मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन में अक्षय तृतीया के पर्व की धूम रही. अक्षय तृतीया के पर्व पर देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु वृंदावन पहुंचते हैं और अपने आराध्य ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन कर पुण्य कमाते हैं. अक्षय तृतीया पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज सुबह चांदनी रंग की पितांबरी पोशाक और शाम को चांदनी रंग का मुकुटा धारण कर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी कन्या भगवान बांके बिहारी को पाजेब अर्पित करती है, उसको मनचाहा वर प्राप्त होता है. अक्षय तृतीया पर ठाकुर जी को शीतल पेय पदार्थ अर्पित किए जाते हैं.
जानकारी देते हुए एसपी सिटी मार्तंड प्रकाश सिंह ने बताया कि अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है, जोकि साल में एक बार ही मनाया जाता है. इसमें बिहारी जी के चरण वंदन होते हैं. इसकी मान्यता बहुत ज्यादा है और अपार जनसमूह चरण दर्शन के लिए आता है, इसलिए पूरे वृंदावन को 3 जोन और 7 सेक्टर में विभाजित किया गया है. जोन के प्रभारी के रूप में एडिशनल एसपी और सेक्टर के प्रभारी के रूप में सीओ स्तर के अधिकारी लगाए गए हैं. इसी तरह से सब सेक्टर, पिकट, पॉइंट और गस्त पार्टी में विभाजित किया जाता है. संपूर्ण व्यवस्था में जो पोस्ट डेप्लॉयमेंट की गई है उसमें 16 इंस्पेक्टर, 60 सब इंस्पेक्टर और करीब 400 हेड कॉन्स्टेबल लगाए गए हैं. इसी प्रकार 15 महिलाएं सब इंस्पेक्टर और 70 महिला कॉन्स्टेबल भी लगाई गई हैं.
एसपी सिटी मार्तंड प्रकाश सिंह ने ट्रैफिक व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पूरी में दो महत्वपूर्ण पार्ट हैं. पहला एक्सप्रेस-वे से जो भी ट्रैफिक आ रहा है उसमें बड़े वाहनों को गांव पर ही रोका जा रहा है. वहां से ई-रिक्शा के माध्यम से लोग आ रहे हैं. इसी प्रकार छोटे वाहन की चौहान पार्किंग टीएफसी तक की व्यवस्था की गई. अगर यहां पार्किंग फुल हो जाती है तो फिर छोटे वाहन भी वहीं रोके जाएंगे. इसी प्रकार जो मथुरा से ट्रैफिक आ रहा है उसको हम लोग सौ सैया पर रोक कर आरटीआई और पागल बाबा पार्किंग पर रोक रहे हैं.
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एसपी सिटी ने बताया कि मंदिर व्यवस्था में दर्शन के लिए एकल मार्ग की व्यवस्था की गई है. एक, दो और तीन नंबर गेट से प्रवेश दिया जा रहा है. गेट नंबर 4 से उनकी निकासी हो रही है, जिससे कि आने-जाने वालों का आपस में क्लेश न हो पाए. ईद को लेकर हमारे वृंदावन में दो ही मस्जिद हैं, वहां नमाज पढ़ी गई. वहां पर ड्यूटी लगाई थी. धर्मगुरुओं से हमारा निरंतर संपर्क रहा. इस तरह शांतिपूर्वक ईद की नमाज भी पूर्ण हो गई.
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