मेरठ: जिले में बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद तोमर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि फसल की खेत में बुआई से पहले यदि उस खेत में हरी खाद का इस्तेमाल किया जाए, तो यह फसलों के लिए सबसे अधिक लाभकारी साबित होती है. इससे न केवल जैविक खेती को बढ़ावा मिलता है बल्कि प्राकृतिक तरीके से ही खेत नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर लेता है. धान की रोपाई से पहले खेत में हरी खाद किसी वरदान से कम नहीं होती है.
खेत में हरी खाद का करें इस्तेमाल
किसान धान की फसल से पहले खेत में मूंग की फसल से इसका दोहरा लाभ मिलता है. मूंग की फसल काटने से किसान को दलहन की उपज मिलती है. डॉ. प्रमोद तोमर ने बताया कि दलहनी फसलों की जड़ों में सबसे अधिक नाइट्रोजन होता है. जब खेत में दलहनी फसलों की जुताई की जाती है तब खेत में लंबे समय तक धीरे-धीरे नाइट्रोजन फसल को प्राप्त होती रहती है. प्राकृतिक तरीके से नाइट्रोजन मिलने से किसान को अपनी फसल में यूरिया का इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं पड़ती. वहीं बेहद कम मात्रा में उसे उर्वरकों का इस्तेमाल करना पड़ता है.
कैसे करें खेत की तैयारी
डॉ. प्रमोद तोमर ने बताया कि किसान धान लगाने से पहले खेत में खड़ी हरी खाद वाली फसलों को सूखे खेत में जुताई करते हैं. ऐसा करने से उतना लाभ नहीं मिलता जितना लाभ खेत में पानी भरकर हरी खाद की जुताई करने से मिलता है. धान की फसल काटने से पहले पानी भरकर खेत की जुताई करने से पोषक तत्व लंबे समय तक बने रहते हैं, जबकि सूखे खेत में हरी खाद की जुताई करने से वह जल्दी सूख जाती है.
साल में एक बार हरी खाद का करें इस्तेमाल
किसानों को अपने खेत में साल में एक बार हरी खाद का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है बल्कि किसानों को फसल में उर्वरक का इस्तेमाल कम करना पड़ता है. खेत की मिट्टी की समय-समय पर जांच कराने से किसानों को यह पता चलता रहेगा कि उसके खेत की मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की कमी है.