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मथुरा में श्रद्धाभाव से मनाया गया तिरोभाव महोत्सव, भक्तों ने अर्पित की श्रद्धांजलि - मथुरा तिरोभाव महोत्सव

धर्मनगरी वृंदावन में सोमवार को श्रील प्रभुपाद तिरोभाव महोत्सव श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया. महोत्सव में देश-विदेश से आए शिष्य भक्तों ने प्रभुपाद का गुणगान करने के साथ ही हरिनाम संकीर्तन व धार्मिक धुनों के मध्य महोत्सव का जमकर आनन्द लिया.

भक्तों ने अर्पित की श्रद्धांजलि
भक्तों ने अर्पित की श्रद्धांजलि
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Published : Nov 9, 2021, 10:36 AM IST

मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन में सोमवार को अन्तर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ व इस्काॅन के संस्थापक एसी भक्ति वेदान्त श्रील स्वामी प्रभुपाद का तिरोभाव महोत्सव श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया. देश-विदेश में भगवान श्रीकृष्ण के नाम की अलख जगाकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रभुपाद के तिरोभाव महोत्सव में देश-विदेश के सैंकड़ों शिष्य भक्तों ने प्रभुपाद को श्रद्धांजलि अर्पित की.

रमणरेती मार्ग स्थित श्रीकृष्ण बलराम इस्काॅन मन्दिर परिसर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के मध्य आयोजित महोत्सव में मन्दिर के सेवाधिकारी व भक्तों द्वारा पूर्ण विधिविधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य प्रभुपाद की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक किया गया. वहीं महोत्सव में उपस्थित शिष्य भक्तों ने प्रभुपाद का गुणगान करने के साथ ही हरिनाम संकीर्तन व धार्मिक धुनों के मध्य महोत्सव का जमकर आनन्द लिया.

इस्कॉन मंदिर के पीआरओ विमल कृष्ण दास महाराज ने बताया कि आज बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि 46 वर्ष पहले आज के दिन श्रील स्वामी प्रभुपाद जो इस्कॉन के संस्थापक हैं उन्होंने यहीं वृंदावन में समाधि ली थी. इस खास मौके पर आज के दिन देश-विदेश से भक्त लोग विशेषकर शिष्य यहां उपस्थित होते हैं और प्रभुपाद का गुणगान करते हैं. उनकी पुष्पांजलि होती है और अभिषेक कर उनका आभार प्रकट किया जाता है.

विमल कृष्ण दास ने बताया कि जो प्रभुपाद ने किया 70 वर्ष की आयु में 40 रुपये में वृंदावन से अमेरिका गए और 11 वर्ष के अंदर अंदर पूरी दुनिया में कृष्ण भक्ति का संदेश उन्होंने फैलाया. इस दौरान 10 हजार से ज्यादा शिष्य उनके हुए. 108 मंदिर उन्होंने स्वयं स्थापित किए और पूरी दुनिया में वृंदावन का नाम उन्होंने गौरव किया. इसलिए उनका आभार प्रकट किया जाता है और विशेषकर जो उनके व्यक्तिगत सेवक सेवा धारी थे, उनके साथ जो संग मिला, उनसे जो प्रेरणा मिली, भगवान की भक्ति कैसे की जा सकती है और लोगों को भगवान की भक्ति कैसे सिखाई जाती है यह प्रभुपाद ने सिखाया.

मथुरा: धर्म नगरी वृंदावन में सोमवार को अन्तर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ व इस्काॅन के संस्थापक एसी भक्ति वेदान्त श्रील स्वामी प्रभुपाद का तिरोभाव महोत्सव श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया. देश-विदेश में भगवान श्रीकृष्ण के नाम की अलख जगाकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले प्रभुपाद के तिरोभाव महोत्सव में देश-विदेश के सैंकड़ों शिष्य भक्तों ने प्रभुपाद को श्रद्धांजलि अर्पित की.

रमणरेती मार्ग स्थित श्रीकृष्ण बलराम इस्काॅन मन्दिर परिसर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के मध्य आयोजित महोत्सव में मन्दिर के सेवाधिकारी व भक्तों द्वारा पूर्ण विधिविधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य प्रभुपाद की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक किया गया. वहीं महोत्सव में उपस्थित शिष्य भक्तों ने प्रभुपाद का गुणगान करने के साथ ही हरिनाम संकीर्तन व धार्मिक धुनों के मध्य महोत्सव का जमकर आनन्द लिया.

इस्कॉन मंदिर के पीआरओ विमल कृष्ण दास महाराज ने बताया कि आज बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि 46 वर्ष पहले आज के दिन श्रील स्वामी प्रभुपाद जो इस्कॉन के संस्थापक हैं उन्होंने यहीं वृंदावन में समाधि ली थी. इस खास मौके पर आज के दिन देश-विदेश से भक्त लोग विशेषकर शिष्य यहां उपस्थित होते हैं और प्रभुपाद का गुणगान करते हैं. उनकी पुष्पांजलि होती है और अभिषेक कर उनका आभार प्रकट किया जाता है.

विमल कृष्ण दास ने बताया कि जो प्रभुपाद ने किया 70 वर्ष की आयु में 40 रुपये में वृंदावन से अमेरिका गए और 11 वर्ष के अंदर अंदर पूरी दुनिया में कृष्ण भक्ति का संदेश उन्होंने फैलाया. इस दौरान 10 हजार से ज्यादा शिष्य उनके हुए. 108 मंदिर उन्होंने स्वयं स्थापित किए और पूरी दुनिया में वृंदावन का नाम उन्होंने गौरव किया. इसलिए उनका आभार प्रकट किया जाता है और विशेषकर जो उनके व्यक्तिगत सेवक सेवा धारी थे, उनके साथ जो संग मिला, उनसे जो प्रेरणा मिली, भगवान की भक्ति कैसे की जा सकती है और लोगों को भगवान की भक्ति कैसे सिखाई जाती है यह प्रभुपाद ने सिखाया.

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