मऊ: जिले के बच्चों में कुपोषण की दर को पहचानने और उससे निजात दिलाने के लिए आंगनबाड़ी कर्मियों को स्टेडियोमीटर (लंबाई नापने की मशीन) एवं वजन मशीन उपलब्ध करायी गयी है. इसकी मदद से आंगनबाड़ी कर्मियों को मंगलवार को ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर बच्चों की जांचकर उनके अंदर कुपोषण की कमी की पहचान की और उनकी सूची तैयार की गई. इस दौरान 1905 बच्चों की जांच हुई, जिनमें 1750 बच्चे सामान्य मिले, 120 बच्चे पीले श्रेणी (कुपोषित) में तथा 35 बच्चे लाल श्रेणी (अति कुपोषित) में मिले हैं. इसके साथ ही बच्चों को कुपोषण से मुक्ति के लिए उनके माता-पिता को स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी जरूरी जानकारी भी दी गई.
औसत शिशुओं का वजन
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि स्वस्थ मां से पैदा होने वाले शिशु का सामान्य वजन 3.5 किलोग्राम होता है. वहीं औसत शिशुओं का वजन 2.7 से 2.9 किलोग्राम तक ही होता है. शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर उसका वजन लेना बहुत जरूरी है. इससे शिशु के विकास और उसके जीवित रहने की संभावना की जानकारी मिलती है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिशु के कम वजन को 2.5 किलोग्राम से कम तय किया गया है. शिशु का जन्म गर्भ के पूरे समय या समय से पहले हो सकता है.
बेहतर विकास के साथ कुछ जरूरी पोषक तत्व
इसके साथ ही डॉ. सिंह ने बताया कि बच्चों के बेहतर विकास और पोषण के लिए कुछ जरूरी पोषक तत्व हैं जैसे- कैल्शियम, पोटेशियम, फाइबर, लिनोलेइक एसिड के साथ प्रोटीन और विटामिन की जरूरत होती है. जब इन पोषक तत्वों की जरूरत से अधिक कमी या अधिकता हो जाती है, तो बच्चों के विकास की प्रक्रिया प्रभावित होती है. ऐसे में पोषक तत्वों की कमी बच्चों की लंबाई और वजन के विकास को बाधित कर सकती है. इन पोषक तत्वों की अधिकता बच्चों के असंतुलित विकास (अधिक वजन या मोटापा) को बढ़ावा दे सकती है. यह दोनों ही स्थितियां बच्चों में कुपोषण की श्रेणी में गिनी जाती हैं.
कुपोषण से ग्रसित बच्चों की पहचान
परदहां ब्लॉक की मुख्य सेविका गीता तिवारी ने बताया कि वीएचएसएनडी में कुपोषण से ग्रसित बच्चों की पहचान के लिए परदहां ब्लॉक की सभी आंगनबाड़ी कर्मियों को वजन मशीन और स्टेडियोमीटर दिया गया है. वहीं मंगलवार को वीएचएसएनडी पर उन्होंने अपने-अपने ग्राम सभा में बच्चों की जांच की. उनके शरीर में कुपोषण की स्थिति की जांच करते हुए उनको चिन्हित किया. चिन्हित बच्चों का लिस्ट बनाकर उनके अभिभावकों को समुचित आहार और जरुरी इलाज के लिए सलाह भी दी गई है.