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...जब शिक्षिका ने बेड रूम को बना डाला क्लासरूम, देखें वीडियो - वाट्सएप से बच्चों की पढ़ाई

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में एक शिक्षिका ने अपने बेड रूम को ही क्लास रूम में तब्दील कर दिया है. दरअसल लॉक डाउन में बच्चों की पढ़ाई पर इसका प्रभाव न पड़े, इसलिए वह ऑनलाइन ही बच्चों को पढ़ा रही हैं.

COVID-19
शिक्षिका तपस्या सिंह
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Published : Apr 19, 2020, 5:17 PM IST

Updated : Apr 20, 2020, 12:55 PM IST

मऊ: लॉकडाउन के दौरान स्कूलों में ताले लटक रहे हैं. ऐसे वक्त में बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित न हो, इसके लिए परिषदीय विद्यालय के शिक्षक सक्रिय हो गए हैं. घर से ही बच्चों को वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से ऑनलाइन ही पढ़ाई उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए वीडियो ऑडियो सहित विभिन्न प्रकार के टीचिंग मैटेरियल बनाए जा रहे हैं.

बेड रूम में बच्चों को पढ़ातीं शिक्षिका.

बच्चों को लॉकडाउन में सरलतापूर्वक पाठ्यक्रम सीखने के लिए प्राथमिक विद्यालय रहजनिया की शिक्षिका तपस्या सिंह ने अपने बेड रूम को ही क्लास रूम में तब्दील कर दिया है, जहां से वे वीडियो रिकॉर्ड कर बच्चों को भेज रही हैं ताकि बच्चों को ये लगे कि वे क्लास रूम में पढ़ रहे हैं.

बच्चों को सरलता से सिखाने के लिए शिक्षिका घर में ही पड़ी साड़ी और मिठाई के डिब्बों से विभिन्न प्रकार के टीचिंग मैटेरियल बना रहीं हैं, जिसके माध्यम से पाठ्यक्रम को लयबद्धता के साथ रिकॉर्ड करती हैं, जो कि रुचिपूर्ण रहता है, जिससे ग्रामीण परिवेश के बच्चे आसानी से समझ सकें.

ऑनलाइन क्लास में वाट्सएप बना सहारा
लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक वाट्सएप ग्रुप का सहारा ले रहे हैं. ऑडियो-वीडियो और लिखित प्रश्न बनाकर टीचर ग्रुप में डाल रहे हैं. वहीं अभिभावक बच्चों को इन मैटेरियल्स के माध्यम से सीखा रहे हैं कि जो काम शिक्षक दे रहे हैं, उसे पूरा करें. इसके बाद बच्चों की फोटो लेकर अभिभावक पुनः ग्रुप में डाल रहें हैं, जिससे उनका मार्गदर्शन किया जा रहा है.

विद्यालय के सभी शिक्षक मिलकर ग्रुप में बच्चों की निगरानी भी कर रहे हैं कि जो कुछ बच्चे भेज रहें हैं उसकी जांच कर उन्हें पुनः बताया जाए. इसके लिए बाकायदा फोन भी किया जाता है, जिससे बच्चा अपनी कमी को सुधार सके.

अभिभावकों से बनाना पड़ता है सामंजस्य

शिक्षिका तपस्या सिंह बताती हैं कि परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से होते हैं. ऐसे में उनके अभिवकों के पास न तो शिक्षा के प्रति जागरूकता है न ही एंड्राइड फोन. फिलहाल जिसके पास है, उन्हें वाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया है. साथ ही उन्हें फोन पर बात कर समझाया गया है कि जो कुछ भी भेजा जाएगा, वह बच्चों के पढ़ाई के लिए है. बच्चों को मोबाइल देना है, जिससे कि वे पढ़ सकें. वहीं जिसके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है, उन बच्चों को फोन पर ही बात करके घर मे काम देने का प्रयास किया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें:-
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जबसे ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की गई है तो 230 में से 15 बच्चों ने पढ़ाई प्रारंभ कर दी है. एक सप्ताह में अभी 35 बच्चों की भागीदारी हो गई है. अभिभावकों से बातचीत करके बच्चों को जोड़ने का प्रयास जारी है ताकि लॉकडाउन में इनकी शिक्षा पर किसी तरह का असर न पड़े.
तपस्या सिंह, शिक्षिका

