मथुरा: धर्म की नगरी वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में शरद पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. शरद पूर्णिमा पर बांके बिहारी मंदिर में शनिवार को सुबह 7.45 मिनट पर दर्शन होने थे. लेकिन, मंदिर के गोसाइयों ने अपनी जिद के चलते मंदिर के कपाट नहीं खोले. जिस कारण मंदिर परिसर के गेट पर श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारे लगने लगी. वहीं, श्रृंगार दर्शन और आरती के लिए ठाकुर जी को गर्भ ग्रह में ही विराजमान कराए रखा गया. जबकि, श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए गर्भ गृह से निकलकर जगमोहन में ठाकुरजी को विराजमान कराया जाता है. मंदिर प्रशासन ने सेवायत बदलने के बाद 8:10 पर मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खोले और ठाकुर जी को गर्भ गृह से निकालकर जममोहन में विराजमान कराया. जिसकी वजह से श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लग गई. करीब 35 मिनट तक इंतजार करने के बाद श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी के दर्शन किए.
35 मिनट श्रद्धालुओं को करना पड़ा इंतजार:
दूधिया रंग में नजर आया पूरा प्रांगण: शरद पूर्णिमा के अवसर पर मंदिर परिसर के पूरे प्रांगण को सफेद दूधिया रंग में सजाया गया था. चारों तरफ गुब्बारे लगे हुए थे. दूर-दराज से आए श्रद्धालु ठाकुर बांके बिहारी के अद्भुत दर्शन कर आनंदित हो रहे थे. क्योंकि, ठाकुर जी को शरद पूर्णिमा पर विशेष पोशाक धारण कराया गया था. जिसमें बांके बिहारी के सिर पर मुकुट, बगलबंदी, कमर में बांसुरी शामिल थे. वहीं, शरद पूर्णिमा के अवसर पर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे. जिसके लिए मंदिर परिसर के पास कुंज गलियों में प्रवेश और निकासी द्वार बनाए गए है. वहीं मंदिर के गेट नंबर एक पर प्रवेश द्वार और गेट नंबर 2 और 3 से निकासी द्वारा बनाए गए थे.
ग्रहण में मंदिर के कपाट होंगे बंद: चंद्र ग्रहण होने के कारण शनिवार शाम को ब्रज के सभी मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे. इसीलिए बांके बिहारी मंदिर में शनिवार सुबह 8:10 पर श्रृंगार आरती और दोपहर 3:30 पर भोग और शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए. क्योंकि, चंद्र ग्रहण में सूतक लगने के बाद ठाकुर जी के दर्शन नहीं होते हैं.
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