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'रावण' पर दिखा कोरोना का असर, मायूस दिख रहे कारीगर - कोरोना वायरस की मार

यूपी के मथुरा शहर के मनोहरपुर में कारीगरों की तीन पीढ़ियां रावण का पुतला तैयार करती आ रही हैं. ये लोग बीते 70 सालों से रावण, अहिरावण मेघनाद का पुतला तैयार करते हैं, लेकिन कोरोना का असर रावण पुतला कारीगरों पर भी पड़ा है. दरअसल कोरोना के चलते इस बार इन पुतलों को तैयार करने के लिए कोई ऑर्डर नहीं मिला है.

रावण का पुतला.
रावण का पुतला.
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Published : Oct 24, 2020, 10:19 PM IST

मथुरा: कोरोना वायरस की मार ने गरीबों के रोजगार छीन लिए. वहीं त्योहारों पर भी कुछ कमाई की उम्मीद थी, लेकिन इस बार धार्मिक कार्यक्रम भी निरस्त कर दिए गए. हर साल जहां विजयादशमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था, तो वहीं इस बार कोरोना ने सब बर्बाद कर दिया है. कोरोना के चलते इस बार रावण दहन का कार्यक्रम भी नहीं होगा, जिसका सीधा असर रावण का पुतला बनाने वाले कारीगरों पर भी पड़ता दिख रहा है.

पुतला कारोबारियों पर कोरोना की मार.

छोटे उर्फ रशीद का परिवार इन दिनों कठिनाइयों से गुजर रहा है. दरअसल हर साल रावण का पुतला तैयार करने के लिए दो महीने पहले ही ऑर्डर मिल जाता था, लेकिन इस बार कोई ऑर्डर नहीं मिला है. छोटे लाल के परिवार का कहना है कि परिवार अब मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है. कोरोना काल से पहले रावण का पुतला तैयार करने के बाद आने वाले पैसे से साल भर का गुजारा चल जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होता दिख रहा है.

तीन पीढ़ियों से तैयार कर रहे हैं रावण का पुतला
शहर के मनोहरपुर निवासी छोटे उर्फ रशीद की तीन पीढ़ियां रावण का पुतला तैयार करती आ रही हैं. बीते 70 सालों से रावण, अहिरावण, मेघनाद का पुतला तैयार करते हैं. रशीद के पिताजी और बाबा भी रावण का पुतला तैयार करते थे. इस बार रावण का पुतला तैयार करने के लिए कोई ऑर्डर नहीं मिला है. वहीं हर साल लोगों की डिमांड होती थी कि रावण का पुतला काफी ऊंचा होना चाहिए. बीते साल शहर के महाविद्या मैदान में 80 फीट रावण का पुतला दहन किया गया था. वहीं इस बार छोटेलाल मायूस हैं और अपनी गरीबी पर आंसू बहा रहे हैं.

पुतला कारीगर छोटे उर्फ रशीद ने बताया कि 70 सालों से रावण का पुतला तैयार कर रहा हूं. हर साल रावण, अहिरावण और मेघनाथ का पुतला तैयार करने के लिए एक लाख रुपये का ऑर्डर मिलता था. पुतला तैयार करने के लिए पांच कारीगर अगस्त माह में लग जाते थे, लेकिन इस बार कोई ऑर्डर नहीं मिला. वहीं पुतला कारीगर फरमान का कहना है कि वो अपने चाचा के संग रावण का पुतला तैयार करता था, लेकिन इस बार कोई ऑर्डर न मिलने से वे लोग बेहद मायूस हैं.

मथुरा: कोरोना वायरस की मार ने गरीबों के रोजगार छीन लिए. वहीं त्योहारों पर भी कुछ कमाई की उम्मीद थी, लेकिन इस बार धार्मिक कार्यक्रम भी निरस्त कर दिए गए. हर साल जहां विजयादशमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था, तो वहीं इस बार कोरोना ने सब बर्बाद कर दिया है. कोरोना के चलते इस बार रावण दहन का कार्यक्रम भी नहीं होगा, जिसका सीधा असर रावण का पुतला बनाने वाले कारीगरों पर भी पड़ता दिख रहा है.

पुतला कारोबारियों पर कोरोना की मार.

छोटे उर्फ रशीद का परिवार इन दिनों कठिनाइयों से गुजर रहा है. दरअसल हर साल रावण का पुतला तैयार करने के लिए दो महीने पहले ही ऑर्डर मिल जाता था, लेकिन इस बार कोई ऑर्डर नहीं मिला है. छोटे लाल के परिवार का कहना है कि परिवार अब मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है. कोरोना काल से पहले रावण का पुतला तैयार करने के बाद आने वाले पैसे से साल भर का गुजारा चल जाता था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं होता दिख रहा है.

तीन पीढ़ियों से तैयार कर रहे हैं रावण का पुतला
शहर के मनोहरपुर निवासी छोटे उर्फ रशीद की तीन पीढ़ियां रावण का पुतला तैयार करती आ रही हैं. बीते 70 सालों से रावण, अहिरावण, मेघनाद का पुतला तैयार करते हैं. रशीद के पिताजी और बाबा भी रावण का पुतला तैयार करते थे. इस बार रावण का पुतला तैयार करने के लिए कोई ऑर्डर नहीं मिला है. वहीं हर साल लोगों की डिमांड होती थी कि रावण का पुतला काफी ऊंचा होना चाहिए. बीते साल शहर के महाविद्या मैदान में 80 फीट रावण का पुतला दहन किया गया था. वहीं इस बार छोटेलाल मायूस हैं और अपनी गरीबी पर आंसू बहा रहे हैं.

पुतला कारीगर छोटे उर्फ रशीद ने बताया कि 70 सालों से रावण का पुतला तैयार कर रहा हूं. हर साल रावण, अहिरावण और मेघनाथ का पुतला तैयार करने के लिए एक लाख रुपये का ऑर्डर मिलता था. पुतला तैयार करने के लिए पांच कारीगर अगस्त माह में लग जाते थे, लेकिन इस बार कोई ऑर्डर नहीं मिला. वहीं पुतला कारीगर फरमान का कहना है कि वो अपने चाचा के संग रावण का पुतला तैयार करता था, लेकिन इस बार कोई ऑर्डर न मिलने से वे लोग बेहद मायूस हैं.

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