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मऊ: ट्रेन हादसे में दोनों पैर खो चुके हैं अभिषेक, मदद के लिए सरकार से लगाई गुहार - अनुच्छेद 370

यूपी के मऊ के परसपुरा गांव के अभिषेक ट्रेन हादसे में अपने दोनों पैर खो चुके हैं. अभिषेक अब तक इलाज में लगभग 20 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. अभिषेक के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.

ट्रेन हादसे में दोनों पैर खो चुके हैं अभिषेक.
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Published : Aug 12, 2019, 5:33 PM IST

मऊ: जनपद के दिव्यांग अभिषेक पाण्डेय एक हादसे में अपने दोनों पैर खो चुके हैं. इसके बावजूद उनके अंदर जीने और एक बार फिर उठ खड़े होने का हौसला बचा हुआ है. अभिषेक ने धारा कश्मीर से 370 हटाए जाने पर प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है. साथ ही अपने इलाज के लिए मदद की गुहार भी लगाई है.

रेल हादसे में खो चुके हैं दोनों पैर-
परसपुरा गांव के अभिषेक 13 जून 2017 को जब ताप्ती-गंगा एक्सप्रेस ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहे थे. मऊ स्टेशन से थोड़ा आगे बढ़ने पर ट्रेन में जर्क लगने के कारण वह चलती ट्रेन से गिर पड़े, जिसमें उनका दोनों पैर कटकर अलग हो गया. दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक इलाज में लगभग 20 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. अब आगे के इलाज और आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रुपये का खर्च है.

ट्रेन हादसे में दोनों पैर खो चुके हैं अभिषेक.

अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां भी हाउसवाइफ हैं. आगे का इलाज कराने में असमर्थ पिता खुद हार्ट के मरीज हैं. पैसों के इंतजाम के लिए पिता ने जमीनें बेच दीं और कर्ज भी लिया. पिछले वर्ष मुख्यमंत्री से मिलकर उन्होंने मदद की गुहार लगाई थी. इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया, लेकिन आश्वासन बस आश्वासन ही रह गया.

पढ़ें:- जौनपुर: फरियादियों को बैठना पड़ता है जमीन पर, दिव्यांगों के लिए भी नहीं है व्यवस्था

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर मांगी मदद-
जिले के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक ने खुद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन और सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई थी. इस पर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था ने कुछ मदद भी की. संस्था की मदद से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है, जिससे खाने पीने में कुछ सुविधा हो जाती है. अब तक आर्थिक स्तर पर कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.

अभिषेक ने बताया कि उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किया है. उन्होंने कहा कि सरकार इलाज में उनकी मदद नहीं करे तो कम से कम एक नौकरी दे. उन्होंने कहा कि वो हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से काम करेंगे.

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का किया स्वागत-
अभिषेक ने अनुच्छेद 370 हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे बेहतरीन निर्णय बताया. साथ ही यह भी मांग की कि सरकार उनकी भी मदद करे. पिता लक्ष्मण पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से सरकारी राशन के कोटे की मांग की थी, लेकिन नहीं मिला. इलाज के लिए जमीन बेची और कर्ज भी ले रखा है.

मऊ: जनपद के दिव्यांग अभिषेक पाण्डेय एक हादसे में अपने दोनों पैर खो चुके हैं. इसके बावजूद उनके अंदर जीने और एक बार फिर उठ खड़े होने का हौसला बचा हुआ है. अभिषेक ने धारा कश्मीर से 370 हटाए जाने पर प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है. साथ ही अपने इलाज के लिए मदद की गुहार भी लगाई है.

रेल हादसे में खो चुके हैं दोनों पैर-
परसपुरा गांव के अभिषेक 13 जून 2017 को जब ताप्ती-गंगा एक्सप्रेस ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहे थे. मऊ स्टेशन से थोड़ा आगे बढ़ने पर ट्रेन में जर्क लगने के कारण वह चलती ट्रेन से गिर पड़े, जिसमें उनका दोनों पैर कटकर अलग हो गया. दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक इलाज में लगभग 20 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. अब आगे के इलाज और आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रुपये का खर्च है.

ट्रेन हादसे में दोनों पैर खो चुके हैं अभिषेक.

अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां भी हाउसवाइफ हैं. आगे का इलाज कराने में असमर्थ पिता खुद हार्ट के मरीज हैं. पैसों के इंतजाम के लिए पिता ने जमीनें बेच दीं और कर्ज भी लिया. पिछले वर्ष मुख्यमंत्री से मिलकर उन्होंने मदद की गुहार लगाई थी. इस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया, लेकिन आश्वासन बस आश्वासन ही रह गया.

पढ़ें:- जौनपुर: फरियादियों को बैठना पड़ता है जमीन पर, दिव्यांगों के लिए भी नहीं है व्यवस्था

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर मांगी मदद-
जिले के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक ने खुद सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन और सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई थी. इस पर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था ने कुछ मदद भी की. संस्था की मदद से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है, जिससे खाने पीने में कुछ सुविधा हो जाती है. अब तक आर्थिक स्तर पर कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.

