मेरठ: मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में आजकल मुर्रा नस्ल के भैसें ( 10 crore bull) गोलू को देखने के लिए किसानों और पशुपालकों की भीड़ उमड़ पड़ी. इसके मालिक हरियाणा के नरेंद्र सिंह 10 करोड़ की कीमत वाले अपने भैंसे को घोल्लू बुलाते हैं. इस गोलू उर्फ घोल्लू की कीमत तो मीडिया में कई बार सुर्खियां बन चुकी हैं . इस मुर्रा नस्ल के भैंसे की कीमत 10 करोड़ रुपये आंकी गई है. साढ़े चार साल के भैंसे गोलू इतना महंगा क्यों है ? इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि गोलू के सीमेन बेचकर इसके मालिक एक साल में 25 लाख रुपये कमा चुके हैं.
गोलू उर्फ घोल्लू के मालिक नरेंद्र सिंह पेशे से पशुपालक हैं. वह हरियाणा के पानीपत जिले के डिडवारी गांव के रहने वाले हैं. पशुपालन में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2019 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. तो क्या करोड़ों रुपये की कीमत वाला गोलू पहला महंगा भैंसा है ? ऐसा नहीं है. गोलू अपने पूर्वजों की तीसरी पीढ़ी का है. इसके पहले गोलू वन ( Golu Bull first) भी खूब नाम कमा चुका है. नरेंद्र सिंह के बाद गोलू सेकंड है, जो अभी प्रदर्शनियों में जलवे बिखेरता है. खास बात यह है कि गोलू सेकंड (Golu Bull Second) ने अपने जैसे हृष्ट-पुष्ट उत्तराधिकारी को पैदा कर चुका है.
पशुपालक नरेंद्र सिंह के घर में गोलू सेकंड (Golu Bull Second) की संतान मौजूद है. उसका नाम कोबरा रखा गया है. हालांकि गोलू सेकंड (Golu Bull Second) के सीमेन से देश के अन्य हिस्सों में इस नस्ल की भैंस और भैंसे हुए हैं. मगर सीमेन बांटने के लिए कोबरा को तैयार किया जा रहा है. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि गोलू के सीमन की देशभर में ही नहीं देश के बाहर भी डिमांड है . मगर नरेंद्र सिंह किसी सप्लायर को नहीं बल्कि वे सिर्फ किसान पशुपालकों को ही सीमन देते हैं.
जानें 10 करोड़ के भैंसे की खासियत
पदमश्री से सम्मानित पशुपालक नरेंद्र का दावा है कि कि गोलू सेकंड इनके इशारे समझता है. गोलू का वजन करीब 15 क्विंटल है जबकि ऊंचाई करीब साढ़े पांच फीट है. 10 करोड़ के भैंसे गोलू की चौड़ाई साढ़े तीन फीट है जबकि लंबाई 14 फीट है. अक्सर यह चर्चा रहती है कि 10 करोड़ के भैंसे गोलू की खुराक में ड्राई फ्रूट शामिल रहता है. मगर ऐसा नहीं है. गोलू प्रतिदिन करीब 35 किलोग्राम सूखा और हरा चारा और चने खाता है. इसके साथ ही उसकी डाइट में 7 से 8 किलो गुड़ भी शामिल है. उसे घी और दूध भी कभी कभार ही मिलता है. ड्रायफ्रूट जैसे चीज उसे कभी नहीं दी जाती है.
लंपी के कारण सुरक्षित रखने की चुनौती
हरियाणा के पशुपालक नरेंद्र सिंह अपने भैसें गोलू को लेकर देश भर में होने वाले मेलों में जाते हैं. इन दिनों पशुओं पर लंपी वायरस का हमला हो रहा है. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि लंपी बीमारी के कारण इस बार वह अपने 10 करोड़ के भैंसे गोलू को किसी प्रतियोगिता में लेकर नहीं जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गोलू भैंसे की उम्र अभी साढ़े चार साल ही है. इस नस्ल के भैंसे की औसत आयु करीब 20 वर्ष होती है, इसलिए 17 साल तक इसे सुरक्षित रखना चुनौती है. गोलू की सेवा में परिवार के सभी सदस्य जुटे रहते हैं.
फिलहाल दस करोड़ कीमत के भैंसे गोलू को देखने के लिए मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में लोगों का तांता लगा हुआ है. लोग गोलू भैंसे के साथ सेल्फी ले रहे हैं. किसान मेले में आने वाला हर व्यक्ति भैंसे की कदकाठी देखकर प्रभावित जरूर होता है. यहां भी उसके लिए खास गद्दों का इंतजाम है. गोलू के मालिक नरेंद्र सिंह का कहना है कि अच्छे सीमन का प्रयोग करके अच्छे भैसे और भैंस तैयार करना उनका लक्ष्य, ताकि देश में दूध- दही की कभी कमी न हो.
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