मऊ: लॉकडाउन के दौरान स्कूलों में ताले लटक रहे हैं. ऐसे वक्त में बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित न हो, इसके लिए परिषदीय विद्यालय के शिक्षक सक्रिय हो गए हैं. घर से ही बच्चों को वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से ऑनलाइन ही पढ़ाई उपलब्ध कराई जा रही है. इसके लिए वीडियो ऑडियो सहित विभिन्न प्रकार के टीचिंग मैटेरियल बनाए जा रहे हैं.

बेड रूम में बच्चों को पढ़ातीं शिक्षिका.

बच्चों को लॉकडाउन में सरलतापूर्वक पाठ्यक्रम सीखने के लिए प्राथमिक विद्यालय रहजनिया की शिक्षिका तपस्या सिंह ने अपने बेड रूम को ही क्लास रूम में तब्दील कर दिया है, जहां से वे वीडियो रिकॉर्ड कर बच्चों को भेज रही हैं ताकि बच्चों को ये लगे कि वे क्लास रूम में पढ़ रहे हैं.

बच्चों को सरलता से सिखाने के लिए शिक्षिका घर में ही पड़ी साड़ी और मिठाई के डिब्बों से विभिन्न प्रकार के टीचिंग मैटेरियल बना रहीं हैं, जिसके माध्यम से पाठ्यक्रम को लयबद्धता के साथ रिकॉर्ड करती हैं, जो कि रुचिपूर्ण रहता है, जिससे ग्रामीण परिवेश के बच्चे आसानी से समझ सकें.

ऑनलाइन क्लास में वाट्सएप बना सहारा
लॉकडाउन में बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक वाट्सएप ग्रुप का सहारा ले रहे हैं. ऑडियो-वीडियो और लिखित प्रश्न बनाकर टीचर ग्रुप में डाल रहे हैं. वहीं अभिभावक बच्चों को इन मैटेरियल्स के माध्यम से सीखा रहे हैं कि जो काम शिक्षक दे रहे हैं, उसे पूरा करें. इसके बाद बच्चों की फोटो लेकर अभिभावक पुनः ग्रुप में डाल रहें हैं, जिससे उनका मार्गदर्शन किया जा रहा है.

विद्यालय के सभी शिक्षक मिलकर ग्रुप में बच्चों की निगरानी भी कर रहे हैं कि जो कुछ बच्चे भेज रहें हैं उसकी जांच कर उन्हें पुनः बताया जाए. इसके लिए बाकायदा फोन भी किया जाता है, जिससे बच्चा अपनी कमी को सुधार सके.

अभिभावकों से बनाना पड़ता है सामंजस्य

शिक्षिका तपस्या सिंह बताती हैं कि परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से होते हैं. ऐसे में उनके अभिवकों के पास न तो शिक्षा के प्रति जागरूकता है न ही एंड्राइड फोन. फिलहाल जिसके पास है, उन्हें वाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया है. साथ ही उन्हें फोन पर बात कर समझाया गया है कि जो कुछ भी भेजा जाएगा, वह बच्चों के पढ़ाई के लिए है. बच्चों को मोबाइल देना है, जिससे कि वे पढ़ सकें. वहीं जिसके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं है, उन बच्चों को फोन पर ही बात करके घर मे काम देने का प्रयास किया जा रहा है.

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जबसे ऑनलाइन क्लास की शुरुआत की गई है तो 230 में से 15 बच्चों ने पढ़ाई प्रारंभ कर दी है. एक सप्ताह में अभी 35 बच्चों की भागीदारी हो गई है. अभिभावकों से बातचीत करके बच्चों को जोड़ने का प्रयास जारी है ताकि लॉकडाउन में इनकी शिक्षा पर किसी तरह का असर न पड़े.
तपस्या सिंह, शिक्षिका

Last Updated : Apr 20, 2020, 12:55 PM IST
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