प्रयागराजः मथुरा वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर में होने वाले निर्माण से वृंदावन का पौराणिक स्वरूप बिगड़ सकता है. इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मंदिर सेवायतों की ओर से यह आशंका जताई गई. अनंत कुमार शर्मा व अन्य कई याचिकाओं पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ सुनवाई कर रही है.
मंदिर पक्ष का कहना था कि सरकार कॉरिडोर के निर्माण करती है. इस दौरान की जाने वाली तोड़फोड़ से पुरातात्विक महत्व वाले मंदिरों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे कि वृंदावन का पौराणिक स्वरुप बिगड़ जाएगा. मंदिर के आसपास कई पौराणिक मंदिर भी मौजूद हैं, जिनका संरक्षण पुरातत्व विभाग करता है. ऐसे में इन मंदिरों को तोड़ने और कॉरिडोर के निर्माण की अनुमति देना उचित नहीं होगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा के लिए कानून के तहत कोई कदम उठाए जाने में क्या परेशानी है. क्या वे श्रीकृष्ण जन्म के समय की स्थिति कायम रखने की मांग कर रहे हैं. अतिक्रमण किया गया है. लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार कदम उठाएगी.
सेवायतों की ओर से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के प्रावधानों का हवाला दे कर कहा गया कि एक्ट में किसी भी पूजा स्थल की स्थिति में परिवर्तन पर रोक है. ऐसा करना अपराध भी है. बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर करीब 14 मंदिर हैं. कॉरिडोर से इन मंदिरों को नुकसान होगा. ये मंदिर प्रसिद्ध गायक तानसेन के गुरु हरदास संप्रदाय के हैं. सरकार इन मंदिरों को ध्वस्त करना चाहती है.
याची की अधिवक्ता आपत्ति को निराधार बताया. कहा कि याचिका श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा देने की मांग को लेकर है. वहां भीड़ में हादसे हो रहे हैं. राज्य सरकार के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व मुख्य स्थायी अधिवक्ता कुणाल रवि सिंह ने कहा कि सरकार कानून के तहत जनहित में आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा व सुविधा के लिए कॉरिडोर बनाना चाहती है, जिससे मंदिर पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को पूर्व में दाखिल याचिका पर विचार कर उसे निस्तारित करने का आदेश दिया था. सुनवाई मंगलवार को भी होगी.
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