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ग्राम प्रधान व अन्य अधिकारियों के खिलाफ SSP मथुरा ने दिए जांच के निर्देश - मथुरा न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएसपी मथुरा को जिला पंचायत राज अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से हुए फर्जीवाड़े की तीन माह में निष्पक्ष जांच पूरी करने का निर्देश दिए हैं.

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मथुरा समाचार
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Published : Sep 20, 2020, 3:35 PM IST

मथुरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएसपी मथुरा को जिला पंचायत राज अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से हुए फर्जीवाड़े की तीन माह में निष्पक्ष जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति बी. अमित स्थालेकर और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने माधव सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता धर्मेन्द्र सिंह ने बहस की. उनका कहना था कि बछगांव के निवासी माधव सिंह पुत्र हरिश्चंद्र ने थाना मगौर्रा में कोर्ट के जरिए 29 नवंबर 2019 को एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें ग्राम प्रधान व अन्य के खिलाफ षडयंत्र, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा कर लोगों को सरकारी धन का अनुचित लाभ दिया गया है. उन्होंने कहा कि चार लोग, जिनकी कई साल पहले मौत हो चुकी थी, 2017 में मृत होने का प्रमाणपत्र देकर वारिसों को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया गया. साथ ही जिंदा लोगों को मृत्यु प्रमाणपत्र देकर उसकी पत्नी को विधवा पेंशन का भुगतान किया गया है.

याची का कहना था कि पुलिस सही जांच नहीं कर रही है. किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और मामले को रफा-दफा कर अंतिम रिपोर्ट लगाने जा रही है. याची ने सबूतों के साथ हलफ़नामा दाखिल कर सही जांच कर कार्यवाही की मांग की याचिका दाखिल की थी.

मथुरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएसपी मथुरा को जिला पंचायत राज अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से हुए फर्जीवाड़े की तीन माह में निष्पक्ष जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति बी. अमित स्थालेकर और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने माधव सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता धर्मेन्द्र सिंह ने बहस की. उनका कहना था कि बछगांव के निवासी माधव सिंह पुत्र हरिश्चंद्र ने थाना मगौर्रा में कोर्ट के जरिए 29 नवंबर 2019 को एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें ग्राम प्रधान व अन्य के खिलाफ षडयंत्र, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा कर लोगों को सरकारी धन का अनुचित लाभ दिया गया है. उन्होंने कहा कि चार लोग, जिनकी कई साल पहले मौत हो चुकी थी, 2017 में मृत होने का प्रमाणपत्र देकर वारिसों को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया गया. साथ ही जिंदा लोगों को मृत्यु प्रमाणपत्र देकर उसकी पत्नी को विधवा पेंशन का भुगतान किया गया है.

याची का कहना था कि पुलिस सही जांच नहीं कर रही है. किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है और मामले को रफा-दफा कर अंतिम रिपोर्ट लगाने जा रही है. याची ने सबूतों के साथ हलफ़नामा दाखिल कर सही जांच कर कार्यवाही की मांग की याचिका दाखिल की थी.

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