मथुरा: संत विजय दास (Sant Vijay Das) ने राजस्थान के भरतपुर में पसोपा इलाके में चल रहे खनन (illegal mining bharatpur) के विरोध में 20 जुलाई को आग लगाकर आत्मदाह का प्रयास किया था, जिन्हें गंभीर हालत में दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहां शनिवार सुबह तड़के उनका निधन (Sant Vijay Das passed away) हो गया.
संत विजय दास ने आदिबद्री और कनिकांचल पर्वत के खनन के खिलाफ 500 दिन प्रदर्शन किया. जब सुनवाई नहीं हुई तो अगले ही दिन उन्होंने खुद को आग के हवाले कर दिया और आत्मदाह का प्रयास किया. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ. इसमें शरीर पर आग लगी हुई थी और वह राधे-राधे कहते हुए दौड़ रहे थे. वहीं, जनपद मथुरा के बरसाना में स्थित माताजी गौशाला में संत विजय दास का पार्थिव शरीर लाया गया. यहां उनका अंतिम संस्कार किया गया. इसमें देश के कोने-कोने से लोगों ने पहुंचकर उनके अंतिम दर्शन किए.
इसके बारे में जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी (Laxmi Narayan Choudhary statement) ने बताया कि भारतवर्ष में यदि ऋषि-मुनियों को आत्महत्या करना पड़े तो इससे बुरा क्या हो सकता. यह केवल पर्वत पत्थर नहीं है, यह हमारी धरोहर है. ऐसे वृक्ष जो पांच-पांच हजार, दस-दस हजार से अधिक पर्वतों पर लगे हुए हैं. यह भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं. अगर यदि इनकी कोई सुरक्षा नहीं कर सके, रक्षा न कर सके और इसकी रक्षा के लिए संतों को यदि आत्मदाह करना पड़ जाए, इससे बड़ा दुर्भाग्य और कोई नहीं हो सकता.
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कैबिनेट मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने कहा कि जनपद मथुरा के बरसाना में एक लंबा आंदोलन चला था रमेश बाबा के नेतृत्व में. आज रमेश बाबा के नेतृत्व के आंदोलन की वजह से यहां देश की सबसे बड़ी गौशाला 55 हजार गायों की बनी हुई है. यहां एक नहीं, चार से छह मुख्यमंत्री गौशाला के दर्शन करने के लिए आते हैं. रमेश बाबा के आंदोलन का सम्मान किया जाता है. उनके नेतृत्व के अंतर्गत जो आंदोलन किया गया, वह सफल रहा.
कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि यह राजस्थान सरकार का निर्णय है, या केंद्र सरकार का निर्णय है. उत्तर प्रदेश सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन, निष्पक्ष इस मामले की जांच होनी चाहिए. क्योंकि, यह भू-माफिया का खनन माफिया का बहुत बड़ा गिरोह है. उस गिरोह की वजह से यह स्थिति यहां तक पहुंची है. उन्होंने कहा कि वे इतना ही कह सकते हैं कि जिनकी कार्यशैली भारतीय संस्कृति के अनुसार नहीं है, संतों के अनुसार नहीं है और ऋषि मुनियों के अनुसार नहीं है, वह ऐसी ही अनर्गल बातें करते हैं. जनता इसका जवाब आगे आने वाले समय में देगी.
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