ETV Bharat / state

गरीब बच्चों की शिक्षा ही बन गई 'पूजा'

author img

By

Published : Mar 7, 2021, 8:25 PM IST

मऊ जिले के पॉश इलाके में रहने वाली पूजा राय अपने दायित्व को बखूबी निभा रही हैं. दरअसल, वह दलित और पिछड़ी आबादी में जाकर मासूम बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही महिलाओं को जागरूक भी कर रही हैं. पूजा पिछड़ी आबादी के बच्चों का भविष्य बदलने में जुटी हुई हैं. बच्चों को शिक्षित करना ही अब उनकीपूजा बन गई है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आइए जानते हैं पूजा की साधना के बारे में...

Women's Day Special
महिला दिवस विशेष

मऊ : जीवन में दायित्व का दायरा संकुचित नहीं विशाल है. शिक्षक शब्द ही अपने आप में एक बड़ा दायित्व है. कुछ लोग इस दायित्व का निर्वहन करते हैं, तो कुछ अनदेखी. मऊ जिले के पॉश इलाके में रहने वाली पूजा राय अपने दायित्व को बखूबी निभा रही हैं. वह दलित और पिछड़ी आबादी में जाकर मासूम बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही महिलाओं को जागरूक कर रही हैं. पूजा पिछड़ी आबादी के बच्चों का भविष्य बदलने में जुटी हुई हैं.

गरीब बच्चों को पढ़ाना ही बनी पूजा की साधना.

शुरुआत में हुई मुश्किल

पूजा ने समाजसेवा के लिए कदम आगे बढ़ाया, तो उनके परिवार वालों को यह अच्छा नहीं लगा. पूजा ने इसके बावजूद अपने कदम पीछे नहीं खिंचे. इसका परिणाम यह रहा कि वह आज करीब 150 बच्चों को शिक्षित कर रही हैं.

International Women's Day Special
महिलाओं और छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन बांटतीं पूजा.

कुछ करने की जिद से घर के बाहर कदम रखी

पूजा राय बताती है कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद शादी हो गई. इसके बाद ग्रेजुएशन और पीजी की पढ़ाई की. कुछ अलग करने की सोच थी, लेकिन परिवार वालों की मनाही थी. घरवालों का कहना था कि पैसा, इज्जत सबकुछ है. घर से बाहर जाने की जरूरत नहीं, लेकिन मैंने परिवार के विचार का विरोध कर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया. इसके बाद खुद के पैसे से समाज कार्य में जुट गई. पहले पिछड़े समाज के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. धीरे-धीरे गांव में जाना भी प्रारंभ हो गया. वहां महिलाओं को जागरूक करने में जुट गई. अब मैंने एक टीम बना ली है. इसके माध्यम से समाज सेवा में जुट गई हूं.'

स्कूटी पर सवार होकर बच्चों को पढ़ाने जातीं पूजा.
स्कूटी पर सवार होकर बच्चों को पढ़ाने जातीं पूजा.
इसे भी पढ़ें- पर्यावरण प्रेम में सरकारी नौकरी छोड़ बन गए 'कुल्हड़ वाला'


दलित बस्तियों में जाकर बच्चों को कर रहीं शिक्षित

पूजा दलित बस्तियों और मुहल्लों में घूम-घूमकर बच्चों को शिक्षित कर रहीं हैं. पूजा के साथ प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले कुछ अन्य शिक्षक भी इस कार्य में योगदान दे रहे हैं. पूजा के प्रयास से यहां स्कूल की छुट्टी के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है. इसके अलावा पूजा दलित बस्तियों तक जाकर भी बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. साथ ही महिलाओं को भी जागरूक कर रही हैं.

महिलाओं से बातचीत करतीं पूजा.
महिलाओं से बातचीत करतीं पूजा.
जिले भर में हो रही सराहना

पूजा के इस काम की सराहना पूरे जनपद में हो रही है. पूजा को पता चलता है कि कोई बच्चा नहीं पढ़ रहा है, तो वह उसके घर तक पहुंच जाती हैं और उसे पढ़ाई के प्रति जागरूक करती हैं. मोहल्ले की महिलाएं भी पूजा के काम की सराहना करती हैं.

