मेरठ: जिले के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में मार्च 2018 में एमबीबीएस की कॉपी बदले का मामला सामने आया था. इस मामले में दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया था. यूनिवर्सिटी ने दोनों छात्रों पर यूएफएम में कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध भी लगा दिया था. इस मामले में छात्रों को एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए जेल भेजा था.
प्रतिबंध के बावजूद किया रिजल्ट ऑनलाइन
आरोप है कि दोनों आरोपी छात्रों का प्रोफेशनल सेक्शन में तैनात रहे चार प्रभारियों ने मिलीभगत कर रिजल्ट ऑनलाइन जारी कर दिया. रिजल्ट ऑनलाइन जारी होने के बाद ये छात्र यूएफएम की श्रेणी में होने के बाद भी अगली कक्षा के फार्म भरते गए. गुरुवार को जांच कर रही एसआईटी ने जब पुराना रिकॉर्ड खंगाला, तब यह मामला पकड़ में आया. बताया जा रहा है कि तत्कालीन रजिस्ट्रार ने प्रोफेशल सेक्शन के प्रभारी को पत्र लिखकर इनका रिजल्ट रोकने के आदेश दिए थे. मगर उनका यह आदेश परीक्षा और कंप्यूटर विभाग में नहीं भेजा गया.
देर रात चली बैठक के बाद किया सस्पेंड
यह मामला पकड़ में आने के बाद शुक्रवार को देर शाम कुलपति ने आपात बैठक बुलाई. कई घंटे चली आपात बैठक में निर्णय लेते हुए कुलपति ने तत्काल प्रभाव से 4 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया और जांच के लिए एक समिति का गठन कर दिया. यूनिवर्सिटी के सहायक प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र गुप्ता ने बताया कि जिन कर्मचारियोंं को सस्पेंड किया गया है, उनमें कार्यालय अधीक्षक अमित कौशिक, प्रभारी हर्ष गुप्ता, प्रभारी राजकुमार गौतम और वरिष्ठ सहायक तृप्ति रस्तोगी शामिल हैं. ये चारों 2018 से 2020 तक प्रोफेशनल सेल में कार्यरत रहे.
MBBS कॉपी घोटाला: चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के 4 कर्मचारी सस्पेंड - एमबीबीएस कॉपी घोटाला
मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में वर्ष 2018 में हुए एमबीबीएस कॉपी घोटाले में बड़ी कार्रवाई हुई है. इसमें शामिल आरोपियों का रिजल्ट ऑनलाइन जारी करने के मामले में यूनिवर्सिटी के 4 कर्मचारियों को कुलपति ने सस्पेंड कर दिया है. आरोपी दोनों छात्रों के बीते वर्षों के रिजल्ट भी निरस्त कर दिए गए हैं.
मेरठ: जिले के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में मार्च 2018 में एमबीबीएस की कॉपी बदले का मामला सामने आया था. इस मामले में दो छात्रों को गिरफ्तार किया गया था. यूनिवर्सिटी ने दोनों छात्रों पर यूएफएम में कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध भी लगा दिया था. इस मामले में छात्रों को एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए जेल भेजा था.
प्रतिबंध के बावजूद किया रिजल्ट ऑनलाइन
आरोप है कि दोनों आरोपी छात्रों का प्रोफेशनल सेक्शन में तैनात रहे चार प्रभारियों ने मिलीभगत कर रिजल्ट ऑनलाइन जारी कर दिया. रिजल्ट ऑनलाइन जारी होने के बाद ये छात्र यूएफएम की श्रेणी में होने के बाद भी अगली कक्षा के फार्म भरते गए. गुरुवार को जांच कर रही एसआईटी ने जब पुराना रिकॉर्ड खंगाला, तब यह मामला पकड़ में आया. बताया जा रहा है कि तत्कालीन रजिस्ट्रार ने प्रोफेशल सेक्शन के प्रभारी को पत्र लिखकर इनका रिजल्ट रोकने के आदेश दिए थे. मगर उनका यह आदेश परीक्षा और कंप्यूटर विभाग में नहीं भेजा गया.
देर रात चली बैठक के बाद किया सस्पेंड
यह मामला पकड़ में आने के बाद शुक्रवार को देर शाम कुलपति ने आपात बैठक बुलाई. कई घंटे चली आपात बैठक में निर्णय लेते हुए कुलपति ने तत्काल प्रभाव से 4 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया और जांच के लिए एक समिति का गठन कर दिया. यूनिवर्सिटी के सहायक प्रेस प्रवक्ता मितेंद्र गुप्ता ने बताया कि जिन कर्मचारियोंं को सस्पेंड किया गया है, उनमें कार्यालय अधीक्षक अमित कौशिक, प्रभारी हर्ष गुप्ता, प्रभारी राजकुमार गौतम और वरिष्ठ सहायक तृप्ति रस्तोगी शामिल हैं. ये चारों 2018 से 2020 तक प्रोफेशनल सेल में कार्यरत रहे.