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गांधी जयंती विशेष: मथुरा से जुड़ी हैं बापू की यादें - Mahatma Gandhi Jayanti

उत्तर प्रदेश के मथुरा से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बहुत सारी यादे जुड़ी हुई हैं. शहर के बीच में स्थित डाक घर में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक ने देश को आजाद कराने की रणनीति बनाई थी.

डाक घर मथुरा.
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Published : Oct 1, 2019, 11:22 PM IST

मथुराः देश को आजाद कराने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मथुरा से जुड़ी हुई कुछ पुरानी यादें हैं. शहर के बीच स्थित पुराना डाकघर जो बड़ी हवेली के नाम से जाना जाता था. इस हवेली में 1929 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक एक रात के लिए रुके थे और क्रांतिकारियों के साथ देश आजाद कराने की रणनीति बनाई थी.

डाक घर मथुरा.
शहर के बीचों-बीच आज भी महात्मा गांधी की इस हवेली से जुड़ी हुई यादें हैं. यह हवेली क्रांतिकारियों का एक गुप्त स्थान माना जाता था. इस हवेली में रात के अंधेरे में क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ देश आजाद करने की रणनीति बनाते थे.

वहां के स्थानीय रामेश्वर दयाल ने बताया कि हमारे दादा जी बताते थे कि महात्मा गांधी 1929 में मथुरा आए थे और एक रात रुके थे. उनके साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक भी थे. शहर के बीचों-बीच बड़ी हवेली उस समय पुराना डाकघर के नाम से जानी जाती थी. इस हवेली में आकर महात्मा गांधी एक रात रुके और क्रांतिकारियों के साथ देश आजाद करने की रणनीति बनाई.

मथुराः देश को आजाद कराने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मथुरा से जुड़ी हुई कुछ पुरानी यादें हैं. शहर के बीच स्थित पुराना डाकघर जो बड़ी हवेली के नाम से जाना जाता था. इस हवेली में 1929 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक एक रात के लिए रुके थे और क्रांतिकारियों के साथ देश आजाद कराने की रणनीति बनाई थी.

डाक घर मथुरा.
शहर के बीचों-बीच आज भी महात्मा गांधी की इस हवेली से जुड़ी हुई यादें हैं. यह हवेली क्रांतिकारियों का एक गुप्त स्थान माना जाता था. इस हवेली में रात के अंधेरे में क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ देश आजाद करने की रणनीति बनाते थे.

वहां के स्थानीय रामेश्वर दयाल ने बताया कि हमारे दादा जी बताते थे कि महात्मा गांधी 1929 में मथुरा आए थे और एक रात रुके थे. उनके साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक भी थे. शहर के बीचों-बीच बड़ी हवेली उस समय पुराना डाकघर के नाम से जानी जाती थी. इस हवेली में आकर महात्मा गांधी एक रात रुके और क्रांतिकारियों के साथ देश आजाद करने की रणनीति बनाई.

Intro:मथुरा। देश को आजाद कराने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए ।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मथुरा से जुड़ी हुई कुछ पुरानी यादें हैं। शहर के बीचोंबीच स्थित पुराना डाकघर जो बड़ी हवेली के नाम से जाना जाता था ,बड़ी हवेली के नाम से जाना जाता था ,इस हवेली में 1929 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ,जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक एक रात के लिए रुके और क्रांतिकारियों के साथ देश आजाद कराने की रणनीति बनाई थी ऐसे अंग्रेजों से लड़ाई लड़नी है।


Body:शहर के बीचोबीच आज भी इस हवेली से जुड़ी हुई महात्मा गांधी की यादें हैं बड़ी हवेली जो क्रांतिकारियों का एक गुप्त स्थान माना जाता था। इस हवेली में रात के अंधेरे में क्रांतिकारी अंग्रेजो के खिलाफ देश आजाद करने की रणनीति बनाते थे।


Conclusion:रामेश्वर दयाल स्थानीय निवासी ने बताया कि हमारे दादा जी बताते थे कि महात्मा गांधी 1929 में मथुरा आए थे ओर एक रात रुके थे, उनके साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक भी थे। शहर के बीचों-बीच बड़ी हवेली जो उस समय पुराना डाकघर के नाम से जानी जाती थी इस हवेली में आकर एक रात रूके और अपने क्रांतिकारियों के साथ देश आजाद करने की रणनीति बनाई , अंग्रेजों को कैसे देश से बाहर भगाना है।

वाइट रामेश्वर दयाल स्थानीय निवासी
पीटीसी प्रवीन शर्मा



mathura reporter
praveen sharma
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