मेरठ: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत आज ही के दिन यानी दस मई 1857 को मेरठ से हुई थी. क्रांति दिवस के तौर पर देश आज 165वीं वर्षगांठ मना रहा है. आज ही के दिन मेरठ से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत देश में हुई थी. 1857 से लेकर 1947 तक के इतिहास को मेरठ के राजकीय स्वतंत्रता संग्रहालय में संजोकर रखा गया है.
मेरठ में स्थापित राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय वेस्टर्न यूपी का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जहां 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित हर छोटी-बड़ी जानकारी तो है ही, साथ ही पश्चिमी यूपी का क्या कुछ योगदान रहा है, उन सबकी जानकारी इस संग्रहालय में देखने को मिल जाएगी. इतना ही नहीं, देश की आजादी के लिए जो भी आंदोलन और सत्याग्रह हुए, उन सबकी जानकारी यहां के पांच अलग-अलग वीथिकाओं में मौजूद है.
संग्रहालय अधीक्षक पी. मौर्य बताते हैं कि पांच वीथिकाओं में क्रमबद्ध तरीके से राजकीय संग्रहालय में क्रांति की शुरुआत से लेकर आजादी तक के घटनाक्रमों को जोड़ते हुए प्रदर्शित किया गया है. पहली गैलरी में मेरठ की घटनाओं का वर्णन है. वहीं, दूसरी गैलरी में मेरठ के आसपास के जिलों में उस वक्त कैसे क्रांति का जन्म हुआ, कैसे अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने को कोशिश की गईं, वो दिखाया गया है.
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तीसरी गैलरी में उस वक्त क्रांति की चिंगारी के बाद दिल्ली, कानपुर और अवध की घटनाओं को दिखाया गया है. इसी तरह चौथी गैलरी में बुंदेलखंड, रूहेलखंड और पूर्वांचल की घटनाओं को दिखाया गया है. पांचवीं गैलरी में स्वतंत्रता संग्राम के बारे में दर्शाया गया है. गौरतलब है कि पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस राजकीय संग्रहालय में आए थे. वहीं, प्रदेश की गवर्नर आनन्दीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी यहां आ चुके हैं. इस संग्रहालय को बेहद ही अत्याधुनिक ढंग से हाईटेक बनाया गया है. यहां आकर हर पीढ़ी के लोगों को प्रेरणा तो मिलती ही है, साथ ही इतिहास भी जानने को मिलता है.
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