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Lathmar Holi 2022: बरसाना में लट्ठमार होली आज, बरसेगा लाठियों से प्रेम रस - बरसाना की गोपियां

मथुरा के बरसाना में आज विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली खेली जाएगी. होली खेलने के लिए नंदगांव के लड़के दोपहर 2 बजे तक बरसाना पहुंचेगें. जहां बरसाना में नंदगांव के ग्वालों पर बरसाना की गोपियां लठ बरसाएंगी.

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Published : Mar 11, 2022, 10:31 AM IST

मथुरा: मथुरा के बरसाना में आज विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली खेली जाएगी. होली खेलने के लिए नंदगांव के लड़के दोपहर 2 बजे तक बरसाना पहुंचेगें. जहां बरसाना में नंदगांव के ग्वालों पर बरसाना की गोपियां लठ बरसाएंगी. इस प्राचीन परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग मथुरा पहुंचते हैं. होली का यह पर्व प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. राधारानी के गांव बरसाना और कान्हा के गांव नंदगांव के ग्वाले लट्ठमार होली खेलते हैं. इस मौके पर उनका स्वागत भाग और ठंडाई पिलाकर किया जाता है. यहां लड़के अपने सिर पर पगड़ी बांध कर खुद को लट्ठमार होली खेलने के लिए तैयार करते हैं.

वहीं कान्हा नगरी मथुरा के अलग-अलग क्षेत्रों में इस त्यौहार को पृथक अंदाज में मनाया जाता है और यहां देश-विदेशों से श्रद्धालु होली के रंग में रंगने को पहुंचते हैं. इतना ही नहीं यहां बसंत पंचमी के साथ ही होली की शुरुआत हो जाती है. मथुरा के बरसाना में लड्डू मार होली के साथ ही लट्ठमार होली भी खासा लोकप्रिय है. यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा के पवित्र प्रेम को समर्पित है.

बरसाना में लट्ठमार होली आज

ये हैं मान्यताएं

ऐसा माना जाता है कि यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी के समय से ही खेली जाती रही है. जब भगवान श्रीकृष्ण अपने ग्वाल मित्रों के साथ मथुरा के बरसाना में होली खेलने के लिए जाते हैं तो इस बीच भगवान श्रीकृष्ण और उनके सखा राधाजी और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करने लगते हैं. इस बात से नाराज होकर राधा और उनकी सखियां ग्वाल बालों पर डंडे बरसाने लगती है. इससे बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और उनके साथी ढालों और लाठियों का इस्तेमाल करते हैं, उसी समय से लट्ठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है. इस होली में मथुरा के नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं मुख्य रूप से शामिल होते हैं.

मथुरा में लट्ठमार होली की धूम

कान्हा नगरी मथुरा में होली कुछ अलग ही अंदाज में खेली जाती है. पूरे देश में रंगों की होली होती है तो वहीं कान्हा नगरी में रंगों के साथ-साथ फूलों,लड्डू और लाठी की होली होती है. जिस में शामिल होने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं. बसंत पंचमी के बाद से ही यहां के विभिन्न मंदिरों में होली को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. आज मथुरा के बरसाना में लठमार होली खेली जानी है. लट्ठमार होली में पुरुष जैसे ही महिलाओं पर रंग डालना शुरू करते हैं तो महिलाएं उन पर प्रेम रूपी डंडे बरसाती है.

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मथुरा: मथुरा के बरसाना में आज विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली खेली जाएगी. होली खेलने के लिए नंदगांव के लड़के दोपहर 2 बजे तक बरसाना पहुंचेगें. जहां बरसाना में नंदगांव के ग्वालों पर बरसाना की गोपियां लठ बरसाएंगी. इस प्राचीन परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग मथुरा पहुंचते हैं. होली का यह पर्व प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. राधारानी के गांव बरसाना और कान्हा के गांव नंदगांव के ग्वाले लट्ठमार होली खेलते हैं. इस मौके पर उनका स्वागत भाग और ठंडाई पिलाकर किया जाता है. यहां लड़के अपने सिर पर पगड़ी बांध कर खुद को लट्ठमार होली खेलने के लिए तैयार करते हैं.

वहीं कान्हा नगरी मथुरा के अलग-अलग क्षेत्रों में इस त्यौहार को पृथक अंदाज में मनाया जाता है और यहां देश-विदेशों से श्रद्धालु होली के रंग में रंगने को पहुंचते हैं. इतना ही नहीं यहां बसंत पंचमी के साथ ही होली की शुरुआत हो जाती है. मथुरा के बरसाना में लड्डू मार होली के साथ ही लट्ठमार होली भी खासा लोकप्रिय है. यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा के पवित्र प्रेम को समर्पित है.

बरसाना में लट्ठमार होली आज

ये हैं मान्यताएं

ऐसा माना जाता है कि यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी के समय से ही खेली जाती रही है. जब भगवान श्रीकृष्ण अपने ग्वाल मित्रों के साथ मथुरा के बरसाना में होली खेलने के लिए जाते हैं तो इस बीच भगवान श्रीकृष्ण और उनके सखा राधाजी और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करने लगते हैं. इस बात से नाराज होकर राधा और उनकी सखियां ग्वाल बालों पर डंडे बरसाने लगती है. इससे बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और उनके साथी ढालों और लाठियों का इस्तेमाल करते हैं, उसी समय से लट्ठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है. इस होली में मथुरा के नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं मुख्य रूप से शामिल होते हैं.

मथुरा में लट्ठमार होली की धूम

कान्हा नगरी मथुरा में होली कुछ अलग ही अंदाज में खेली जाती है. पूरे देश में रंगों की होली होती है तो वहीं कान्हा नगरी में रंगों के साथ-साथ फूलों,लड्डू और लाठी की होली होती है. जिस में शामिल होने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं. बसंत पंचमी के बाद से ही यहां के विभिन्न मंदिरों में होली को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. आज मथुरा के बरसाना में लठमार होली खेली जानी है. लट्ठमार होली में पुरुष जैसे ही महिलाओं पर रंग डालना शुरू करते हैं तो महिलाएं उन पर प्रेम रूपी डंडे बरसाती है.

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