बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का हुआ आयोजन मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ महाराज की नगरी दाऊजी कस्बे के बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया. गुरुवार को हुए इस आयोजन में देवर भाभी ने होली खेली. हुरंगा के बाद से ब्रज में होली का समापन हो जाता है. हुरंगा देखने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बलदेव पहुंचे. इस दौरान परंपरा के अनुसार भाभियों ने देवर के कपड़े फाड़े. फिर उसी कपड़े से कोड़ा बनाकर देवरों की सांकेतिक पिटाई की. इसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं.
दाऊजी कस्बे के प्राचीन बलदाऊ जी महाराज के मंदिर में होती है कोड़ामार होली. क्या है कोड़ा मार होली : बलदेव में महिलाएं अपने देवर के साथ होली खेलती हैं. पुरुषों के कपड़े फाड़कर कोड़ा बनाया जाता है और पुरुषों पर महिलाएं कोड़े बरसाती है. कोड़ों की पिटाई के बदले पुरुष महिलाओं के ऊपर टेसू से तैयार किए गए रंग बाल्टी भर कर डालते हैं. ढोल नगाड़े की धुन पर नाचते हैं. दाऊजी में हुरंगा को कोड़ा मार होली के नाम से जाना जाता है.
मथुरा के बलदेव में होली के दूसरे दिन हुरंगा मनाया गया, इसके साथ ही 40 दिनों की होली का समापन हो गया.
बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा : बलदेव के हुरंगा में पंडा समाज के देवर और भाभी भाग लेती हैं. मंदिर प्रांगण के अंदर समाज गायन उसके बाद हुरंगा का आयोजन किया जाता है. जिसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं. होली खेलने के लिए टेसू के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. माना जाता है कि हुरंगा का रंग इतना पक्का होता है कि कपड़ा फट जाता है लेकिन कपड़े में लगा हुआ रंग छूटता नहीं है.
बलदेव का हुरंगा देखने के लिए विदेश से सैलानी भी आते हैं. भगवान बलदेव के मंदिर के पास लाखों की भीड़ जुटती है. दाऊजी कस्बे में प्राचीन बलदाऊ जी महाराज का मंदिर बना हुआ है. होली के दूसरे दिन बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का भव्य आयोजन किया जाता है. हुरंगा को लेकर देवर भाभी को होली का बेसब्री से इंतजार रहता है. स्थानीय निवासियों का मानना है कि ब्रज में होली का अद्भुत आनंद लेने के लिए स्वर्ग लोक से देवी देवता और भगवान कृष्ण, राधा जी और बड़े भाई बलदाऊ जी महाराज किसी न किसी रूप में धरती लोक पर पधारते हैं. हुरंगा के दौरान देवी देवता होली का आनंद लेते हैं. बता दें ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है और बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाती हैं और हुरंगा के दिन होली का समापन हो जाता है
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