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बलदेव में हुरंगा, कोड़ा मार होली में भाभियों ने फाड़े देवर के कपड़े फिर की कोड़े से पिटाई

भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ जी महाराज की नगरी बलदेव में होली के दूसरे दिन विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का भव्य आयोजन किया गया. उसे देखने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बलदेव आए. हुरंगा को लेकर जिला प्रशासन ने किए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे.

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Published : Mar 9, 2023, 1:32 PM IST

Updated : Mar 9, 2023, 2:20 PM IST

बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का हुआ आयोजन

मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ महाराज की नगरी दाऊजी कस्बे के बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया. गुरुवार को हुए इस आयोजन में देवर भाभी ने होली खेली. हुरंगा के बाद से ब्रज में होली का समापन हो जाता है. हुरंगा देखने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बलदेव पहुंचे. इस दौरान परंपरा के अनुसार भाभियों ने देवर के कपड़े फाड़े. फिर उसी कपड़े से कोड़ा बनाकर देवरों की सांकेतिक पिटाई की. इसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं.

world famous Huranga in Baldev
दाऊजी कस्बे के प्राचीन बलदाऊ जी महाराज के मंदिर में होती है कोड़ामार होली.
क्या है कोड़ा मार होली : बलदेव में महिलाएं अपने देवर के साथ होली खेलती हैं. पुरुषों के कपड़े फाड़कर कोड़ा बनाया जाता है और पुरुषों पर महिलाएं कोड़े बरसाती है. कोड़ों की पिटाई के बदले पुरुष महिलाओं के ऊपर टेसू से तैयार किए गए रंग बाल्टी भर कर डालते हैं. ढोल नगाड़े की धुन पर नाचते हैं. दाऊजी में हुरंगा को कोड़ा मार होली के नाम से जाना जाता है.
world famous Huranga in Baldev
मथुरा के बलदेव में होली के दूसरे दिन हुरंगा मनाया गया, इसके साथ ही 40 दिनों की होली का समापन हो गया.



बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा : बलदेव के हुरंगा में पंडा समाज के देवर और भाभी भाग लेती हैं. मंदिर प्रांगण के अंदर समाज गायन उसके बाद हुरंगा का आयोजन किया जाता है. जिसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं. होली खेलने के लिए टेसू के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. माना जाता है कि हुरंगा का रंग इतना पक्का होता है कि कपड़ा फट जाता है लेकिन कपड़े में लगा हुआ रंग छूटता नहीं है.

world famous Huranga in Baldev
बलदेव का हुरंगा देखने के लिए विदेश से सैलानी भी आते हैं. भगवान बलदेव के मंदिर के पास लाखों की भीड़ जुटती है.
दाऊजी कस्बे में प्राचीन बलदाऊ जी महाराज का मंदिर बना हुआ है. होली के दूसरे दिन बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का भव्य आयोजन किया जाता है. हुरंगा को लेकर देवर भाभी को होली का बेसब्री से इंतजार रहता है. स्थानीय निवासियों का मानना है कि ब्रज में होली का अद्भुत आनंद लेने के लिए स्वर्ग लोक से देवी देवता और भगवान कृष्ण, राधा जी और बड़े भाई बलदाऊ जी महाराज किसी न किसी रूप में धरती लोक पर पधारते हैं. हुरंगा के दौरान देवी देवता होली का आनंद लेते हैं. बता दें ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है और बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाती हैं और हुरंगा के दिन होली का समापन हो जाता हैपढ़ें : Holi in Mathura: मथुरा में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर होली खेली

बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का हुआ आयोजन

मथुरा : भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ महाराज की नगरी दाऊजी कस्बे के बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया. गुरुवार को हुए इस आयोजन में देवर भाभी ने होली खेली. हुरंगा के बाद से ब्रज में होली का समापन हो जाता है. हुरंगा देखने के लिए दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बलदेव पहुंचे. इस दौरान परंपरा के अनुसार भाभियों ने देवर के कपड़े फाड़े. फिर उसी कपड़े से कोड़ा बनाकर देवरों की सांकेतिक पिटाई की. इसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं.

world famous Huranga in Baldev
दाऊजी कस्बे के प्राचीन बलदाऊ जी महाराज के मंदिर में होती है कोड़ामार होली.
क्या है कोड़ा मार होली : बलदेव में महिलाएं अपने देवर के साथ होली खेलती हैं. पुरुषों के कपड़े फाड़कर कोड़ा बनाया जाता है और पुरुषों पर महिलाएं कोड़े बरसाती है. कोड़ों की पिटाई के बदले पुरुष महिलाओं के ऊपर टेसू से तैयार किए गए रंग बाल्टी भर कर डालते हैं. ढोल नगाड़े की धुन पर नाचते हैं. दाऊजी में हुरंगा को कोड़ा मार होली के नाम से जाना जाता है.
world famous Huranga in Baldev
मथुरा के बलदेव में होली के दूसरे दिन हुरंगा मनाया गया, इसके साथ ही 40 दिनों की होली का समापन हो गया.



बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा : बलदेव के हुरंगा में पंडा समाज के देवर और भाभी भाग लेती हैं. मंदिर प्रांगण के अंदर समाज गायन उसके बाद हुरंगा का आयोजन किया जाता है. जिसे कोड़ा मार होली भी कहते हैं. होली खेलने के लिए टेसू के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. माना जाता है कि हुरंगा का रंग इतना पक्का होता है कि कपड़ा फट जाता है लेकिन कपड़े में लगा हुआ रंग छूटता नहीं है.

world famous Huranga in Baldev
बलदेव का हुरंगा देखने के लिए विदेश से सैलानी भी आते हैं. भगवान बलदेव के मंदिर के पास लाखों की भीड़ जुटती है.
दाऊजी कस्बे में प्राचीन बलदाऊ जी महाराज का मंदिर बना हुआ है. होली के दूसरे दिन बलदेव में विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का भव्य आयोजन किया जाता है. हुरंगा को लेकर देवर भाभी को होली का बेसब्री से इंतजार रहता है. स्थानीय निवासियों का मानना है कि ब्रज में होली का अद्भुत आनंद लेने के लिए स्वर्ग लोक से देवी देवता और भगवान कृष्ण, राधा जी और बड़े भाई बलदाऊ जी महाराज किसी न किसी रूप में धरती लोक पर पधारते हैं. हुरंगा के दौरान देवी देवता होली का आनंद लेते हैं. बता दें ब्रज में होली 40 दिनों तक खेली जाती है और बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाती हैं और हुरंगा के दिन होली का समापन हो जाता हैपढ़ें : Holi in Mathura: मथुरा में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं ने जमकर होली खेली
Last Updated : Mar 9, 2023, 2:20 PM IST
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