मथुरा: गणेश चतुर्थी का पर्व भले ही 31 अगस्त को हो. लेकिन, कान्हा की नगरी मथुरा में इसकी धूम अभी से ही देखने को मिल रही है. जनपद के विभिन्न स्थानों पर गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं तो वहीं दूसरी ओर गणेश विसर्जन की भी तैयारियां जोरों पर हैं. कहीं पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं तो वहीं पीओपी से गणेश जी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. लेकिन, अधिकतर लोग मिट्टी से बनी हुई इको फ्रेंडली मूर्तियों को पसंद कर रहे हैं.
पिछले काफी समय से गणेश मूर्तियां बना रहे मूर्तिकार प्रेम किशोर ने बताया कि वह कई वर्षों से गणेश जी की मूर्तियां बना रहे हैं. पिछले 2 वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण के चलते बाजार में सुस्ती देखने को मिल रही थी. इसके चलते बहुत कम ही लोग गणेश जी की मूर्तियां ले रहे थे. लेकिन, इस बार बाजार में तेजी देखने को मिल रही है. लोग बढ़-चढ़कर गणेश जी की मूर्तियां खरीद रहे हैं. वर्तमान में मिट्टी और पीओपी दोनों से ही मूर्तियां बनाई जा रही हैं. प्रेम किशोर ने बताया कि उनके पास तो 10 हजार रुपये तक की मूर्तियां हैं. उन्होंने बताया कि अगर सरकार द्वारा पीओपी को बंद कर दिया जाता है तो उनके द्वारा पीओपी से मूर्तियां नहीं बनाई जाएंगी. लेकिन, बाजार में जिस तरह की मांग है उसके अनुसार उन्हें मूर्तियां बनानी पड़ती हैं. इस बार अधिकतर लोग बड़ी मूर्तियां पसंद कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: ब्रज क्षेत्र के विकास में खर्च होंगे सोलह सौ करोड़, इन योजनाओं को मिली मंजूरी
जानकारी देते हुए मूर्तिकार पिंटू ने बताया कि मूर्तियां बनाना उनका पुश्तैनी काम है. दीपावली के समय पर वह लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां बनाते हैं, इसके अलावा और भी अन्य चीजें बनाते हैं. वही गणेश चतुर्थी के पर्व को लेकर उनके द्वारा गणेश जी की मूर्तियां बनाई जाती है, उनके द्वारा बताया गया कि उनके पास पंद्रह सौ से लेकर 10 हजार रुपए तक की मूर्तियां हैं ,उनके द्वारा मिट्टी और पीओपी दोनों से ही गणेश जी की मूर्तियां बनाई जा रही है. अधिकतर मांग मिट्टी से बनी हुई मूर्तियों की है लोग बढ़-चढ़कर मूर्तियों को खरीद रहे हैं.