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मथुरा: द्वारकाधीश मंदिर में धूमधाम से की गई गोवर्धन पूजा, गिरिराज के जयकारे से गूंजा प्रांगण

यूपी के मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में हर्षोल्लास के साथ गोवर्धन पूजा की गई. गोवर्धन पूजा देखने के लिए मंदिर परिसर में दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. इस दौरान मंदिर प्रांगण गोवर्धन महाराज के जयकारे से गूंज उठा.

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Published : Oct 28, 2019, 1:24 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 10:05 PM IST

द्वारकाधीश मंदिर में मनाया गया गोवर्धन पूजा.

मथुरा: ब्रज के मंदिरों में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम से की गई. मथुरा शहर के कोतवाल कहे जाने वाले द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ की गई. दूरदराज से पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पूजा का आनंद लिया. गोवर्धन पूजा के दौरान मंदिर परिसर में लोगों ने गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाए.

द्वारकाधीश मंदिर में मनाया गया गोवर्धन पूजा.


धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पूजा
देश भर में सोमवार को गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ की जा रही है. ब्रज के मंदिर और कान्हा की नगरी मथुरा के मंदिरों में गोवर्धन पूजा अलग-अलग अंदाज में की गई. शहर के द्वारकाधीश मंदिर में जो शहर के कोतवाल कहे जाते हैं, मंदिर परिसर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज बनाए गए. फिर गोवर्धन महाराज का जलाभिषेक, दूध अभिषेक, रोड़ी, चंदन-हल्दी लगाकर पूजा की गई. इस दौरान मंदिर प्रांगण गिरिराज गोवर्धन महाराज के जयकारे से गूंज उठा.

इसे भी पढ़ें:- मथुरा: गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की तैयारियां पूरी, जानें क्या है मान्यता

छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बारिश से की थी ब्रजवासियों की रक्षा
पौराणिक मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान इंद्र की पूजा ब्रज में की जाती थी. भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया और नटखट कान्हा की लीलाओं ने लोगों का मन मोह लिया. इसके बाद बृजवासी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने लगे. इंद्रलोक के राजा इंद्र ने ब्रज में देखा कि बृजवासी अब उनकी पूजा नहीं कर रहे हैं. एक छोटे से बालक कृष्ण की पूजा करते नजर आ रहे हैं. इंद्र क्रोधित हो गए और धरती लोक पर ब्रज में मूसलाधार बारिश की.


भगवान श्रीकृष्ण ने सात साल की आयु में सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और ब्रजवासियों की रक्षा की. इस नजारे को देखकर इंद्र का घमंड टूट गया और इंद्र धरती लोक पर आए. उन्होंने भगवान कृष्ण से कहा कि प्रभु इस धरती पर ब्रज में आप ही की पूजा की जाएगी. तब नटखट कन्हैया को ब्रजवासियों ने अपने हाथ से अलग-अलग व्यंजन तैयार किए, जिसको अन्नकूट भी कहा जाता है. इसलिए पूरे ब्रज में और देश भर में गोवर्धन पूजा अन्नकूट के नाम से भी जानी जाती है.

इसे भी पढ़ें:- गोवर्धन पूजा करने से दोनों कुल की होती है भाग्य वृद्धि: ज्योतिषचार्य उमाशंकर मिश्र

गोबर से क्यों तैयार किया जाता है गोवर्धन महाराज
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. बताया जाता है कि गो का मतलब गोपाल, ब का मतलब ग्वाल बाल, र का मतलब ग्वाल वालों के संग भगवान ने रास किया. तीनों को मिलाकर गोबर शब्द बनता है और 33 करोड़ देवी-देवता गाय माता में विराजमान होते हैं, इसलिए गाय का शुद्ध गोबर से गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है.

मथुरा: ब्रज के मंदिरों में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम से की गई. मथुरा शहर के कोतवाल कहे जाने वाले द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ की गई. दूरदराज से पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पूजा का आनंद लिया. गोवर्धन पूजा के दौरान मंदिर परिसर में लोगों ने गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाए.

द्वारकाधीश मंदिर में मनाया गया गोवर्धन पूजा.


धूमधाम से मनाया गया गोवर्धन पूजा
देश भर में सोमवार को गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ की जा रही है. ब्रज के मंदिर और कान्हा की नगरी मथुरा के मंदिरों में गोवर्धन पूजा अलग-अलग अंदाज में की गई. शहर के द्वारकाधीश मंदिर में जो शहर के कोतवाल कहे जाते हैं, मंदिर परिसर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज बनाए गए. फिर गोवर्धन महाराज का जलाभिषेक, दूध अभिषेक, रोड़ी, चंदन-हल्दी लगाकर पूजा की गई. इस दौरान मंदिर प्रांगण गिरिराज गोवर्धन महाराज के जयकारे से गूंज उठा.

