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बंदरों के आतंक से श्रद्धालु परेशान

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Published : Jan 25, 2021, 4:25 PM IST

मथुरा में बंदरों की समस्या हर रोज विकराल बनती नजर आ रही है. दूरदराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन बंदरों के आतंक के चलते उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

मथुरा में बंदरों का आतंक.
मथुरा में बंदरों का आतंक.

मथुरा: कान्हा की नगरी में बंदरों की समस्या हर रोज विकराल होती जा रही है. दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन बंदरों के आतंक के चलते उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बंदर कभी किसी का चश्मा लेकर भाग जाते हैं, तो कभी किसी को घायल कर देते हैं. नगर निगम द्वारा बंदरों को पकड़ने के लिए महीनों से कोई अभियान नहीं चलाया गया. यहां तक कि बंदरों के आतंक के चलते पुलिस चौकी भी सुरक्षित नहीं है. बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोगों ने घरों में लोहे के जाल लगवा रखे हैं.

मथुरा में बंदरों का आतंक.
बंदरों का आतंकक्या शहर, क्या गली, क्या मंदिर चारों तरफ बंदरों की समस्या विकराल हो चली है. दूरदराज से हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन बंदरों के आतंक से सभी दुखी हैं. खाने की वस्तु न देने पर बंदर खूंखार हो जाते हैं. छीना-झपटी करते समय लोगों को घायल भी कर देते हैं.
बंदरों के आतंक से बचने के लिए लगावाया जाल.
बंदरों के आतंक से बचने के लिए लगावाया जाल.

बंदरों से पुलिस चौकी भी सुरक्षित नहीं
शहर के बंगाली घाट स्थित पुलिस चौकी भी बंदरों के आतंक से सुरक्षित नहीं है. यमुना नदी का किनारा होने के कारण परिसर में दर्जनों की संख्या में बंदर बैठे रहते हैं. पुलिस चौकी के अंदर से बंदर सरकारी कागजात, फाइलें यहां तक कि पुलिसकर्मियों के खाने का सामान भी ले कर भाग जाते हैं. पुलिस चौकी के चारों तरफ लोहे के जाल लगवाए गए हैं, ताकि सरकारी दस्तावेज सुरक्षित रह सकें.

नगर निगम ने नहीं चलाया महीनों से अभियान
बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम द्वारा महीनों से कोई अभियान नहीं चलाया गया, जिसका खामियाजा स्थानीय जनता और दूरदराज से आने वाले सैलानियों को भुगतना पड़ता है. बीते चार महीनों में खूंखार बंदरों ने 36 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया.

शहर में हर रोज बंदर खूंखार होते जा रहे हैं. रास्ते में कुछ सामान ले जाते हैं तो छीना-झपटी करते हैं. यहां तक कि बंदर बच्चों को भी घायल कर देते हैं. मथुरा वृंदावन नगर निगम तो केवल कागजों तक ही सीमित है. बंदरों को पकड़ने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया गया.

-प्रदीप कुमार, स्थानीय निवासी

बंदरों की समस्या को लेकर कई बार शिकायतें आई थीं. नगर निगम द्वारा लॉकडाउन से पहले बंदरों को पकड़ने के लिए प्लानिंग बनाई गई, लेकिन वैश्विक महामारी आ जाने के कारण काम नहीं हो सका, लेकिन जल्द बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान बड़े स्तर पर चलाया जाएगा.

-मुकेश आर्य बंधु, नगर निगम मेयर

मथुरा: कान्हा की नगरी में बंदरों की समस्या हर रोज विकराल होती जा रही है. दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन बंदरों के आतंक के चलते उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बंदर कभी किसी का चश्मा लेकर भाग जाते हैं, तो कभी किसी को घायल कर देते हैं. नगर निगम द्वारा बंदरों को पकड़ने के लिए महीनों से कोई अभियान नहीं चलाया गया. यहां तक कि बंदरों के आतंक के चलते पुलिस चौकी भी सुरक्षित नहीं है. बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोगों ने घरों में लोहे के जाल लगवा रखे हैं.

मथुरा में बंदरों का आतंक.
बंदरों का आतंकक्या शहर, क्या गली, क्या मंदिर चारों तरफ बंदरों की समस्या विकराल हो चली है. दूरदराज से हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन बंदरों के आतंक से सभी दुखी हैं. खाने की वस्तु न देने पर बंदर खूंखार हो जाते हैं. छीना-झपटी करते समय लोगों को घायल भी कर देते हैं.
बंदरों के आतंक से बचने के लिए लगावाया जाल.
बंदरों के आतंक से बचने के लिए लगावाया जाल.

बंदरों से पुलिस चौकी भी सुरक्षित नहीं
शहर के बंगाली घाट स्थित पुलिस चौकी भी बंदरों के आतंक से सुरक्षित नहीं है. यमुना नदी का किनारा होने के कारण परिसर में दर्जनों की संख्या में बंदर बैठे रहते हैं. पुलिस चौकी के अंदर से बंदर सरकारी कागजात, फाइलें यहां तक कि पुलिसकर्मियों के खाने का सामान भी ले कर भाग जाते हैं. पुलिस चौकी के चारों तरफ लोहे के जाल लगवाए गए हैं, ताकि सरकारी दस्तावेज सुरक्षित रह सकें.

नगर निगम ने नहीं चलाया महीनों से अभियान
बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम द्वारा महीनों से कोई अभियान नहीं चलाया गया, जिसका खामियाजा स्थानीय जनता और दूरदराज से आने वाले सैलानियों को भुगतना पड़ता है. बीते चार महीनों में खूंखार बंदरों ने 36 से ज्यादा लोगों को घायल कर दिया.

शहर में हर रोज बंदर खूंखार होते जा रहे हैं. रास्ते में कुछ सामान ले जाते हैं तो छीना-झपटी करते हैं. यहां तक कि बंदर बच्चों को भी घायल कर देते हैं. मथुरा वृंदावन नगर निगम तो केवल कागजों तक ही सीमित है. बंदरों को पकड़ने के लिए कोई अभियान नहीं चलाया गया.

-प्रदीप कुमार, स्थानीय निवासी

बंदरों की समस्या को लेकर कई बार शिकायतें आई थीं. नगर निगम द्वारा लॉकडाउन से पहले बंदरों को पकड़ने के लिए प्लानिंग बनाई गई, लेकिन वैश्विक महामारी आ जाने के कारण काम नहीं हो सका, लेकिन जल्द बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान बड़े स्तर पर चलाया जाएगा.

-मुकेश आर्य बंधु, नगर निगम मेयर

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