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मऊ के ज्योतिष ने आपदा को अवसर में बदला, इस तरह बने रोल मॉडल

दुनिया भर में कोरोना वायरस की वजह से कोहराम मचा हुआ है. सरकार ने लॉकडाउन लगाया तो जिंदगी की रफ्तार पर ब्रेक लग गए, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस लॉकडाउन की आपदा को अवसर में बदल दिया. मऊ के ज्योतिष सिंह ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है. देखें स्पेशल रिपोर्ट...

मऊ में मशरूम की खेती
मऊ में मशरूम की खेती
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Published : Oct 27, 2020, 3:19 AM IST

मऊ: जिले के नगर क्षेत्र में रहने वाले ज्योतिष सिंह का लॉकडाउन के दौरान रोजगार छिन गया. घर बैठे कुछ सूझ नहीं रहा था, तो इंटरनेट के माध्यम से मशरूम की खेती के बारे में जानकारी ली और इसे करने का विचार बनाया. पहले अपने घर पर प्रायोगिक तौर पर मशरूम लगाया. फिर ज्योतिष ने इसके सरल माध्यम से उपज और मांग को देखते हुए इसका विस्तार किया. आज ज्योतिष सिंह ने अपने साथ 20 से अधिक लोगों को मशरूम की खेती से जोड़ा है. इस रोजगार के अकाल के दौरान ज्योतिष खुद तो आत्मनिर्भर बने ही, साथ में दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
आत्मनिर्भर बनने में सहायक बना गूगल और गांव से जुड़ाव
ज्योतिष सिंह बताते हैं कि मार्च महीने में लॉकडाउन लगा तो वे दिल्ली से घर आ गए. कोई काम नहीं था तो गूगल पर सर्च करते-करते मशरूम की खेती का निर्णय किया. बाजार बन्द थे, तो ऑनलाइन बीज मंगाया और घर पर मशरूम लगाया. उन्होंने कहा कि चूंकि गांव से जुड़ाव है तो खेती करने की इच्छा रहती थी और लॉकडाउन के दौरान इसमें मन लग गया. जब मशरूम तैयार हुआ तो घर पर खाने में अच्छा लगा. शुद्ध केमिकल रहित है तो स्वाद में बेहतर था.

इसके बाद मशरूम का उत्पादन अधिक हुआ तो पास के दुकानदार से सम्पर्क किया. दुकानदार ने 300 रुपये किलो के भाव से खरीद लिया. इसके बाद अब बड़े पैमाने पर इसकी खेती करने लगे. इसका प्रचार हुआ तो कई लोगों ने उत्पादन की इच्छा जताई. ज्योतिष सिंह ने बताया कि अब जिले में 35 लोग मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. सभी उनसे जुड़े हैं. प्लांट लगाने से लेकर देखरेख और बाजार तक बेचने में वे उनका सहयोग करते हैं. इसके बदले में उनकी भी कुछ आय हो जाती है.

मशरूम की मांग बढ़ी तो अवसर के रूप में लिया

कोरोना के संक्रमण के दौरान लोग खान पान पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. मशरूम में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से इस समय बाजार में इसकी खपत बढ़ गई है. बाजार में कच्चे मशरूम के साथ अचार, सूखा मशरूम और इसके पाउडर की मांग खूब है. इसकी खपत को देखते हुए जिले में युवा किसान मशरूम के उत्पादन की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. कम लागत कम समय में अच्छी कमाई हो रही है. बाजार में कच्चे मशरूम की कीमत 300-350, सूखे की 1200-1500 रुपये और अचार की 800 रुपये किलो है. हालात यह है कि मांग अधिक होने से सप्लाई कम पड़ जा रही है.

सरलता से उत्पादन और अच्छी कमाई

मशरूम के उत्पादन के लिए न तो खेत की जरूरत है, न ही अत्यधिक श्रम और बजट की. 10 से 15 हजार रुपये की लागत और घर के किसी कोने या बेकार पड़े घर में इसकी उपज की जा सकती है. ज्योतिष बताते हैं कि मशरूम का छोटा प्लांट लगाने में 10 से 12 हजार रुपये लगते हैं. इसके लिए अंधेरा रहना जरूरी है और शुद्ध हवा. मशरूम का बीज बाहर से खरीदना है. बाकी भूसा और पॉलीथिन अपने आस-पास के बाजार से मिल जाते हैं. बाकी बस पानी और देखरेख की जरूरत है. दो महीने में छोटे प्लांट से 3 क्विंटल से अधिक मशरूम का उत्पादन हो जाता है. न धूप, न खेत की जोताई, न रोग लगने का खतरा और तो और सरलता से बिक जाता है. ऐसे में युवा इसके उत्पादन में रुचि लेकर कमाई कर रहे हैं.

