मेरठः कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में जेवलिन थ्रो में जिले के बहादुरपुर की बेटी अन्नू रानी ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. खेत में चोरी-छिपे अभ्यास करने वाली अन्नू रानी पर आज हर किसी को गर्व है. हालांकि एक दौर वो भी था जब सुविधाओं के अभाव में अन्नू के पिता ने उन्हें खेलने से मना कर दिया था. लेकिन अन्नू ने हार नहीं मानी और आज लाखों-करोड़ों बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं. देश के इतिहास में ऐसा पहली बार है, जब कोई भारतीय महिला जेवलिन थ्रो गेम में मेडल जीतकर आई हैं.
मेरठ के सरधना तहसील के गांव बहादुरपुर को अब हर कोई जान चुका है. यहां की बेटी अन्नू रानी ने मुश्किल हालात में भी हिम्मत नहीं हारी और तमाम परेशानियों के बावजूद सभी बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए अपने लक्ष्य को हासिल किया.अन्नू ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद 82 साल से देश कर रहा था. जेवलिन थ्रो गेम में किसी भारतीय महिला को पदक जीतने की. कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ी अन्नु रानी ने कांस्य पदक जीतकर सभी को चौंका दिया.
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गरीबी को बेहद करीबी से देखा है-अन्नू रानीः अन्नू का कहना है कि उनके पिता उनके खेलों की तरफ दिमाग लगाने से शुरु से मना करते थे. वे बताती हैं कि घर में वे पांच भाई बहन हैं और कमाने वाला कोई भी नहीं था. थोड़ी सी जमीन है पिता किसी तरह खेती किसानी करके परिवार के खर्च चला रहे थे. अन्नू बताती हैं कि वे जब खेत खाली होता था, तो वहीं चोरी से बांस या गन्ने से प्रेक्टिस करती थीं. अन्नू बताती हैं कि उन्होंने गरीबी को करीब से देखा है बिना संसाधनों के अपने सपनों को पूरा करने को कोशिश की हैं. अन्नू रानी के अनुसार 2010 से वो ये सोच कर गुपचुप तरिके से तैयारी कर रही थीं कि कुछ तो करके दिखाना है. अन्नू बताती हैं कि वह जिस क्षेत्र से वे ताल्लुक रखती हैं, वहां लड़कियों और लड़कों के लिए पहले से ही तय हो जाता है कि उन्हें क्या करना है.
भूखे पेट भी जीती प्रतियोगिता- अन्नू रानीः ईटीवी भारत से बात करते हुए अन्नू रानी ने बताया कि सबसे पहली बार जब वो एक भाल फेंक प्रतियोगिता जीतकर आई, तो परिवार ने कहा था कि आर्थिक तंगी है कुछ नहीं हो पाएगा. लेकिन उस वक्त उनके स्कूल के पीटीआई और नजदीक के आश्रम के स्वामी जी ने परिजनों को समझाया. उसके बाद उनके पिता ने चाहे जो भी हालात रहे हमेशा उन्हें सपोर्ट किया. अन्नू कहती हैं कि उनके परिवार ने उनपर भरोसा किया साथ ही उनके गुरुजनों ने भी उनकी जरूरच पढ़ने पर आर्थिक मदद की.
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अपनी तैयारियों को लेकर अन्नू ने बताया कि कभी-कभी भूखे पेट, बिना जरूरी सामान के भी अलग अलग प्रतियोगिताओं में भाग लिया. रेलगाड़ी में फर्श पर लेटकर उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए यात्राएं कीं. एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें चोट लग गई और लगा अब सब कुछ खत्म हो गया है. लेकिन परिवार और गुरुजनों के मनोबल बढ़ाने से उन्होंने अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने के ईमानदारी से कोशिशें कीं और उसी का नतीजा है कि आज वे 82 साल बाद पहली ऐसी महिला खिलाड़ी बन गयी हैं जो कि देश के लिए जेवलिन में पहली बार मैडल ला पाई हैं.
अब करूंगी वर्ल्ड चैपियनशिप की तैयारी- अन्नू रानीः वहीं अन्नू के पिता कहते है कि, बेटियां बेटों से ज्यादा नाम रोशन करती हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व होता है जब लोग उनसे कहते हैं कि ये अन्नू रानी के पिता हैं. इस दौरान अन्नू ने अपने आगे की तैयारियों को लेकर कहा कि वो अब वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए तैयारी में जुट जाएंगी. अभी वो अन्य पदक विजेताओं के साथ पीएम मोदी से मिलने जा रही हैं. पीएम मोदी और सीएम योगी के द्वारा खिलाड़ियों के मनोबल बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी अन्नू रानी ने सराहना की.
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