गौरतलब है कि इस मामले में लखनऊ और दिल्ली के 10 लॉ छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से अवैध निर्माण हटाने के लिए अपील की गई थी. वादी पक्ष ने ने यह याचिका 17 मई को न्यायालय में दाखिल की थी. प्रार्थना पत्र में मांग की गई थी कि श्री कृष्ण जन्मभूमि परिसर से अवैध रूप से बनाई गई शाही ईदगाह मस्जिद हटाई जाए. शाही ईदगाह के स्थान पर हिंदुओं को अपने आराध्य भगवान की पूजा-अर्चना करने का अधिकार दिया जाए.
याचिकाकर्ता ने न्यायालय से मांगा समय
बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद के मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता और लॉ स्टूडेंट ने न्यायालय से समय मांगा है. ताकि श्री कृष्ण जन्म भूमि से संबंधित और दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत किए जा सकें. इस मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी.
ये है मामला :
मथुरा जनपद में श्रीकृष्ण जन्म स्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें 11एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्रीकृष्ण जन्म स्थान, जो प्राचीन ठाकुर विराजमान केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है कि पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए.
वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था. उसे जमीन की बिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है. अधिवक्ता व याची शैलेंद्र कुमार ने बताया श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में 17 मई को दाखिल की गई याचिका पर आज सुनवाई हुई थी. इस मामले में शैलेंद्र कुमार ने न्यायालय से समय मांगा है, ताकि श्रीकृष्ण जन्म भूमि से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज न्यायालय में प्रस्तुत कर सकें.