बच्चों को पढ़ातीं पूजा.
बच्चों को पढ़ातीं पूजा.

मऊ : जीवन में दायित्व का दायरा संकुचित नहीं विशाल है. शिक्षक शब्द ही अपने आप में एक बड़ा दायित्व है. कुछ लोग इस दायित्व का निर्वहन करते हैं, तो कुछ अनदेखी. मऊ जिले के पॉश इलाके में रहने वाली पूजा राय अपने दायित्व को बखूबी निभा रही हैं. वह दलित और पिछड़ी आबादी में जाकर मासूम बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही महिलाओं को जागरूक कर रही हैं. पूजा पिछड़ी आबादी के बच्चों का भविष्य बदलने में जुटी हुई हैं.

गरीब बच्चों को पढ़ाना ही बनी पूजा की साधना.

शुरुआत में हुई मुश्किल

पूजा ने समाजसेवा के लिए कदम आगे बढ़ाया, तो उनके परिवार वालों को यह अच्छा नहीं लगा. पूजा ने इसके बावजूद अपने कदम पीछे नहीं खिंचे. इसका परिणाम यह रहा कि वह आज करीब 150 बच्चों को शिक्षित कर रही हैं.

International Women's Day Special
महिलाओं और छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन बांटतीं पूजा.

कुछ करने की जिद से घर के बाहर कदम रखी

पूजा राय बताती है कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद शादी हो गई. इसके बाद ग्रेजुएशन और पीजी की पढ़ाई की. कुछ अलग करने की सोच थी, लेकिन परिवार वालों की मनाही थी. घरवालों का कहना था कि पैसा, इज्जत सबकुछ है. घर से बाहर जाने की जरूरत नहीं, लेकिन मैंने परिवार के विचार का विरोध कर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया. इसके बाद खुद के पैसे से समाज कार्य में जुट गई. पहले पिछड़े समाज के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. धीरे-धीरे गांव में जाना भी प्रारंभ हो गया. वहां महिलाओं को जागरूक करने में जुट गई. अब मैंने एक टीम बना ली है. इसके माध्यम से समाज सेवा में जुट गई हूं.'

स्कूटी पर सवार होकर बच्चों को पढ़ाने जातीं पूजा.
स्कूटी पर सवार होकर बच्चों को पढ़ाने जातीं पूजा.
इसे भी पढ़ें- पर्यावरण प्रेम में सरकारी नौकरी छोड़ बन गए 'कुल्हड़ वाला'


दलित बस्तियों में जाकर बच्चों को कर रहीं शिक्षित

पूजा दलित बस्तियों और मुहल्लों में घूम-घूमकर बच्चों को शिक्षित कर रहीं हैं. पूजा के साथ प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले कुछ अन्य शिक्षक भी इस कार्य में योगदान दे रहे हैं. पूजा के प्रयास से यहां स्कूल की छुट्टी के बाद गरीब बच्चों को पढ़ाया जाता है. इसके अलावा पूजा दलित बस्तियों तक जाकर भी बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. साथ ही महिलाओं को भी जागरूक कर रही हैं.

महिलाओं से बातचीत करतीं पूजा.
महिलाओं से बातचीत करतीं पूजा.
जिले भर में हो रही सराहना

पूजा के इस काम की सराहना पूरे जनपद में हो रही है. पूजा को पता चलता है कि कोई बच्चा नहीं पढ़ रहा है, तो वह उसके घर तक पहुंच जाती हैं और उसे पढ़ाई के प्रति जागरूक करती हैं. मोहल्ले की महिलाएं भी पूजा के काम की सराहना करती हैं.

बच्चों को पढ़ातीं पूजा.
बच्चों को पढ़ातीं पूजा.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.