मथुरा: मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर 19 अगस्त की रात श्री बांके बिहारी मंदिर में भगदड़ के बाद हुई 2 मौतों के मामले में न्यायिक जांच की मांग की गई है. साथ ही डीएम सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की गई है. यह मांग मथुरा जिला न्यायालय के अधिवक्ता नंदकिशोर पाराशर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति राजेश जिंदल को पत्र याचिका भेज कर की है.
पत्र में कहा गया है कि 19 मई को मुख्यमंत्री का कार्यक्रम हुआ था. मुख्यमंत्री शाम को अपनी यात्रा समाप्त कर चले गए. इसके बाद जिलाधिकारी, एसएसपी और नगर आयुक्त ने मंदिर पहुंचकर बालकनी घेर ली और नीचे का दरवाजा बंद करवा दिया, जिसके कारण हादसे के वक्त लोग अपनी जान बचाने के लिए बाहर नहीं निकल सके और मंदिर में भगदड़ मच गई. उन्होंने कहा है कि तकरीबन 50 लोग मंदिर परिसर में मूर्छित होकर मरणासन्न अवस्था में चले गए. इसके अलावा नोएडा निवासी निर्मला देवी और जबलपुर के राजकुमार की मौत हो गई. मामले में जिला प्रशासन ने अत्यधिक भीड़ को जिम्मेदार मानकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
मंदिर के सेवादारों और हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यह हादसा सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुआ. याचिका में कहा है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने वहां पर लगे पुलिसकर्मियों को भी हटा दिया और अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा में तैनात कर दिया, जिससे मंदिर परिसर में पूर्ण रूप से अव्यवस्था फैल गई और भीड़ अनियंत्रित होकर जमा हो गई. दम घुटने के कारण लोग बेचैन होने लगे और बेहोशी की अवस्था में पहुंच कर जमीन पर गिर पड़े. यह सब नजारा ऊपर बालकनी में बैठे जिलाधिकारी समेत अन्य अफसर देख रहे थे और वीडियो बना रहे थे. उनके पास आपातकालीन व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी.
याचिका में कहा गया है कि अगर अधिकारी सपरिवार अपनी मस्ती में मदमस्त न होते तो यह हादसा नहीं होता. सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मी भी अपनी ड्यूटी निभाते तो हादसा टल जाता. अधिवक्ता याची ने कहा है कि हादसे की वजह से अंतर्राष्ट्रीय पहचान को ठेस पहुंची है. न्यायिक जांच होने से सही तथ्य सामने आएंगे और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी.
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