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यम द्वितीया पर्व पर बांके बिहारी मंदिर जैसा हादसा होने से टला, ऐसे बचे श्रद्धालु

मथुरा में यम द्वितीय पर एक ट्रैक्टर ने रास्ता बाधित कर दिया. इससे भक्तों की भारी भीड़ एक जगह पर इकट्ठी हो गई. मौके पर पहुंच कर प्रशासन ने बमुश्किल ट्रैक्टर को बाहर निकाला. इससे एक बड़ा हादसा होने से बच गया.

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रास्ते फंसा टैक्टर
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Published : Oct 27, 2022, 6:18 PM IST

मथुरा: जनपद में गुरुवार को यम द्वितीया के पर्व पर विश्राम घाट के पास अव्यवस्थाओं के कारण एक ट्रैक्टर भारी भीड़ के बीच में घुस गया. ज्यादा भीड़ और रास्ता छोटा होने कारण ट्रैक्टर बीच में ही फंस गया. ट्रैक्टर के फंसने से भक्तों की भीड़ का दबाब दोनों रास्तों की तरफ से बढ़ने लगा. इससे श्रद्धालु भक्तों में चीख-पुकार मच गई. इससे घबरा कर नगर निगम कर्मी ट्रैक्टर को रास्ते में ही छोड़ कर भाग गए.

आनन-फानन में पुलिस कर्मियों ने बमुश्किल भीड़ को नियंत्रित कर ट्रैक्टर को सकुशल बाहर निकाला गया. इससे दोनों तरफ के रास्ते बहाल हुए. जिसके बाद स्थानीय प्रशासन के साथ श्रद्धालु भक्तों ने राहत की सांस ली. प्रशासन की तत्परता से मथुरा में एक बड़ा हादसा होने से बच गया. इससे पहले भी ज्यादा भीड़ होने कारण बांके बिहारी मंदिर में एक हादसा हुआ था.

ट्रैक्टर से बाधित रास्ता और परेशान होते श्रद्धालु

बांके बिहारी मंदिर का हादसा: जन्माष्टमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो गई थी. मंदिर के रास्ते भीड़ के कारण बंद हो गए. लोग मदिर परिसर से बाहर जाने के लिए जद्दोजहद करने लगे. इस दौरान घुटन से दो भक्त बेहोश हो गए. इसमें एक महिला सहित दो लोगों की मौत हो गई. हादसा प्रशासन की अव्यवस्थाओं के चलते हुआ था. इसके बाद मथुरा प्रशासन ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा किया था.

यम द्वितीय की क्या है मान्यता: भाई दूज के पर्व को यम द्वितीया का पर्व भी कहा जाता है. मान्यता है कि सूर्य की पत्नी संध्या के दो संतानें थी यम और यमुना. सूर्य भगवान का तेज न सह सकने के कारण संध्या ने छाया का वेश बनाया और वह उत्तरी ध्रुव पर जाकर रहने लगी. वहीं, यमुना जी पृथ्वी पर आ गईं और भगवान श्रीकृष्ण का इंतजार करने लगी. यहीं पर यमराज भाई दूज के दिन अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे.

यहां यमुना जी ने भाई यम का खूब आदर सत्कार किया. इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा. इस पर यमुना ने कहा कि भाई दूज के दिन जो भी भाई बहन इस स्थान पर एक साथ स्थान करेंगे. उन्हें यम फांस से और नर्क से मुक्ति मिले. इस पर यमराज ने बहन यमुना को वरदान दिया, तभी से भाई दूज के पर्व को यम द्वितीया का पर्व भी कहा जाता है.

यह भी पढ़ें:बांके बिहारी मंदिर में बंपर भीड़ के कारण बेहोश हुई मुजफ्फरनगर की महिला

मथुरा: जनपद में गुरुवार को यम द्वितीया के पर्व पर विश्राम घाट के पास अव्यवस्थाओं के कारण एक ट्रैक्टर भारी भीड़ के बीच में घुस गया. ज्यादा भीड़ और रास्ता छोटा होने कारण ट्रैक्टर बीच में ही फंस गया. ट्रैक्टर के फंसने से भक्तों की भीड़ का दबाब दोनों रास्तों की तरफ से बढ़ने लगा. इससे श्रद्धालु भक्तों में चीख-पुकार मच गई. इससे घबरा कर नगर निगम कर्मी ट्रैक्टर को रास्ते में ही छोड़ कर भाग गए.

आनन-फानन में पुलिस कर्मियों ने बमुश्किल भीड़ को नियंत्रित कर ट्रैक्टर को सकुशल बाहर निकाला गया. इससे दोनों तरफ के रास्ते बहाल हुए. जिसके बाद स्थानीय प्रशासन के साथ श्रद्धालु भक्तों ने राहत की सांस ली. प्रशासन की तत्परता से मथुरा में एक बड़ा हादसा होने से बच गया. इससे पहले भी ज्यादा भीड़ होने कारण बांके बिहारी मंदिर में एक हादसा हुआ था.

ट्रैक्टर से बाधित रास्ता और परेशान होते श्रद्धालु

बांके बिहारी मंदिर का हादसा: जन्माष्टमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो गई थी. मंदिर के रास्ते भीड़ के कारण बंद हो गए. लोग मदिर परिसर से बाहर जाने के लिए जद्दोजहद करने लगे. इस दौरान घुटन से दो भक्त बेहोश हो गए. इसमें एक महिला सहित दो लोगों की मौत हो गई. हादसा प्रशासन की अव्यवस्थाओं के चलते हुआ था. इसके बाद मथुरा प्रशासन ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा किया था.

यम द्वितीय की क्या है मान्यता: भाई दूज के पर्व को यम द्वितीया का पर्व भी कहा जाता है. मान्यता है कि सूर्य की पत्नी संध्या के दो संतानें थी यम और यमुना. सूर्य भगवान का तेज न सह सकने के कारण संध्या ने छाया का वेश बनाया और वह उत्तरी ध्रुव पर जाकर रहने लगी. वहीं, यमुना जी पृथ्वी पर आ गईं और भगवान श्रीकृष्ण का इंतजार करने लगी. यहीं पर यमराज भाई दूज के दिन अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे.

यहां यमुना जी ने भाई यम का खूब आदर सत्कार किया. इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा. इस पर यमुना ने कहा कि भाई दूज के दिन जो भी भाई बहन इस स्थान पर एक साथ स्थान करेंगे. उन्हें यम फांस से और नर्क से मुक्ति मिले. इस पर यमराज ने बहन यमुना को वरदान दिया, तभी से भाई दूज के पर्व को यम द्वितीया का पर्व भी कहा जाता है.

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