मथुराः श्री कृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुक्त बनाने की मांग को लेकर गुरुवार जिला न्यायालय में वादी-प्रतिवादी ने बहस की. शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता ने बहस के दौरान कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर कोर्ट में डाली गई याचिका स्वीकार करने लायक नहीं है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनी और देर शाम अपना फैसला सुनाया. इसमें कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी को होगी.
श्री कृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक का है मामला
श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर जिला न्यायालय में याचिका डाली गई थी.
जन्मभूमि मामले में चार प्रतिवादी पक्ष
जन्मभूमि मामले में चार प्रतिवादी पक्ष बनाए गए हैं. इनमें पहला श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान, दूसरा शाही ईदगाह कमेटी, तीसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और चौथा श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट शामिल है. प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं ने जिला न्यायालय में अपना-अपना वकालतनामा पहले ही दाखिल कर दिया है.
जन्मभूमि मामले में नौ पक्षकार
श्री कृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर श्री कृष्ण भक्त अजय गोयल, वीरेंद्र अग्रवाल, डॉक्टर केशवाचार्य, विजेंद्र पोइया और योगेश उपाध्याय आभा ने कोर्ट में पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र दे चुके हैं, जबकि श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में चार पक्षकार अखिल भारतीय हिंदू महासभा, तीर्थ पुरोहित महासभा, चतुर्वेद परिषद और रंजना अग्निहोत्री ने भी अपना प्रार्थना पत्र पहले ही दे दिया है.
जिला न्यायालय में हुई बहस
श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर जिला न्यायालय जज जसवंत कुमार मिश्रा की कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और पक्षकारों ने अपनी बहस की. जन्मभूमि मामले के शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जन्मभूमि मामले की याचिका स्वीकार करने लायक नहीं है. क्योंकि लोअर कोर्ट ने इस को खारिज कर दिया था. वन टेन की एप्लीकेशन बार-बार न्यायालय कोर्ट में डाली जा रही है.