मेरठ: आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद शनिवार को मेरठ पहुंचे. यहां उन्होंने बीजेपी सरकार को आड़े हाथ लिया, साथ ही किसान आंदोलन का खुला समर्थन किया. चंद्रशेखर ने कहा कि बीजेपी सरकार उन किसानों का शोषण कर रही है, जिन्होंने अपना वोट देकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई है. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अब यही किसान आंदोलन बीजेपी सरकार के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम करेगा.
बता दें कि आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद बुढ़ाना गेट के पास अपार चेंबर में प्रेस वार्ता करने पहुंचे. इस दौरान चंद्रशेखर के पहुंचने से पहले ही पुलिस ने अपार चेंबर को ताला लगा दिया और प्रेस वार्ता को कैंसिल कराने की कोशिश की. इसके बाद ASP अध्यक्ष ने सड़क पर ही प्रेस वार्ता शुरू कर दी. प्रेस वार्ता में चंद्रशेखर ने न सिर्फ पुलिस को खरीखोटी सुनाई बल्कि योगी एवं मोदी सरकार को तानाशाह करार दिया है.
चन्द्र शेखर आजाद ने कहा कि सरकार उनकी प्रेसवार्ता रोक कर चाहती है कि ASP अध्यक्ष और कार्यकर्ता हंगामा खड़ा करें, जिससे सरकार को कोई उनके खिलाफ कार्रवाई करने का बहाना मिल जाये. सरकार आम जनता की अभिव्यति की आजादी छीनना चाहती है, जिससे साफ हो रहा है कि सरकार गरीब एवं किसानों को आवाज दबाना चाहती है. किसान संगठन पिछले 66 दिनों से काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. कड़ाके की ठंड में किसान घर बार छोड़ कर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार केवल कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए ये कृषि कानून बनाये है. इन कानूनों के लागू होने के बाद किसानों की फसल पर अंबानी अडानी का कब्जा हो जाएगा, यानी कॉरपोरेट कंपनियां सस्ते दामों पर फसल खरीद कर महंगे दामों में बेचेगी. यही किसान आंदोलन सरकार के ताबूत में आखिरी कील ठोकने का काम करेगा.
लंबे समय से चल रहे आंदोलन को लेकर चन्द्र शेखर आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी किसान आंदोलन का समर्थन करती है. शुक्रवार को वह खुद गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत के साथ रहे हैं. इस दौरान उन्होंने साफ कहा है कि अगर किसान आंदोलन को लेकर अगर सरकार गोलियां चलाती है, तो सबसे पहले आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ चंद्रशेखर अपने सीने पर खायेगा. चंद्रशेखर ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह लाल किले पर झंडा फहराने की घटना हुई है, वह बीजेपी की सोची समझी साजिश है, जिससे किसान आंदोलन को खत्म किया जा सके. लेकिन सरकार उसमें नाकाम हुई है. किसानों पर लाठियां बरसाकर सरकार और पुलिस ने जो कृत्य किया है वह बर्दास्त से बाहर है.