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यहां स्थित है भाई-बहन का एकमात्र मंदिर, दर्शन करने से मिलती है यमराज के प्रकोप से मुक्ति

उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमराज और उनकी बहन यमुना जी का प्राचीन और एकमात्र मंदिर स्थित है. मंदिर की मान्यता है कि जो भी भाई-बहन इस मंदिर में भैया दूज यानि यम द्वितीया के दिन एकसाथ स्नान करते हैं, मृत्यु के बाद उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

यमराज और उनकी बहन यमुना जी
यमराज और उनकी बहन यमुना जी
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Published : Oct 25, 2020, 10:33 PM IST

मथुरा: शहर के विश्राम घाट पर स्थित यमराज और उनकी बहन यमुना जी का प्राचीन और एकमात्र मंदिर स्थित है. शुक्लपक्ष भैया दूज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु विश्राम घाट पर आकर यमुना जी में स्नान करते हैं. स्नान के बाद भाई-बहन एक साथ मंदिर में दान पुण्य करते हैं. भैया दूज को यम द्वितीया पर्व भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता है कि यहां जो भी भाई बहन एक साथ विश्राम घाट पर स्नान करते हैं तो मृत्यु के बाद वह सीधा बैकुंठ में निवास करते हैं. उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है.

जानकारी देते श्रद्धालु.

ये है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व सूर्यपुत्र यमराज को पुत्री यमुना ने अपने घर बुलाया था. जिसके बाद बहन ने भाई की खूब खातिरदारी की. बहन की खातिरदारी से प्रसन्न होकर भाई यमराज ने यमुना से एक वरदान मांगने को कहा. यमुना ने यमराज से कहा कि उनके पास तो सब कुछ है. वह कृष्ण की पटरानी हैं, उनके स्वामी संसार को सब कुछ देने वाले हैं. कोई भला मुझे क्या कुछ दे सकता है. फिर भी भाई यमराज ने अपनी बहन से कुछ भी मांगने के लिए कहा. तब बहन यमुना ने भाई से पूछा कि आप के प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी. यमराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष की दूज के दिन जो भी भाई-बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करेंगे उन्हें मेरे प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी. वह मृत्यु के बाद सीधा बैकुंठ में वास करेंगे. इसके बाद यमराज और यमुना जी ने विश्राम घाट पर एक साथ स्नान किया.

हजारों वर्ष पूर्व प्राचीन मंदिर में शुक्ल पक्ष के दिन जो भाई-बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करते हैं, उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. भैया दूज को यम द्वितीया का पर्व भी कहा जाता है. हर साल लाखों की संख्या में भाई-बहन यहां आकर विश्राम घाट पर स्नान करते हैं. स्नान के बाद मंदिर में दर्शन करने के बाद दान पुण्य किया जाता है. मंदिर में भाई यमराज और बहन यमुना जी चार भुजा धारी प्रतिमा स्थापित है. उनके एक हाथ में भोजन की थाली, दूसरे हाथ में कमल का पुष्प, तीसरे हाथ में भाई को टीका करते हुए और चौथे हाथ में वह भाई से वरदान ले रही हैं.

- शैलेंद्र नाथ चतुर्वेदी, मंदिर पुजारी

कई साल से हम यमराज और बहन यमुना जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. यम द्वितीया के दिन विशेष तौर पर भाई के साथ मथुरा स्नान करने के लिए आते हैं. यह काफी प्राचीन मंदिर बना हुआ है.

- पद्मावती, श्रद्धालु

12 वर्षों से लगातार वह अपनी बहन के साथ यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. यम द्वितीया के दिन यमुना जी में स्नान भी करते हैं. यम द्वितीया के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर स्नान और दान पुण्य करते हैं.

- आकाश चतुर्वेदी, श्रद्धालु

मथुरा: शहर के विश्राम घाट पर स्थित यमराज और उनकी बहन यमुना जी का प्राचीन और एकमात्र मंदिर स्थित है. शुक्लपक्ष भैया दूज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु विश्राम घाट पर आकर यमुना जी में स्नान करते हैं. स्नान के बाद भाई-बहन एक साथ मंदिर में दान पुण्य करते हैं. भैया दूज को यम द्वितीया पर्व भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता है कि यहां जो भी भाई बहन एक साथ विश्राम घाट पर स्नान करते हैं तो मृत्यु के बाद वह सीधा बैकुंठ में निवास करते हैं. उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है.

जानकारी देते श्रद्धालु.

ये है पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व सूर्यपुत्र यमराज को पुत्री यमुना ने अपने घर बुलाया था. जिसके बाद बहन ने भाई की खूब खातिरदारी की. बहन की खातिरदारी से प्रसन्न होकर भाई यमराज ने यमुना से एक वरदान मांगने को कहा. यमुना ने यमराज से कहा कि उनके पास तो सब कुछ है. वह कृष्ण की पटरानी हैं, उनके स्वामी संसार को सब कुछ देने वाले हैं. कोई भला मुझे क्या कुछ दे सकता है. फिर भी भाई यमराज ने अपनी बहन से कुछ भी मांगने के लिए कहा. तब बहन यमुना ने भाई से पूछा कि आप के प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी. यमराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष की दूज के दिन जो भी भाई-बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करेंगे उन्हें मेरे प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी. वह मृत्यु के बाद सीधा बैकुंठ में वास करेंगे. इसके बाद यमराज और यमुना जी ने विश्राम घाट पर एक साथ स्नान किया.

हजारों वर्ष पूर्व प्राचीन मंदिर में शुक्ल पक्ष के दिन जो भाई-बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करते हैं, उन्हें यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. भैया दूज को यम द्वितीया का पर्व भी कहा जाता है. हर साल लाखों की संख्या में भाई-बहन यहां आकर विश्राम घाट पर स्नान करते हैं. स्नान के बाद मंदिर में दर्शन करने के बाद दान पुण्य किया जाता है. मंदिर में भाई यमराज और बहन यमुना जी चार भुजा धारी प्रतिमा स्थापित है. उनके एक हाथ में भोजन की थाली, दूसरे हाथ में कमल का पुष्प, तीसरे हाथ में भाई को टीका करते हुए और चौथे हाथ में वह भाई से वरदान ले रही हैं.

- शैलेंद्र नाथ चतुर्वेदी, मंदिर पुजारी

कई साल से हम यमराज और बहन यमुना जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. यम द्वितीया के दिन विशेष तौर पर भाई के साथ मथुरा स्नान करने के लिए आते हैं. यह काफी प्राचीन मंदिर बना हुआ है.

- पद्मावती, श्रद्धालु

12 वर्षों से लगातार वह अपनी बहन के साथ यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. यम द्वितीया के दिन यमुना जी में स्नान भी करते हैं. यम द्वितीया के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर स्नान और दान पुण्य करते हैं.

- आकाश चतुर्वेदी, श्रद्धालु

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