इसे भी पढ़ें:- मथुरा: गोवर्धन पूजा और अन्नकूट की तैयारियां पूरी, जानें क्या है मान्यता

छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर बारिश से की थी ब्रजवासियों की रक्षा
पौराणिक मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान इंद्र की पूजा ब्रज में की जाती थी. भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया और नटखट कान्हा की लीलाओं ने लोगों का मन मोह लिया. इसके बाद बृजवासी भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने लगे. इंद्रलोक के राजा इंद्र ने ब्रज में देखा कि बृजवासी अब उनकी पूजा नहीं कर रहे हैं. एक छोटे से बालक कृष्ण की पूजा करते नजर आ रहे हैं. इंद्र क्रोधित हो गए और धरती लोक पर ब्रज में मूसलाधार बारिश की.


भगवान श्रीकृष्ण ने सात साल की आयु में सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और ब्रजवासियों की रक्षा की. इस नजारे को देखकर इंद्र का घमंड टूट गया और इंद्र धरती लोक पर आए. उन्होंने भगवान कृष्ण से कहा कि प्रभु इस धरती पर ब्रज में आप ही की पूजा की जाएगी. तब नटखट कन्हैया को ब्रजवासियों ने अपने हाथ से अलग-अलग व्यंजन तैयार किए, जिसको अन्नकूट भी कहा जाता है. इसलिए पूरे ब्रज में और देश भर में गोवर्धन पूजा अन्नकूट के नाम से भी जानी जाती है.

इसे भी पढ़ें:- गोवर्धन पूजा करने से दोनों कुल की होती है भाग्य वृद्धि: ज्योतिषचार्य उमाशंकर मिश्र

गोबर से क्यों तैयार किया जाता है गोवर्धन महाराज
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. बताया जाता है कि गो का मतलब गोपाल, ब का मतलब ग्वाल बाल, र का मतलब ग्वाल वालों के संग भगवान ने रास किया. तीनों को मिलाकर गोबर शब्द बनता है और 33 करोड़ देवी-देवता गाय माता में विराजमान होते हैं, इसलिए गाय का शुद्ध गोबर से गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है.

Intro:मथुरा। ब्रज के मंदिरों में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। मथुरा शहर के कोतवाल कहे जाने वाले द्वारकाधीश मंदिर में गोवर्धन पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। दूर दराज से पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पूजा का लिया आनंद। गोवर्धन पूजा के दौरान मंदिर परिसर में लोगों ने लगाए गोवर्धन महाराज के जयकारे वही गाय माता ने गोवर्धन की की परिक्रमा।


Body:देशभर में गोवर्धन पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। ब्रज के मंदिर कान्हा की नगरी मथुरा के मंदिरों में गोवर्धन पूजा अलग अलग अंदाज में की जा रही है। शहर के द्वारकाधीश मंदिर में जो शहर के कोतवाल कहे जाते हैं। मंदिर परिसर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज बनाए गए और फिर मंदिर परिसर में जलाभिषेक दूध अभिषेक रोड़ी चंदन हल्दी लगा का गोवर्धन महाराज की पूजा की मंदिर परिसर में गोवर्धन महाराज के जयकारे से गूंज उठा प्रांगण।


Conclusion:पौराणिक मान्यता है कि द्वापर युग में इंद्रलोक की पूजा ब्रज में की जाती थी भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया और नटखट कन्हैया भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं लोगों को मोह ने लगी और बृजवासी भगवान की पूजा करने लगे। इंद्रलोक के राजा इंद्र ने ब्रज में देखा कि बृजवासी इंद्र की पूजा नहीं कर रहे हैं और एक छोटे से बालक कृष्ण की पूजा करते नजर आ रहे हैं। इंद्र क्रोधित हो गए और धरती लोक पर ब्रज में मूसलाधार बारिश की। तब भगवान श्रीकृष्ण ने 7 साल की बालय आयु में कन्नी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और अपने ब्रिज वासियों की रक्षा की। इस नजारे को देखकर इंद्र का घमंड टूट गया और इंद्र धरती लोक पर आए और कहा हे प्रभु इस धरती लोक पर ब्रज में आप ही की पूजा की जाएगी। तब नटखट कन्हैया भगवान श्री कृष्ण को ब्रज वासियों ने अपने हाथ से अलग-अलग व्यंजन तैयार किए जिसको अन्नकूट भी कहा जाता है और ठाकुर जी का भोग लगाया इसलिए पूरे ब्रज में और देश को देश भर में गोवर्धन पूजा अन्नकूट के नाम से भी जानी जाती है।
दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा गोबर से ही तैयार क्यों किया जाता है गोवर्धन महाराज। बताया जाता है कि गो का मतलब गोपाल ,ब का मतलब ग्वाल बाल, र का मतलब ग्वाल वालों के संग भगवान ने रास किया। तीनों को मिलाकर गोबर शब्द बनता है और 33 करोड़ देवी-देवता गाय माता में विराजमान होते हैं इसलिए गाय का शुद्ध गोबर से गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है।


वाइट ज्योति श्रद्धालु
पीटीसी प्रवीन शर्मा


mathura reporter
praveen sharma
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Last Updated : Oct 28, 2019, 10:05 PM IST
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