मथुरा: नेपाल राष्ट्र के प्रथम जगतगुरु बाल संत मोहन शरण देवाचार्य शुक्रवार को तीर्थ नगरी वृंदावन पहुंचे. जहां उनका नेपाली मित्र परिषद के पदाधिकारियों और समस्त अखाड़ों के संत-महंतों के द्वारा माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया गया. नेपाल के पहले जगतगुरु बनने के बाद वह पहली बार धार्मिक यात्रा पर आए. इस दौरान उन्होंने नेपाल और भारत की मित्रता के साथ सनातन संस्कृति की सराहना की.
नेपाल के पहले जगतगुरु बाल संत मोहन शरण देवाचार्य पहुंचे वृंदावन
- शुक्रवार को मित्र राष्ट्र नेपाल के पहले जगतगुरु बाल संत मोहन शरण देवाचार्य वृंदावन आए.
- वृंदावन में जगतगुरु बाल संत मोहन शरण का भव्य स्वागत किया गया.
- इस दौरान बड़ी संख्या में नेपाल से आए भक्तों ने संतों के आशीष वचनों का श्रवण किया.
- इस बीच अटाला चुंगी स्थित गोपाल बाग आश्रम में संत विद्वान संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
- इस संगोष्ठी में संत, महंतों के प्रवचन और महाराजश्री का आशीर्वादात्मक उद्बोधन भी हुआ.
भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है नेपाल और भारत की संस्कृति
पत्रकारों से वार्ता करते हुए जगतगुरु मोहन शरण देवाचार्य ने कहा कि नेपाल से भारत के रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. नेपाल की संस्कृति और भारतीय संस्कृति एक-दूसरे से जुड़ी हुई है. नेपाल में चीन के हस्तक्षेप के सवाल पर उन्होंने इसे राजनीति से जुड़ा प्रश्न मानते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया. वहीं राम मंदिर के सवाल पर उन्होंने कहा कि नेपाल में 95 प्रतिशत हिंदू हैं, जो चाहते हैं कि अयोध्या में जल्द से जल्द भव्य राम मंदिर का निर्माण हो.
पाश्चात्य संस्कृति का नेपाल में हो रहा विकास
वही नेपाल में क्रिश्चियन लोगों के बढ़ रहे प्रभाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि पाश्चात्य लोग धीरे-धीरे नेपाल में पाश्चात्य संस्कृति का विस्तार कर रहे हैं. इसको लेकर हमने सरकार को चेताया और आंदोलन भी किए हैं, लेकिन हम आशावादी हैं. सभी संत-महंतों का आशीर्वाद है तो धीरे-धीरे नेपाल हिंदू राष्ट्र स्थापित हो जाएगा.