कृषि विभाग दे रहा प्रशिक्षण

कृषि अधिकारी उमेश कुमार ने कहा कि जिले में युवा मशरूम की खेती के तरफ बढ़ रहें हैं, यह सुखद है. आने वाला सर्दी का मौसम मशरूम के उत्पादन के लिए सबसे बेहतर है. कृषि विभाग युवाओं को मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है. साथ ही समय-समय पर परामर्श भी दिया जाता है. मशरूम की खेती से युवा घर पर रहकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

मऊ: जिले के नगर क्षेत्र में रहने वाले ज्योतिष सिंह का लॉकडाउन के दौरान रोजगार छिन गया. घर बैठे कुछ सूझ नहीं रहा था, तो इंटरनेट के माध्यम से मशरूम की खेती के बारे में जानकारी ली और इसे करने का विचार बनाया. पहले अपने घर पर प्रायोगिक तौर पर मशरूम लगाया. फिर ज्योतिष ने इसके सरल माध्यम से उपज और मांग को देखते हुए इसका विस्तार किया. आज ज्योतिष सिंह ने अपने साथ 20 से अधिक लोगों को मशरूम की खेती से जोड़ा है. इस रोजगार के अकाल के दौरान ज्योतिष खुद तो आत्मनिर्भर बने ही, साथ में दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाया.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
आत्मनिर्भर बनने में सहायक बना गूगल और गांव से जुड़ाव
ज्योतिष सिंह बताते हैं कि मार्च महीने में लॉकडाउन लगा तो वे दिल्ली से घर आ गए. कोई काम नहीं था तो गूगल पर सर्च करते-करते मशरूम की खेती का निर्णय किया. बाजार बन्द थे, तो ऑनलाइन बीज मंगाया और घर पर मशरूम लगाया. उन्होंने कहा कि चूंकि गांव से जुड़ाव है तो खेती करने की इच्छा रहती थी और लॉकडाउन के दौरान इसमें मन लग गया. जब मशरूम तैयार हुआ तो घर पर खाने में अच्छा लगा. शुद्ध केमिकल रहित है तो स्वाद में बेहतर था.

इसके बाद मशरूम का उत्पादन अधिक हुआ तो पास के दुकानदार से सम्पर्क किया. दुकानदार ने 300 रुपये किलो के भाव से खरीद लिया. इसके बाद अब बड़े पैमाने पर इसकी खेती करने लगे. इसका प्रचार हुआ तो कई लोगों ने उत्पादन की इच्छा जताई. ज्योतिष सिंह ने बताया कि अब जिले में 35 लोग मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. सभी उनसे जुड़े हैं. प्लांट लगाने से लेकर देखरेख और बाजार तक बेचने में वे उनका सहयोग करते हैं. इसके बदले में उनकी भी कुछ आय हो जाती है.

मशरूम की मांग बढ़ी तो अवसर के रूप में लिया

कोरोना के संक्रमण के दौरान लोग खान पान पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. मशरूम में प्रोटीन की मात्रा अधिक होने से इस समय बाजार में इसकी खपत बढ़ गई है. बाजार में कच्चे मशरूम के साथ अचार, सूखा मशरूम और इसके पाउडर की मांग खूब है. इसकी खपत को देखते हुए जिले में युवा किसान मशरूम के उत्पादन की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. कम लागत कम समय में अच्छी कमाई हो रही है. बाजार में कच्चे मशरूम की कीमत 300-350, सूखे की 1200-1500 रुपये और अचार की 800 रुपये किलो है. हालात यह है कि मांग अधिक होने से सप्लाई कम पड़ जा रही है.

सरलता से उत्पादन और अच्छी कमाई

मशरूम के उत्पादन के लिए न तो खेत की जरूरत है, न ही अत्यधिक श्रम और बजट की. 10 से 15 हजार रुपये की लागत और घर के किसी कोने या बेकार पड़े घर में इसकी उपज की जा सकती है. ज्योतिष बताते हैं कि मशरूम का छोटा प्लांट लगाने में 10 से 12 हजार रुपये लगते हैं. इसके लिए अंधेरा रहना जरूरी है और शुद्ध हवा. मशरूम का बीज बाहर से खरीदना है. बाकी भूसा और पॉलीथिन अपने आस-पास के बाजार से मिल जाते हैं. बाकी बस पानी और देखरेख की जरूरत है. दो महीने में छोटे प्लांट से 3 क्विंटल से अधिक मशरूम का उत्पादन हो जाता है. न धूप, न खेत की जोताई, न रोग लगने का खतरा और तो और सरलता से बिक जाता है. ऐसे में युवा इसके उत्पादन में रुचि लेकर कमाई कर रहे हैं.

कृषि विभाग दे रहा प्रशिक्षण

कृषि अधिकारी उमेश कुमार ने कहा कि जिले में युवा मशरूम की खेती के तरफ बढ़ रहें हैं, यह सुखद है. आने वाला सर्दी का मौसम मशरूम के उत्पादन के लिए सबसे बेहतर है. कृषि विभाग युवाओं को मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है. साथ ही समय-समय पर परामर्श भी दिया जाता है. मशरूम की खेती से युवा घर पर रहकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

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