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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की याचिका पर सुनवाई टली, 17 अक्टूबर को होगी - श्रीकृष्ण जन्मभूमि

श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और ईदगाह प्रकरण को लेकर गुरुवार को जनपद के जिला जज की कोर्ट में केस स्थानांतरण को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायालय में नो वर्क होने के कारण प्रकरण की सुनवाई नहीं हुई.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले
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Published : Oct 6, 2022, 6:04 PM IST

मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और ईदगाह प्रकरण को लेकर गुरुवार को जनपद के जिला जज की कोर्ट में केस स्थानांतरण को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायालय में नो वर्क होने के कारण प्रकरण की सुनवाई नहीं हुई. अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. वहीं वादी पक्ष ने सुन्नी वक्फ बोर्ड न्यायालय में उपस्थित नहीं होने का आरोप लगाया है. जिसके कारण मामले की सुनवाई टली है.


गुरुवार को जनपद के जिला जज की कोर्ट में वादी महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई होनी थी, जिसमें मांग की गई थी कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह प्रकरण सिविल जज की कोर्ट से स्थानांतरण करके जिला जज की कोर्ट में सुनवाई हो, लेकिन न्यायालय में नो वर्क होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हुई और अग्रिम सुनवाई 17 अक्टूबर को मुकर्रर की गई है.

जानकारी देते अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक

वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड आज भी अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ जो कि पिछले तीन बार से न्यायालय में सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हो रहे हैं वह नहीं चाहता कि केस की सुनवाई हो, जबकि कोर्ट ने विपक्ष को नोटिस भी भेजा था.




अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक का कहना है कि हम नहीं चाहते श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह प्रकरण मौजूदा समय सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में चल रहा है. इसी कोर्ट में नियमित सुनवाई होनी चाहिए. एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निस्तारण नहीं हुआ है. अगर जिला जज की कोर्ट में प्रकरण स्थानांतरण होगा तो नए सिरे से प्रकरण की सुनवाई की जाएगी. हमारी मांग है प्रकरण सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में ही सुनवाई होनी चाहिए.



यह भी पढ़ें : अगले तीन माह में BJP बदल देगी क्षेत्रीय अध्यक्ष, जिलों में भी होगा बड़ा बदलाव

श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर 13.37 एकड़ का है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि गर्भगृह, लीला मंच और भागवत भवन बने हुए हैं. 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. न्यायालय में दाखिल किए गए प्रार्थना पत्रों में मांग की गई है. फिलहाल न्यायालय में 12 याचिकाएं अभी विचाराधीन हैं.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में दबंगों ने महिलाओं को पानी में डुबो-डुबोकर पीटा, जानें वजह

मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi) और ईदगाह प्रकरण को लेकर गुरुवार को जनपद के जिला जज की कोर्ट में केस स्थानांतरण को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायालय में नो वर्क होने के कारण प्रकरण की सुनवाई नहीं हुई. अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. वहीं वादी पक्ष ने सुन्नी वक्फ बोर्ड न्यायालय में उपस्थित नहीं होने का आरोप लगाया है. जिसके कारण मामले की सुनवाई टली है.


गुरुवार को जनपद के जिला जज की कोर्ट में वादी महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई होनी थी, जिसमें मांग की गई थी कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह प्रकरण सिविल जज की कोर्ट से स्थानांतरण करके जिला जज की कोर्ट में सुनवाई हो, लेकिन न्यायालय में नो वर्क होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हुई और अग्रिम सुनवाई 17 अक्टूबर को मुकर्रर की गई है.

जानकारी देते अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक

वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड आज भी अधिवक्ता न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ जो कि पिछले तीन बार से न्यायालय में सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हो रहे हैं वह नहीं चाहता कि केस की सुनवाई हो, जबकि कोर्ट ने विपक्ष को नोटिस भी भेजा था.




अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक का कहना है कि हम नहीं चाहते श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह प्रकरण मौजूदा समय सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में चल रहा है. इसी कोर्ट में नियमित सुनवाई होनी चाहिए. एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निस्तारण नहीं हुआ है. अगर जिला जज की कोर्ट में प्रकरण स्थानांतरण होगा तो नए सिरे से प्रकरण की सुनवाई की जाएगी. हमारी मांग है प्रकरण सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में ही सुनवाई होनी चाहिए.



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श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर 13.37 एकड़ का है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि गर्भगृह, लीला मंच और भागवत भवन बने हुए हैं. 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. न्यायालय में दाखिल किए गए प्रार्थना पत्रों में मांग की गई है. फिलहाल न्यायालय में 12 याचिकाएं अभी विचाराधीन हैं.

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