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इस गांव में महिलाएं नहीं रखतीं करवा चौथ का व्रत, वहज जान हैरान रह जाएंगे आप

मथुरा के सुरीर कस्बा के बघा गांव में सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं. कहा जाता है कि अगर महिलाएं इस व्रत को करेंगी तो उनके पति की मृत्यु हो जाएगी.

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महिलाएं नहीं रखती करवा चौथ का व्रत
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Published : Oct 12, 2022, 2:01 PM IST

मथुरा: सुहागन महिलाओं को करवाचौथ का बेसब्री से इंतजार रहता है. पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं सोलह सिंगार कर करवा चौथ का व्रत करती हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि मथुरा का एक गांव ऐसा भी है, जहां करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं नहीं करती हैं. कहा जाता है कि इस गांव में सती का श्राप है, जो भी सुहागन महिला इस व्रत को करेगी उसके पति की मृत्यु हो जाएगी. करीब ढाई सौ वर्षों से इस परंपरा को सुहागन महिलाएं निभाती आ रही हैं जानिए क्या है इसकी वजह.

जनपद मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर सुरीर कस्बा है, जहां बघा गांव में सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. करवा चौथ के दिन कोई भी सुहगन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत नहीं करती हैं. इतना ही नहीं, बल्कि उस दिन सुहागन महिलाएं माथे पर सिंदूर और रंग बिरंगी चूड़ियां भी नहीं पहनती हैं.

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महिलाएं नहीं रखती करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ का व्रत रखने पर होती है पति की मृत्यु
बघा गांव में सुहागन महिलाएं अगर करवा चौथ का व्रत करती हैं तो पति की मृत्यु हो जाती है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले कई महिलाओं ने सती के श्राप को नहीं माना और करवा चौथ का व्रत किया तो कुछ दिन बाद ही सुहागन महिला के पति की मृत्यु हो गई.
ढाई सौ साल से चली आ रही परंपरा
राम नगला से इस रास्ते से होते हुए ब्राहमण समाज की बेटी बुग्गी पर बैठकर पति के साथ ससुराल जा रही थी, तभी राम नगला के ठाकुर समाज के लोगों ने उस बुग्गी को रोक लिया और सुहागन महिला पति पर भैंसा चोरी का आरोप लगाया गया. कहासुनी होने के बाद ठाकुर समाज के लोगों ने महिला के पति को पीट-पीटकर मार दिया. सुहागन महिला ने उसी स्थान पर श्राप दिया कि जिस तरह करवा चौथ के दिन मेरे पति की मौत हुई है. उसी तरह इस गांव में कोई भी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं कर सकेगी और अगर कोई महिला करवा चौथ का व्रत करेगी तो उसके पति की मृत्यु हो जाएगी.

सरिता बुजुर्ग महिला ने बताया कि इस गांव में सती की आन है. कोई भी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं और न ही इस दिन महिलाएं माथे पर सिंदूर रंग बिरंगी चूड़ियां भी नहीं पहनती हैं. कुछ महिलाओं ने शादी होने के बाद करवा चौथ का व्रत जिद से कर लिया था तो उनके पति की मृत्यु हो गई. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी यहां कायम है. इस दौरान विवाहिताओं का कहना है कि उनके ससुराल वालों ने इस व्रत को करने से मना किया है. साथ ही इस दिन श्रृंगार भी नहीं करते हैं.

यह भी पढ़ें- ट्रेनिंग के दौरान पैराशूट न खुलने से शहीद हुआ मथुरा का लाल



मथुरा: सुहागन महिलाओं को करवाचौथ का बेसब्री से इंतजार रहता है. पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं सोलह सिंगार कर करवा चौथ का व्रत करती हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि मथुरा का एक गांव ऐसा भी है, जहां करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं नहीं करती हैं. कहा जाता है कि इस गांव में सती का श्राप है, जो भी सुहागन महिला इस व्रत को करेगी उसके पति की मृत्यु हो जाएगी. करीब ढाई सौ वर्षों से इस परंपरा को सुहागन महिलाएं निभाती आ रही हैं जानिए क्या है इसकी वजह.

जनपद मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर सुरीर कस्बा है, जहां बघा गांव में सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. करवा चौथ के दिन कोई भी सुहगन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत नहीं करती हैं. इतना ही नहीं, बल्कि उस दिन सुहागन महिलाएं माथे पर सिंदूर और रंग बिरंगी चूड़ियां भी नहीं पहनती हैं.

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महिलाएं नहीं रखती करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ का व्रत रखने पर होती है पति की मृत्यु
बघा गांव में सुहागन महिलाएं अगर करवा चौथ का व्रत करती हैं तो पति की मृत्यु हो जाती है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले कई महिलाओं ने सती के श्राप को नहीं माना और करवा चौथ का व्रत किया तो कुछ दिन बाद ही सुहागन महिला के पति की मृत्यु हो गई.
ढाई सौ साल से चली आ रही परंपरा
राम नगला से इस रास्ते से होते हुए ब्राहमण समाज की बेटी बुग्गी पर बैठकर पति के साथ ससुराल जा रही थी, तभी राम नगला के ठाकुर समाज के लोगों ने उस बुग्गी को रोक लिया और सुहागन महिला पति पर भैंसा चोरी का आरोप लगाया गया. कहासुनी होने के बाद ठाकुर समाज के लोगों ने महिला के पति को पीट-पीटकर मार दिया. सुहागन महिला ने उसी स्थान पर श्राप दिया कि जिस तरह करवा चौथ के दिन मेरे पति की मौत हुई है. उसी तरह इस गांव में कोई भी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं कर सकेगी और अगर कोई महिला करवा चौथ का व्रत करेगी तो उसके पति की मृत्यु हो जाएगी.

सरिता बुजुर्ग महिला ने बताया कि इस गांव में सती की आन है. कोई भी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं करती हैं और न ही इस दिन महिलाएं माथे पर सिंदूर रंग बिरंगी चूड़ियां भी नहीं पहनती हैं. कुछ महिलाओं ने शादी होने के बाद करवा चौथ का व्रत जिद से कर लिया था तो उनके पति की मृत्यु हो गई. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी यहां कायम है. इस दौरान विवाहिताओं का कहना है कि उनके ससुराल वालों ने इस व्रत को करने से मना किया है. साथ ही इस दिन श्रृंगार भी नहीं करते हैं.

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