुंचाएं.
बेजुबान गोवंश दर-दर भटक रहे
वहीं, मेरठ के लोगों कहना है कि गौ आश्रय स्थल में रहने वाले गोवंश की अपनी एक पहचान है. उनके कानों में पीले रंग का एक टैग पहनाया हुआ है. जिससे पता चल जाता है कि वह किस गौशाला की हैं. इसके बावजूद भी अधिकारी ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. जिसकी वजह से यह समस्या बढ़ती जा रही है. जबकि सड़कों पर बेजुबान गोवंश दर-दर भटक रहे हैं. सरकार द्वारा ऐसे पशु पालन करने वालों को पैसा देने का क्या मतलब है. इन पैसों से बेजुबानों का भला नहीं होने वाला है. सरकार को ऐसे पशु पालकों पर कार्रवाई करनी चाहिए.
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