मथुरा : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हैं. ये पार्टियां जमीनी स्तर पर अपना वोटबैंक मजबूत करने और उसे बढ़ाने के लिए लोगों को अपनी ओर रिझाने का प्रयास कर रहीं हैं.
इस दौरान हमने जनपद मथुरा की छाता विधानसभा में आगामी चुनावों को लेकर लोगों की राय जाननी चाही. बातचीत में लोगों ने राजनीतिक मुद्दों और जनसमस्याओं समेत पूर्व चुनावों में किए गए वायदों को लेकर अपनी अलग-अलग राय दी. कुछ ने कहा कि सरकार जो कर रही है, वह सही है तो कुछ ने क्षेत्र में विकास क्षेत्र में विकास और मंहगाई के मुद्दे पर अपनी बेबाक राय दी.
लोगों का कहना था कि बिजली के बिल, सड़क की दुर्दशा और पीने के पानी की समस्या से क्षेत्र की जनता जूझ रही है. कहा कि उन्हें अच्छी सड़कें, गांवों में बच्चियों के लिए अच्छे स्कूल, महंगाई में कमी, बिजली के त्रुटिपूर्ण बिलों में सुधार चाहिए. हालांकि इस ओर न तो पूर्व की सरकारों ने और न ही वर्तमान सरकार ने ही कोई ध्यान दिया. इससे आम लोगों की परेशानियां बढ़ने की बजाए घटी हैं.
कहा कि इस बार क्षेत्र के लोग विकास के नाम ही वोट करेंगे. वहीं, तीन कृषि कानूनों के बारे में अधिकतर ग्रामीणों और किसानों ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है. वह केवल अन्य किसानों के विरोध करने पर उनका साथ दे रहे हैं.
क्या कहते हैं लोग
मथुरा की छाता विधानसभा सीट पर लोग इस बार केवल विकास के मुद्दे पर ही वोट देना चाहते हैं. क्षेत्र के लोगों से इस बाबत बात की गई. लोगों का कहना था कि वर्तमान सरकार का कार्य काफी हद तक संतोषजनक है.
हालांकि कुछ स्थानीय मुद्दे भी हैं जिन्हें अब तक नहीं हल किया गया है. समस्याएं बरकरार हैं. इनमें क्षेत्र की बदहाल सड़कें, बिजली की समस्या, पीने के पानी की समस्याएं ऐसी समस्याएं हैं जो निरंतर चली आ रही हैं. हालांकि यह कोई बड़े मुद्दे नहीं हैं फिर भी इस बार के चुनावों में इनके समाधान पर भी जोर दिया जाएगा.
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वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि इन समस्याओं को न तो पिछली सरकारों और उनके जनप्रतिनिधियों ने हल किया और न ही अब की सरकारों और उनके जनप्रतिनिधियों ने दूर करने का प्रयास किया. लोगों ने महंगाई का मुद्दा भी उठाया. कहा कि सरसों का तेल हो या पेट्रोल व डीजल, बिजली के बढे़ हुए बिल हों या रसोई गैस, जनता सभी पर महंगाई की मार झेल रही है.
तीन कृषि कानूनों की नहीं जानकारी, फिर कर रहे विरोध
वहीं, क्षेत्र के किसानों से तीन कृषि कानूनों के बारे में भी बात की गई. इस पर किसानों ने कहा कि वह लोग कृषि कानूनों का विरोध करते हैं. साथ ही इन कानूनों को वापस लेने की मांग भी करते हैं. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या इन तीन कृषि कानूनों के विषय में किसी को जानकारी है? इस पर अधिकतर किसानों और ग्रामीणों ने इसकी कोई जानकारी न होने की बात कही. किसी को भी तीन कृषि कानूनों की जानकारी नहीं थी.
लोगों का केवल यह कहना था कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के लिए और लोगों के लिए नुकसानदायक हैं. जब अन्य किसान इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं तो जरूर इनमें कोई न कोई खामी होगी. इसलिए वे लोग भी इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वे लोग इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ हैं. जब तक इन कानूनों का विरोध चलेगा, वे लोग भी इसका विरोध करते रहेंगे. इन लोगों ने भी तीन कृषि कानून वापस लेने की मांग की.