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ब्रज दूल्हा की अनुमति के बिना नहीं होती बरसाना की लट्‌ठमार होली

ब्रज की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और यहां होली केवल रंग लगाकर नहीं, बल्कि एक अनोखे अंदाज में मनाई जाती है. बरसाना की लट्‌ठमार होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस साल 4 मार्च 2020 को लट्‌ठमार होली मनाई जाएगी.

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आखिर मथुरा में क्यों मनाई जाती है लट्‌ठमार होली
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Published : Mar 3, 2020, 8:11 PM IST

मथुरा: जिले में सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. बरसाना में ब्रज दूल्हा जो कृष्ण भगवान का बरसाना की सखियों ने नाम रखा था. लट्‌ठमार होली के दिन बरसाना के राधा रानी मंदिर में नंद गांव के हुरियारे होली का ध्वज लेकर आते हैं और ब्रज दूल्हा की अनुमति के बाद लट्‌ठमार होली शुरू होती है.

प्राचीन काल का बना हुआ है ब्रज दूल्हा मंदिर
द्वापर काल में कृष्ण भगवान जब बरसाना पहली बार लट्‌ठमार होली खेलने के लिए आए थे, तो हजारों की संख्या में सखियों को देखकर कृष्ण भगवान घबरा गए और बरसाना कस्बे में पुरानी हवेली गोशाला में आकर छुपकर बैठ गए. तभी राधा जी यहां आकर बोली हे! कृष्ण आप यहां दूल्हा बनकर बैठे हैं, वहां सखियां लट्‌ठमार होली खेलने के लिए तैयार हैं. तभी से कृष्ण भगवान ब्रज दूल्हा के नाम से विख्यात हुए.

बरसाना की लट्‌ठमार होली.

इसे भी पढ़ें- आखिर मथुरा में क्यों मनाई जाती है लड्डूमार होली

लाठी औह ढाल के साथ खेली जाती है यह होली
बरसाना में होने वाली विश्व प्रसिद्ध लट्‌ठमार होली के बारे में कौन नहीं जानता. इसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और पुरुष हंसते हुए ढाल से अपना बचाव करते हैं. इस लट्‌ठमार होली के दौरान अगर पुरुष महिलाओं की पकड़ में आ जाते हैं तो उनकी जमकर कुटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना होता है. इस अनूठी होली को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग बरसाना आते हैं. इस साल 4 मार्च को यह होली मनाई जाएगी.

भगवान श्रीकृष्ण के समय से चली आ रही है ये परंपरा
लट्‌ठमार होली खेलने की परंपरा भगवान कृष्ण के समय से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना जाते हैं. बरसाना पहुंचकर वे राधा और उनकी सखियों संग होली खेलते हैं. इस दौरान कृष्णजी राधा संग ठिठोली करते हैं, जिसके बाद वहां की सारी गोपियां उन पर डंडे बरसाती हैं. तभी से विश्व प्रसिद्ध है मथुरा के बरसाना की लट्‌ठमार होली.

बरसाना कस्बे में पुरानी हवेली जहां ब्रज दूल्हा का मंदिर बना हुआ है. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. लट्‌ठमार होली के दिन नंदगांव के हुरियारे होली का ध्वज लेकर राधा रानी मंदिर में आते हैं. उसके बाद बरसाना की हुरियारिन ब्रज दूल्हा की अनुमति के बाद लट्‌ठमार होली शुरू करती हैं.
-कोका पंडित

मथुरा: जिले में सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. बरसाना में ब्रज दूल्हा जो कृष्ण भगवान का बरसाना की सखियों ने नाम रखा था. लट्‌ठमार होली के दिन बरसाना के राधा रानी मंदिर में नंद गांव के हुरियारे होली का ध्वज लेकर आते हैं और ब्रज दूल्हा की अनुमति के बाद लट्‌ठमार होली शुरू होती है.

प्राचीन काल का बना हुआ है ब्रज दूल्हा मंदिर
द्वापर काल में कृष्ण भगवान जब बरसाना पहली बार लट्‌ठमार होली खेलने के लिए आए थे, तो हजारों की संख्या में सखियों को देखकर कृष्ण भगवान घबरा गए और बरसाना कस्बे में पुरानी हवेली गोशाला में आकर छुपकर बैठ गए. तभी राधा जी यहां आकर बोली हे! कृष्ण आप यहां दूल्हा बनकर बैठे हैं, वहां सखियां लट्‌ठमार होली खेलने के लिए तैयार हैं. तभी से कृष्ण भगवान ब्रज दूल्हा के नाम से विख्यात हुए.

बरसाना की लट्‌ठमार होली.

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लाठी औह ढाल के साथ खेली जाती है यह होली
बरसाना में होने वाली विश्व प्रसिद्ध लट्‌ठमार होली के बारे में कौन नहीं जानता. इसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और पुरुष हंसते हुए ढाल से अपना बचाव करते हैं. इस लट्‌ठमार होली के दौरान अगर पुरुष महिलाओं की पकड़ में आ जाते हैं तो उनकी जमकर कुटाई होती है और उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना होता है. इस अनूठी होली को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग बरसाना आते हैं. इस साल 4 मार्च को यह होली मनाई जाएगी.

भगवान श्रीकृष्ण के समय से चली आ रही है ये परंपरा
लट्‌ठमार होली खेलने की परंपरा भगवान कृष्ण के समय से चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि भगवान कृष्ण अपने दोस्तों संग नंदगांव से बरसाना जाते हैं. बरसाना पहुंचकर वे राधा और उनकी सखियों संग होली खेलते हैं. इस दौरान कृष्णजी राधा संग ठिठोली करते हैं, जिसके बाद वहां की सारी गोपियां उन पर डंडे बरसाती हैं. तभी से विश्व प्रसिद्ध है मथुरा के बरसाना की लट्‌ठमार होली.

बरसाना कस्बे में पुरानी हवेली जहां ब्रज दूल्हा का मंदिर बना हुआ है. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. लट्‌ठमार होली के दिन नंदगांव के हुरियारे होली का ध्वज लेकर राधा रानी मंदिर में आते हैं. उसके बाद बरसाना की हुरियारिन ब्रज दूल्हा की अनुमति के बाद लट्‌ठमार होली शुरू करती हैं.
-कोका पंडित

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