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शोपीस बने जन औषधि केंद्र, दवा की पर्ची पर ब्रांड का नाम लिख रहे डॉक्टर

सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली मुफ्त दवाइयों की पहुंच मरीजों तक बनाने, साथ ही जनऔषधि केंद्रों पर दवाइयों की खपत बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को मरीज की पर्ची पर दवाइयों के नाम की जगह साल्ट लिखकर देने के आदेश दिए गए थे. लेकिन मथुरा में डॉक्टर इस आदेश की अवहेलना कर रहे हैं.

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Published : Feb 15, 2021, 8:57 AM IST

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
शोपीस बने जन औषधि केंद्र.

मथुरा : जिला अस्पताल आए दिन सुर्खियों में बना रहता है, फिर चाहे अस्पताल से बच्चा चोरी होने की बात हो या फिर मरीजों को सही से उपचार न मिलने की बात. जिला अस्पताल में जिले भर से सैकड़ों की संख्या में हर रोज मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं. लेकिन लचर स्वास्थ्य सेवाएं होने के चलते मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गरीब जिला अस्पताल से उपचार के लिए इसलिए पहुंचते हैं क्योंकि वह महंगा उपचार कराने में वह असमर्थ हैं. लेकिन यहां भी चिकित्सक मुनाफाखोरी के चक्कर में बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं. इतना ही नहीं दवाई की पर्ची पर साल्ट लिखने का आदेश है लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर ब्रांड का नाम लिख रहे हैं.

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.

हर रोज सैकड़ों की संख्या में मरीज जिला अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन यहां पर समस्याओं के चलते उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिला अस्पताल में लंबे समय से एक्स-रे मशीन खराब चल रही है, तो वहीं डॉक्टर जन औषधि केंद्र होने के बावजूद भी बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं. मरीजों का कहना है कि जिला अस्पताल में कुछ ही दवाइयां मिल पाती हैं, ज्यादातर दवाइयों को चिकित्सकों द्वारा बाहर से लेने के लिए बोला जाता है. वहीं जब इस संबंध में सीएमएस डॉक्टर मुकुंद बंसल से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
शोपीस बने जन औषधि केंद्र.

जिला अस्पताल में स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के सहायक दीपेश ने बताया कि यहां दवा उपलब्ध होने के बावजूद भी डॉक्टर जान बूझकर मुनाफाखोरी के चक्कर में बाहर की महंगी दवाइयां लिखी जाती हैं. दीपेश ने बताया कि डॉक्टर ऐसी दवाइयों को लिखते हैं कि वह जन औषधि केंद्र पर न मिले. वहीं इस संबंध में जिला अस्पताल के डॉक्टर सीपी सिंह ने बताया कि अधिकतर दवाइयां जिला अस्पताल से ही मिल जाती हैं. कुछ एक दवाइयां जो मिलती हैं, उसको हम जन औषधि केंद्र से लेने के लिए मरीजों को लिखते हैं. ऐसा नहीं है कि बाहर से दवाइयां लेने के लिए कहा जा रहा है.

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
शोपीस बने जन औषधि केंद्र.

मथुरा : जिला अस्पताल आए दिन सुर्खियों में बना रहता है, फिर चाहे अस्पताल से बच्चा चोरी होने की बात हो या फिर मरीजों को सही से उपचार न मिलने की बात. जिला अस्पताल में जिले भर से सैकड़ों की संख्या में हर रोज मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं. लेकिन लचर स्वास्थ्य सेवाएं होने के चलते मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गरीब जिला अस्पताल से उपचार के लिए इसलिए पहुंचते हैं क्योंकि वह महंगा उपचार कराने में वह असमर्थ हैं. लेकिन यहां भी चिकित्सक मुनाफाखोरी के चक्कर में बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं. इतना ही नहीं दवाई की पर्ची पर साल्ट लिखने का आदेश है लेकिन इसके बावजूद डॉक्टर ब्रांड का नाम लिख रहे हैं.

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.

हर रोज सैकड़ों की संख्या में मरीज जिला अस्पताल पहुंचते हैं. लेकिन यहां पर समस्याओं के चलते उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिला अस्पताल में लंबे समय से एक्स-रे मशीन खराब चल रही है, तो वहीं डॉक्टर जन औषधि केंद्र होने के बावजूद भी बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं. मरीजों का कहना है कि जिला अस्पताल में कुछ ही दवाइयां मिल पाती हैं, ज्यादातर दवाइयों को चिकित्सकों द्वारा बाहर से लेने के लिए बोला जाता है. वहीं जब इस संबंध में सीएमएस डॉक्टर मुकुंद बंसल से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
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जिला अस्पताल में स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के सहायक दीपेश ने बताया कि यहां दवा उपलब्ध होने के बावजूद भी डॉक्टर जान बूझकर मुनाफाखोरी के चक्कर में बाहर की महंगी दवाइयां लिखी जाती हैं. दीपेश ने बताया कि डॉक्टर ऐसी दवाइयों को लिखते हैं कि वह जन औषधि केंद्र पर न मिले. वहीं इस संबंध में जिला अस्पताल के डॉक्टर सीपी सिंह ने बताया कि अधिकतर दवाइयां जिला अस्पताल से ही मिल जाती हैं. कुछ एक दवाइयां जो मिलती हैं, उसको हम जन औषधि केंद्र से लेने के लिए मरीजों को लिखते हैं. ऐसा नहीं है कि बाहर से दवाइयां लेने के लिए कहा जा रहा है.

शोपीस बने जन औषधि केंद्र.
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