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खेलने कूदने की उम्र में 13 साल के अथर्व शर्मा ने लिख डालीं दो किताबें, तीसरी पर काम जारी

मेरठ के 13 साल के अथर्व ने दो किताबें लिखी है, जो हरियाणा के कई निजी स्कूलों में पढ़ाई जा रही है. अथर्व कक्षा 9 के छात्र हैं और अब अपनी तीसरी किताब लिख रहे हैं. ईटीवी भारत से अथर्व ने अपने किताब लिखने के पीछे की कहानी बताई.

Atharv of Meerut wrote the book
Atharv of Meerut wrote the book
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Published : May 13, 2023, 2:01 PM IST

ईटीवी भारत से अथर्व ने खास बातचीत

मेरठः जिस उम्र में बच्चे खेलने कूदने में मशगूल रहते हैं, उस उम्र में मेरठ के रहने वाले 13 साल के अथर्व ने इतिहास रच दिया. हाल ही में कक्षा 9 में दाखिला लेने वाले अथर्व ने हिस्ट्री और जीके की 2 किताबें लिख डालीं. उनकी दोनों किताबों को हरियाणा में कई निजी विद्यालयों में कक्षा 6 से कक्षा 8 के स्टूडेंट्स को पढ़ाया भी जा रहा है. इसके साथ ही अथर्व अपनी तीसरी किताब पर भी काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने अथर्व से खास बातचीत की. इस दौरान अथर्व ने बताया कि उन्हें किताब लिखने की प्रेरणा कहां से मिली.

मेरठ के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रहने वाले अथर्व को पढ़ने लिखने का काफी शौक है. वह अगर एक बार पढ़ने बैठ जाते हैं, तो फिर किसी और चीज पर ध्यान नहीं देते. अपने किताब लिखने के सफर के बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अथर्व ने बताया कि उनके परिवार में उनके दादा-दादी जी से लेकर उनके पिता तक सभी नई-नई पुस्तकें पढ़ने के शौकीन हैं. घर में एक बड़ी सी लाइब्रेरी है, जिसमें करीब 6000 से अधिक किताबें हैं. अपने परिवार के बड़ों के पढ़ने-लिखने के इस शौक ने उन्हें भी प्रभावित किया. बचपन से उन्हें भी किताबें और अखबारों को पढ़ने का शौक लग गया. उन्हें प्रतिदिन किताब और अखबारों को पढ़ना अच्छा लगता है. अथर्व ने बताया कि उनकी दादी और पिता भी कई प्रसिद्ध किताब लिख चुके हैं.

Atharv of Meerut wrote the book
अथर्व की लाइब्रेरी में हैं 6000 किताबें

अपनी किताब के बारे में अथर्व ने ईटीवी को बताया कि उन्होंने बताया कि पहली किताब जनरल नॉलेज पर लिखी. इसमें लगभग 700 प्रश्न और उत्तर हैं. वहीं दूसरी किताब में भारतीय संस्कृति इतिहास और पौराणिक चीजों को समाहित करते हुए लिखी है. इतिहास की किताब में उन्होंने मुगलों के इतिहास से लेकर हिन्दू राजाओं के बारे में लिखा है. उसमें कुछ केस स्टडी भी शामिल हैं. इतिहास की उनकी किताब में करीब 900 सवाल और जवाब शामिल हैं. अथर्व ने बताया कि इन दोनों ही किताबों को लिखने से पहले उन्होंने काफी स्टडी की.

अथर्व के पिता तन्मय शर्मा ने बताया कि उनके घर का माहौल पढ़ने का है, तो उनके बेटे ने भी उसी को आगे बढ़ाया है. तन्मय शर्मा ने बताया कि वह अक्सर देखते हैं कि बच्चे खाली वक्त में आजकल मोबाइल देखेंगे. पर अथर्व को घर में मोबाइल सिर्फ तभी मिलता है, जब स्कूल का ही कोई जरूरी कार्य हो. कम्प्यूटर पर भी अथर्व बिना किसी काम के वक्त नहीं बिताता. वह कहते हैं कि ऐसे में अथर्व को स्कूल के होमवर्क और अन्य जरूरी चीजों से फ्री होकर जो भी समय मिलता है. वो उसमें अखबार और किताबें पढ़ता है. अथर्व के पिता ने बताया कि हरियाणा में कई स्कूलों में उनके बेटे की दोनों किताबों को पसन्द किया है, ये किताबें वहां काफी पसंद की जा रही हैं.

तन्मय ने बताया कि अथर्व इन दिनों अपनी तीसरी किताब पर काम कर रहा है. अथर्व के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा अथर्व कॉमर्स से पढ़ाई करके प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते हैं और साथ ही भविष्य में उनका मन राजनेता बनने का भी है. उसे खाली समय में इंडोर गेम्स खेलना पसंद है. खेलने से ज्यादा शौक उसे पढ़ने का है.

अथर्व के पिता कहते हैं कि हमें अपने बेटे पर कुछ भी थोपना नहीं है. अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चे पर दबाव डालते हैं कि वह इंजीनियरिंग करें, मेडिकल की तैयारी करें या उनके बताए मुताबिक कुछ और करे. अथर्व की हालांकि अभी उम्र छोटी है. लेकिन, वह जो भी करना चाहते हैं उसमें परिवार उनका साथ देगा. अथर्व की लिखी पुस्तकों में जो प्रश्नोत्तरी है. वह बेहद ही उपयोगी है किसी भी स्टूडेंट के लिए.