अभिषेक ने बताया कि उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किया है. उन्होंने कहा कि सरकार इलाज में उनकी मदद नहीं करे तो कम से कम एक नौकरी दे. उन्होंने कहा कि वो हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से काम करेंगे.

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले का किया स्वागत-
अभिषेक ने अनुच्छेद 370 हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे बेहतरीन निर्णय बताया. साथ ही यह भी मांग की कि सरकार उनकी भी मदद करे. पिता लक्ष्मण पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से सरकारी राशन के कोटे की मांग की थी, लेकिन नहीं मिला. इलाज के लिए जमीन बेची और कर्ज भी ले रखा है.

Intro:मऊ। यूपी के जनपद मऊ में एक दिव्यांग सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है. परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक पाण्डेय एक हादसे में अपने दोनों पैर खो चुके हैं. बावजूद इसके उनके अंदर जीने और एक बार फिर उठ खड़े होने का हौसला बचा हुआ है. अभिषेक ने धारा कश्मीर से 370 हटाने पर प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी दिया है. साथ ही अपने इलाज के लिए मदद की गुहार भी लगाई है. उन्होंने बताया कि जर्मनी में बनी एक मशीन है जिसकी कीमत लगभग 30 लाख रूपये है. इस मशीन के लग जाने से वह दुबारा चल सकते हैं लेकिन इतना पैसा खर्च करने में उनका परिवार असमर्थ है.


Body:बता दें कि 13 जून 2017 की बात है जब अभिषेक ताप्ती गंगा एक्सप्रेस ट्रेन से मऊ से बलिया जा रहा था. मऊ स्टेशन से थोड़ा आगे बढ़ने पर ट्रेन में जर्क लगने के कारण वह चलती ट्रेन से गिर पड़ा जिसमें उसके कमर से नीचे का हिस्सा पूरी तरह कटकर अलग हो गया. वहीं दाहिना हाथ भी टेढ़ा हो गया है. तब से अब तक अभिषेक के इलाज में लगभग 20 लाख रूपये खर्च हो चुके हैं. अब आगे के इलाज व आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रूपये का खर्च है.

अभिषेक के पिता के पास कोई नौकरी भी नहीं है और मां भी हाउसवाइफ हैं. आगे का इलाज कराने में असमर्थ पिता खुद हार्ट के मरीज भी हैं. पैसों के इंतजाम के लिए पिता ने जमीनें बेच दीं और कर्ज भी लेना पड़ा है. पिछले वर्ष मुख्यमंत्री से मिलकर उन्होंने मदद की गुहार भी लगाई थी जिस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन तो दिया लेकिन आश्वासन बस आश्वासन ही रह गया. बावजूद इसके हादसे से मिले दर्द से लड़ते हुए भी अभिषेक ने जीने का हौसला बांधा हुआ है.

मऊ के सरायलखंसी थाना क्षेत्र के परसपुरा गांव के रहने वाले अभिषेक ने खुद भी सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करके नेता, अभिनेता, बिजनेसमैन व सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई थी. जिसपर छत्तीसगढ़ की एक सामाजिक संस्था ने कुछ मदद की. संस्था की मदद से अभिषेक को एक हॉस्पिटल बेड और स्ट्रेचर मिला है जिससे खाने पीने में कुछ सुविधा हो जाती है. लेकिन अब तक आर्थिक स्तर पर कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.

अभिषेक ने बताया कि उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किया है. उन्होंने कहा कि सरकार इलाज में उनकी मदद करे नहीं तो कम से कम एक नौकरी मिले जिसमें बोलकर या लिखकर काम करना हो. उन्होंने कहा कि मैं अपनी हिम्मत, हौसले और ईमानदारी से काम करूंगा. अपनी तरह अन्य दिव्यांगों को संदेश देते हुए कहा कि रोने या हिम्मत हारकर बैठ जाने से हमारी तकलीफें दूर नहीं हो सकती. इसलिए परिस्थितियों से जज्बे के साथ लड़कर आगे बढ़ना चाहिए.

अभिषेक ने धारा 370 हटाने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे बेहतरीन निर्णय बताया. साथ ही यह भी मांग की कि सरकार उनकी भी मदद करे.

बता दें कि अभिषेक की देखभाल में उनके माता-पिता को हर पल साथ रहना पड़ता है. कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती है कि अस्पताल लेकर जाना पड़ता है. अभिषेक के ज्यादा बोलने पर सांस फूलने लगती है. उनके पिता लक्ष्मण पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से सरकारी राशन के कोटे की मांग की थी लेकिन नहीं मिला. इलाज के लिए जमीन बेची और कर्ज भी ले रखा है.

बाईट - अभिषेक पाण्डेय (दिव्यांग)
बाईट - लक्ष्मण पाण्डेय (पिता)


Conclusion:
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