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टूटी छत, गंदे शौचालय, शिक्षक परेशान, कैसे पढ़ेंगे योगी के नौनिहाल! - mathura news

मथुरा के वृंदावन इलाके में प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. यहां के कई प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है. स्कूलों में छत के नाम पर बेकार पड़ी टीन शेड लगी है. इतना ही नहीं, यहां न तो शौचालय हैं और न ही सफाई को कोई व्यवस्था है. ऐसे में छात्रों का भविष्य राम भरोसे ही छोड़ दिया गया है.

टूटी छत के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल.
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Published : Jul 13, 2019, 1:08 PM IST

मथुरा: सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान को लेकर तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. सरकार का उद्देश्य है कि ज्यादातर लोगों तक शिक्षा पहुंचे, लेकिन सरकार की यह योजनाएं गंदगी, शौचालय की कमी, बिजली की समस्या और विद्यालय में छत न होने की वजह से दम तोड़ती नजर आ रही हैं.

टूटी छत के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल.

टीन शेड के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र
योगी सरकार की दम तोड़ती योजनाओं का अनुमान वृंदावन के लाल बहादुर शास्त्री एवं महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय की दयनीय हालत देखकर लगाया जा सकता है. विद्यालय की शिक्षिका का कहना है कि यहां बच्चे टीन शेड के नीचे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे अधिकारी
एक तरफ सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा के बूते मुख्यधारा में जोड़ने का दम भर रही है, वहीं शिक्षा विभाग के अलावा सरकार के नुमाइंदों की उदासीनता के चलते बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं सफाई को लेकर नगर निगम के अधिकारी पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि सफाई का कोई प्रकरण है ही नहीं. रीटेन में शिकायत दर्ज न होने का हवाला देते हुए अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

सर्व शिक्षा अभियान की उड़ रही धज्जियां
वृंदावन के इस इलाके में तीन प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों में करीब 300 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं की अनदेखी के चलते इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां की शिक्षा-व्यवस्था सीएम योगी की ओर से गरीब बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की धज्जियां उड़ा रही है.

मथुरा: सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान को लेकर तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. सरकार का उद्देश्य है कि ज्यादातर लोगों तक शिक्षा पहुंचे, लेकिन सरकार की यह योजनाएं गंदगी, शौचालय की कमी, बिजली की समस्या और विद्यालय में छत न होने की वजह से दम तोड़ती नजर आ रही हैं.

टूटी छत के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल.

टीन शेड के नीचे पढ़ने को मजबूर छात्र
योगी सरकार की दम तोड़ती योजनाओं का अनुमान वृंदावन के लाल बहादुर शास्त्री एवं महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय की दयनीय हालत देखकर लगाया जा सकता है. विद्यालय की शिक्षिका का कहना है कि यहां बच्चे टीन शेड के नीचे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे अधिकारी
एक तरफ सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा के बूते मुख्यधारा में जोड़ने का दम भर रही है, वहीं शिक्षा विभाग के अलावा सरकार के नुमाइंदों की उदासीनता के चलते बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं सफाई को लेकर नगर निगम के अधिकारी पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि सफाई का कोई प्रकरण है ही नहीं. रीटेन में शिकायत दर्ज न होने का हवाला देते हुए अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं.

सर्व शिक्षा अभियान की उड़ रही धज्जियां
वृंदावन के इस इलाके में तीन प्राथमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं. इन विद्यालयों में करीब 300 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं की अनदेखी के चलते इन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यहां की शिक्षा-व्यवस्था सीएम योगी की ओर से गरीब बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की धज्जियां उड़ा रही है.

Intro:वृंदावन में नगर निगम कार्यालय के समीप गंदगी, शौचालय ,बिजली की समस्याओं से सिसक रहे स्कूली बच्चों एवं शिक्षकों ने नगर निगम कार्यालय में प्रदर्शन किया. आक्रोशित विद्यार्थी व शिक्षक शिक्षिकाओं ने निगम अधिकारियों से विद्यालय परिसर में व्याप्त समस्याओं से निजात दिलाने की मांग की.


Body:विद्यालय परिसर में व्याप्त समस्याओं से बच्चे और शिक्षक सिसक रहे हैं .वृंदावन के राधा निवास स्थित लाल बहादुर शास्त्री एवं महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय में विचरण करते आवारा पशु और सूअर स्वच्छता अभियान को मुंह चढ़ाते दिख रहे हैं. देश में स्वच्छ भारत अभियान एवं सरकारी विद्यालयों में उच्च स्तर की व्यवस्था देने का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार के दावों की हकीकत वृंदावन के लाल बहादुर शास्त्री एवं महात्मा गांधी प्राथमिक विद्यालय में दयनीय हालत को देखकर लगाई जा सकती है. इस क्षेत्र में 3 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं जिनमें करीब 300 से ज्यादा बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार पढ़े बेटियां बढ़े बेटियां और डिजिटल इंडिया का नारा तो देती है ,लेकिन बच्चों को विद्यालय में व्यवस्थाओं के नाम पर न स्वच्छ वातावरण ,स्वच्छ पानी, ना बिजली ,ना शौचालय मुहैया करा पाती है .हैरत की बात तो यह है कि सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर घर में शौचालय बनाने की मुहिम चलाई जा रही है. वहीं सरकारी विद्यालयों में छात्राओं के लिए एक शौचालय तक नहीं बनाया गया है. इतना ही नहीं इन विद्यालयों में पिछले 40 सालों से बिजली कनेक्शन नहीं है. जिसके चलते इस भीषण गर्मी में पसीने से तरबतर बच्चे अपनी किताबों से गर्मी को दूर करने का प्रयास करते रहते हैं.


Conclusion:वही शिक्षिकाओं ने बताया कि इस भीषण गर्मी के चलते कई बार बच्चों की तबीयत गर्मी के कारण बिगड़ चुकी है. लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता. बात यहीं नहीं रुकती विद्यालय में बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर शिक्षा हासिल कर रहे हैं विद्यालय की छत पर डाली गई टीन शेड लगभग गल चुकी है .जर्जर अवस्था में पड़े टीन सैड से यहां हादसा की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. आप देख सकते हैं विद्यालय की छत पर जर्जर हो चुकी टीनो में कितने सुराख हैं. बारिश के दिनों में यहां की स्थिति का अंदाजा आप खुद व खुद लगा सकते हैं. लेकिन शायद शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बच्चों की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है. अगर बात करें नगर निगम प्रशासन की तो विद्यालय परिसर में पूरी तरह गंदगी का साम्राज्य कायम है. जिसको देखकर आप नगर निगम की कारगुजारी का अंदाजा लगा सकते हैं. बच्चों की इस हालत के लिए स्वास्थ्य विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं है. एक तरफ प्रशासन द्वारा संचारी रोगों को लेकर अभियान चलाया जा रहा है, वहीं इस भारी गंदगी के बीच शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी आंखें मूंदे हुए हैं. एक तरफ सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा के बूते मुख्यधारा में जोड़ने का दम भर रही है ,वहीं शिक्षा विभाग के अलावा सरकार के नुमाइंदों की उदासीनता के चलते बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. विभागीय अधिकारी विद्यालय में भारी अव्यवस्थाओं को देख कर भी अनदेखा करने में लगे हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गरीब बच्चों को मुख्यधारा में लाने की मुहिम सफल हो पाएगी.
बाइट -अनीशा शिक्षिका
काउंटर बाइट -सुभाष चंद्र सेनेटरी इंस्पेक्टर नगर निगम
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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