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न्यूयॉर्क में प्रदर्शनी की शान बढ़ाएंगी मथुरा कला शैली की मूर्तियां

मथुरा संग्रहालय में रखी चार बेशकीमती मूर्तियां न्यूयॉर्क में लगने वाली प्रदर्शनी की शान बनेंगी. यह चारों मूर्तियां जिले के अलग-अलग इलाके से निकाली गई थीं. न्यूयॉर्क में आयोजकों की ओर से मांगी गई मूर्तियां अपने आप में विशेष हैं.

दो हजार साल पुरानी हैं यह मूर्तियां
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Published : Feb 25, 2019, 1:25 PM IST

मथुरा : जिले के संग्रहालय में रखी 4 बेजोड़ और बेशकीमती मूर्तियां अमेरिका के न्यूयॉर्क में लगने वाली प्रदर्शनी की शान बनेंगी. इससे पहले भी विदेश में आयोजित प्रदर्शनियों में कई बार यहां की मूर्तियां भेजी जा चुकी हैं. यह मूर्तियां संपूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं. देश-विदेश में लगने वाली मूर्ति प्रदर्शनी में मथुरा संग्रहालय की मूर्तियों की मांग रहती है.

दो हजार साल पुरानी हैं यह मूर्तियां

न्यूयॉर्क प्रदर्शनी के लिए मकर मुख, सह ताल यक्ष, अग्निपाणि यक्ष और शिशु सिद्धार्थ की मूर्ति की मांग की गई है. संग्रहालय के डायरेक्टर ने बताया की मूर्तियां देखने अमेरिका की टीम दिसंबर में मथुरा आ सकती है. इन मूर्तियों की खासियत है कि मकर मुख स्थानीय शौक टीला से प्राप्त की गई है. यह मूर्ति करीब दो हजार साल पुरानी है. वहीं ताल यक्ष की प्रतिमा कुषाण काल की है. यह भी लगभग दो हजार साल पुरानी है जो जिले के स्थानीय चामुंडा टीला पर मिली थी. इनके अलावा अग्निपाणि यक्ष की प्रतिमा करीब दो हजार दो सौ साल पुरानी है. यह मूर्ति भरना कला से प्राप्त हुई थी और शिशु सिद्धार्थ की प्रतिमा स्थानीय कंकाली टीला से प्राप्त हुई थी.

मथुरा संग्रहालय की मूर्तियां पहले भी विदेशों में लगी प्रदर्शनियों को हिस्सा बन चुकी हैं. साल 2015 में मूर्तियां चीन, 2012 में साउथ कोरिया, साल 2008 में फ्रांस और साल 2007 में ब्राजील भेजी गई थीं. 1999 में यहां की मूर्तियां जापान में लगी प्रदर्शनी की भी शान बन चुकी हैं. संग्रहालय के डायरेक्टर ने बताया कि यहां से चार मूर्तियां भेजी जाएंगी, जो लगभग पांच या छह महीने बाद वापस लाई जाएंगी.

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मथुरा : जिले के संग्रहालय में रखी 4 बेजोड़ और बेशकीमती मूर्तियां अमेरिका के न्यूयॉर्क में लगने वाली प्रदर्शनी की शान बनेंगी. इससे पहले भी विदेश में आयोजित प्रदर्शनियों में कई बार यहां की मूर्तियां भेजी जा चुकी हैं. यह मूर्तियां संपूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं. देश-विदेश में लगने वाली मूर्ति प्रदर्शनी में मथुरा संग्रहालय की मूर्तियों की मांग रहती है.

दो हजार साल पुरानी हैं यह मूर्तियां

न्यूयॉर्क प्रदर्शनी के लिए मकर मुख, सह ताल यक्ष, अग्निपाणि यक्ष और शिशु सिद्धार्थ की मूर्ति की मांग की गई है. संग्रहालय के डायरेक्टर ने बताया की मूर्तियां देखने अमेरिका की टीम दिसंबर में मथुरा आ सकती है. इन मूर्तियों की खासियत है कि मकर मुख स्थानीय शौक टीला से प्राप्त की गई है. यह मूर्ति करीब दो हजार साल पुरानी है. वहीं ताल यक्ष की प्रतिमा कुषाण काल की है. यह भी लगभग दो हजार साल पुरानी है जो जिले के स्थानीय चामुंडा टीला पर मिली थी. इनके अलावा अग्निपाणि यक्ष की प्रतिमा करीब दो हजार दो सौ साल पुरानी है. यह मूर्ति भरना कला से प्राप्त हुई थी और शिशु सिद्धार्थ की प्रतिमा स्थानीय कंकाली टीला से प्राप्त हुई थी.

मथुरा संग्रहालय की मूर्तियां पहले भी विदेशों में लगी प्रदर्शनियों को हिस्सा बन चुकी हैं. साल 2015 में मूर्तियां चीन, 2012 में साउथ कोरिया, साल 2008 में फ्रांस और साल 2007 में ब्राजील भेजी गई थीं. 1999 में यहां की मूर्तियां जापान में लगी प्रदर्शनी की भी शान बन चुकी हैं. संग्रहालय के डायरेक्टर ने बताया कि यहां से चार मूर्तियां भेजी जाएंगी, जो लगभग पांच या छह महीने बाद वापस लाई जाएंगी.

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Intro:मथुरा संग्रहालय की 4 बेजोड़ और मूर्तियां अमेरिका के न्यूयॉर्क में लगने वाली प्रदर्शनी की शान बनेंगी। विदेश में इससे पहले भी आयोजित प्रदर्शनी में कई बार यहां की मूर्तियां भेजी जा चुकी है। मथुरा संग्रहालय को महात्मा बुद्ध, भगवान श्री कृष्ण की प्रथम प्रतिमा रखने का गौरव भी प्राप्त है। यह मूर्तियां संपूर्ण विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं। देश-विदेश में लगने वाली मूर्ति प्रदर्शनी में मथुरा संग्रहालय की मूर्तियों की मांग रहती है।


Body:न्यूयॉर्क प्रदर्शनी के लिए मकर मुख , सह ताल यक्ष, अग्निपाणि यक्ष, शिशु सिद्धार्थ मूर्ति की मांग की गई है । डायरेक्टर ने बताया की मूर्तियां देखने अमेरिका की टीम दिसंबर में मथुरा आ सकती है। यह खासियत है मूर्तियों में ,मकर मुख- स्थानीय शौक टीला से प्राप्त की है मूर्ति करीब 2000 वर्ष पुरानी है। ताल यक्ष- कुषाण कालीन 2000 वर्ष पुरानी मूर्ति स्थानीय चामुंडा टीला पर मिली थी। अग्निपाणि यक्ष- करीब 22 सौ वर्ष पुरानी यह मूर्ति भरना कला से प्राप्त हुई थी। शिशु सिद्धार्थ- करीब 2000 वर्ष पुरानी है प्रतिमा स्थानीय कंकाली टीला से प्राप्त हुई थी।



Conclusion:पहले भी मथुरा संग्रहालय की मूर्तियां विदेशों में जा चुकी है ।वर्ष 2015 में मूर्तियां चीन ,2012 में साउथ कोरिया ,वर्ष 2008 में फ्रांस और वर्ष 2007 में ब्राजील भेजी गई थी ।1999 में मूर्तियां जापान में प्रदर्शन की शान बनी थी।
बाइट- डायरेक्टर संग्रहालय मथुरा
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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