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मऊ में घाघरा नदी का कहर, तराई क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में घाघरा नदी का कहर जारी है. नदी के बढ़ते जलस्तर स्तर से तराई क्षेत्रों के गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. आशंका जताई जा रही है कि यदि जलस्तर की बढ़ोतरी में कमी नहीं आई तो लोगों को पलायन करना पड़ेगा.

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घाघरा में बाढ़ से प्रभावित तराई क्षेत्र.
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Published : Aug 4, 2020, 8:14 AM IST

मऊ: मधुबन तहसील के देवारा क्षेत्र में घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ व कटान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. नदी के जलस्तर में एकाएक बढ़ोत्तरी होने से बाढ़ प्रभावित गांवों और पुरवों के लोगों की अब दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं. वहीं बाढ़ से फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे पशुओं के चारे की समस्या लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है.


देवारा क्षेत्र के चक्कीमुसाडोही, बिंदटोलिया के साथ दुबारी ग्राम पंचायत के देवरांचल स्थित विसुन का पुरा, नंदजी का पुरा, बिन्दर का पुरा, बैरिकंटा, भगत का पुरा, धूस, खैरा देवारा का आंशिक हिस्सा चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गया है. ऐसे में लोगों के आने-जाने का साधन मात्र नाव ही बची है, जबकि बाढ़ के साथ कटान होने से बिंदटोलिया गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. वहीं नदी का कटान खैरा देवारा की आबादी की तरफ बढ़ने से लोगों की नींद हराम हो गई हैं. बाढ़ पीड़ितों ने प्रधान से नाव की संख्या बढ़ाने की मांग की है. घाघरा की उफनाती लहरें धान और गन्ने की फसलों को पूरी तरह बर्बाद करके रख दिया है. अगर जलस्तर की बढ़ती गति धीमी नहीं हुई तो लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

बाढ़ प्रभावित कुछ इलाकों में लेखपाल अशोक सिंह और प्रधान रंजना सिंह ने नाव से पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनी है. उन्होंने जिला व तहसील प्रशासन से हर सम्भव सहयोग दिलाने के लिए बाढ़ पीड़ितों को आश्वासन दिया.

मऊ: मधुबन तहसील के देवारा क्षेत्र में घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ व कटान का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. नदी के जलस्तर में एकाएक बढ़ोत्तरी होने से बाढ़ प्रभावित गांवों और पुरवों के लोगों की अब दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं. वहीं बाढ़ से फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे पशुओं के चारे की समस्या लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है.


देवारा क्षेत्र के चक्कीमुसाडोही, बिंदटोलिया के साथ दुबारी ग्राम पंचायत के देवरांचल स्थित विसुन का पुरा, नंदजी का पुरा, बिन्दर का पुरा, बैरिकंटा, भगत का पुरा, धूस, खैरा देवारा का आंशिक हिस्सा चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गया है. ऐसे में लोगों के आने-जाने का साधन मात्र नाव ही बची है, जबकि बाढ़ के साथ कटान होने से बिंदटोलिया गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. वहीं नदी का कटान खैरा देवारा की आबादी की तरफ बढ़ने से लोगों की नींद हराम हो गई हैं. बाढ़ पीड़ितों ने प्रधान से नाव की संख्या बढ़ाने की मांग की है. घाघरा की उफनाती लहरें धान और गन्ने की फसलों को पूरी तरह बर्बाद करके रख दिया है. अगर जलस्तर की बढ़ती गति धीमी नहीं हुई तो लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.

बाढ़ प्रभावित कुछ इलाकों में लेखपाल अशोक सिंह और प्रधान रंजना सिंह ने नाव से पहुंचकर लोगों की समस्याएं सुनी है. उन्होंने जिला व तहसील प्रशासन से हर सम्भव सहयोग दिलाने के लिए बाढ़ पीड़ितों को आश्वासन दिया.

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