ये भी पढ़ेंः गोरखपुर-सिकन्दराबाद स्पेशल ट्रेन अब महबूबनगर तक चलेगी

ईटीवी भारत से अथर्व ने खास बातचीत

मेरठः जिस उम्र में बच्चे खेलने कूदने में मशगूल रहते हैं, उस उम्र में मेरठ के रहने वाले 13 साल के अथर्व ने इतिहास रच दिया. हाल ही में कक्षा 9 में दाखिला लेने वाले अथर्व ने हिस्ट्री और जीके की 2 किताबें लिख डालीं. उनकी दोनों किताबों को हरियाणा में कई निजी विद्यालयों में कक्षा 6 से कक्षा 8 के स्टूडेंट्स को पढ़ाया भी जा रहा है. इसके साथ ही अथर्व अपनी तीसरी किताब पर भी काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने अथर्व से खास बातचीत की. इस दौरान अथर्व ने बताया कि उन्हें किताब लिखने की प्रेरणा कहां से मिली.

मेरठ के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रहने वाले अथर्व को पढ़ने लिखने का काफी शौक है. वह अगर एक बार पढ़ने बैठ जाते हैं, तो फिर किसी और चीज पर ध्यान नहीं देते. अपने किताब लिखने के सफर के बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अथर्व ने बताया कि उनके परिवार में उनके दादा-दादी जी से लेकर उनके पिता तक सभी नई-नई पुस्तकें पढ़ने के शौकीन हैं. घर में एक बड़ी सी लाइब्रेरी है, जिसमें करीब 6000 से अधिक किताबें हैं. अपने परिवार के बड़ों के पढ़ने-लिखने के इस शौक ने उन्हें भी प्रभावित किया. बचपन से उन्हें भी किताबें और अखबारों को पढ़ने का शौक लग गया. उन्हें प्रतिदिन किताब और अखबारों को पढ़ना अच्छा लगता है. अथर्व ने बताया कि उनकी दादी और पिता भी कई प्रसिद्ध किताब लिख चुके हैं.

Atharv of Meerut wrote the book
अथर्व की लाइब्रेरी में हैं 6000 किताबें

अपनी किताब के बारे में अथर्व ने ईटीवी को बताया कि उन्होंने बताया कि पहली किताब जनरल नॉलेज पर लिखी. इसमें लगभग 700 प्रश्न और उत्तर हैं. वहीं दूसरी किताब में भारतीय संस्कृति इतिहास और पौराणिक चीजों को समाहित करते हुए लिखी है. इतिहास की किताब में उन्होंने मुगलों के इतिहास से लेकर हिन्दू राजाओं के बारे में लिखा है. उसमें कुछ केस स्टडी भी शामिल हैं. इतिहास की उनकी किताब में करीब 900 सवाल और जवाब शामिल हैं. अथर्व ने बताया कि इन दोनों ही किताबों को लिखने से पहले उन्होंने काफी स्टडी की.

अथर्व के पिता तन्मय शर्मा ने बताया कि उनके घर का माहौल पढ़ने का है, तो उनके बेटे ने भी उसी को आगे बढ़ाया है. तन्मय शर्मा ने बताया कि वह अक्सर देखते हैं कि बच्चे खाली वक्त में आजकल मोबाइल देखेंगे. पर अथर्व को घर में मोबाइल सिर्फ तभी मिलता है, जब स्कूल का ही कोई जरूरी कार्य हो. कम्प्यूटर पर भी अथर्व बिना किसी काम के वक्त नहीं बिताता. वह कहते हैं कि ऐसे में अथर्व को स्कूल के होमवर्क और अन्य जरूरी चीजों से फ्री होकर जो भी समय मिलता है. वो उसमें अखबार और किताबें पढ़ता है. अथर्व के पिता ने बताया कि हरियाणा में कई स्कूलों में उनके बेटे की दोनों किताबों को पसन्द किया है, ये किताबें वहां काफी पसंद की जा रही हैं.

तन्मय ने बताया कि अथर्व इन दिनों अपनी तीसरी किताब पर काम कर रहा है. अथर्व के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा अथर्व कॉमर्स से पढ़ाई करके प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते हैं और साथ ही भविष्य में उनका मन राजनेता बनने का भी है. उसे खाली समय में इंडोर गेम्स खेलना पसंद है. खेलने से ज्यादा शौक उसे पढ़ने का है.

अथर्व के पिता कहते हैं कि हमें अपने बेटे पर कुछ भी थोपना नहीं है. अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चे पर दबाव डालते हैं कि वह इंजीनियरिंग करें, मेडिकल की तैयारी करें या उनके बताए मुताबिक कुछ और करे. अथर्व की हालांकि अभी उम्र छोटी है. लेकिन, वह जो भी करना चाहते हैं उसमें परिवार उनका साथ देगा. अथर्व की लिखी पुस्तकों में जो प्रश्नोत्तरी है. वह बेहद ही उपयोगी है किसी भी स्टूडेंट के लिए.

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