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मथुरा के मंदिरों में कोरोना के चलते नहीं सजाया जा रहा फूल बंगला - phool-bangla

वैश्विक महामारी कोरोना का असर उद्योग-धंधों के साथ-साथ मंदिरों पर भी साफ तौर पर दिख रहा है. मंदिरों में भगवान को फूलों का हार नहीं चढ़ पा रहा है. इसका असर ये हुआ है कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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मथुरा के मंदिरों में नहीं सजाया जा रहा फूल बंगला
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Published : Jul 10, 2020, 4:02 AM IST

मथुराः जिले में गर्मी के मौसम में सर्दी का एहसास कराने के लिए मंदिरों में ठाकुरजी के लिए फूल बंगला सजाया जाता है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पिछले तीन महीनों से मंदिरों में फूल बंगला नहीं सजाया गया है. फूल बंगले का आयोजन ना होने के कारण किसानों के फूल नहीं बिक रहे हैं. जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

मथुरा के मंदिरों में नहीं सजाया जा रहा फूल बंगला

गर्मी के मौसम में फूल बंगला सजाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, इस्कॉन टेंपल, वैष्णो देवी और शहर के द्वारकाधीश मंदिर, श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिरों में फूल बंगला सजाया जाता है.

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मथुरा के मंदिरों में नहीं सजाया जा रहा फूल बंगला

फूल बंगला सजाने में 25 हजार रूपए होते हैं खर्च
मथुरा जनपद में कई मंदिर हैं, जिनमें फूल बंगला सजाने की परंपरा मनाई जाती है. मंदिर की सजावट में चमेली, गेंदा, गुलाब आदि कई तरह के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. एक मंदिर में फूल बंगला सजाने के लिए 15 से 20 किलो फूलों की खपत होती है. साथ ही एक फुल बंगला सजाने में लगभग 25 हजार रूपए खर्च होते हैं.

प्रतिदिन होती थी 500 किलो फूल की बिक्री

वैश्विक महामारी के चलते तीन महीनों से फूलों की बिक्री में 80% तक कमी आई है. कोरोना काल के दौरान मंदिरों में फूल बंगला का आयोजन भी नहीं हो रहा है. इसके अलावा मंदिरों में श्रद्धालु भी नहीं पहुंच रहे हैं. फूल व्यापारी लाला ने बताया कि 25 मार्च से जनपद के सभी मंदिर बंद हो गए थे.

कोरोना काल से पहले एक दिन में लगभग 500 किलो तक फूलों की बिक्री हो जाती थी. वहीं अब 50 से 60 किलो ही फूल पर बिक रहे हैं. मंदिर बंद होने से बाजार में फुलों की मांग कम है. हर साल इस सीजन में फूल की मांग खूब होती थी.

इसे पढ़ें- कानपुर मुठभेड़ मामला: यहां पढ़ें कब, क्या और कैसे हुआ

मथुराः जिले में गर्मी के मौसम में सर्दी का एहसास कराने के लिए मंदिरों में ठाकुरजी के लिए फूल बंगला सजाया जाता है. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पिछले तीन महीनों से मंदिरों में फूल बंगला नहीं सजाया गया है. फूल बंगले का आयोजन ना होने के कारण किसानों के फूल नहीं बिक रहे हैं. जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.

मथुरा के मंदिरों में नहीं सजाया जा रहा फूल बंगला

गर्मी के मौसम में फूल बंगला सजाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, इस्कॉन टेंपल, वैष्णो देवी और शहर के द्वारकाधीश मंदिर, श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिरों में फूल बंगला सजाया जाता है.

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मथुरा के मंदिरों में नहीं सजाया जा रहा फूल बंगला

फूल बंगला सजाने में 25 हजार रूपए होते हैं खर्च
मथुरा जनपद में कई मंदिर हैं, जिनमें फूल बंगला सजाने की परंपरा मनाई जाती है. मंदिर की सजावट में चमेली, गेंदा, गुलाब आदि कई तरह के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. एक मंदिर में फूल बंगला सजाने के लिए 15 से 20 किलो फूलों की खपत होती है. साथ ही एक फुल बंगला सजाने में लगभग 25 हजार रूपए खर्च होते हैं.

प्रतिदिन होती थी 500 किलो फूल की बिक्री

वैश्विक महामारी के चलते तीन महीनों से फूलों की बिक्री में 80% तक कमी आई है. कोरोना काल के दौरान मंदिरों में फूल बंगला का आयोजन भी नहीं हो रहा है. इसके अलावा मंदिरों में श्रद्धालु भी नहीं पहुंच रहे हैं. फूल व्यापारी लाला ने बताया कि 25 मार्च से जनपद के सभी मंदिर बंद हो गए थे.

कोरोना काल से पहले एक दिन में लगभग 500 किलो तक फूलों की बिक्री हो जाती थी. वहीं अब 50 से 60 किलो ही फूल पर बिक रहे हैं. मंदिर बंद होने से बाजार में फुलों की मांग कम है. हर साल इस सीजन में फूल की मांग खूब होती थी.

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